जीवनशैली में बदलाव से ओजोन लेयर के संरक्षण में मिलगी मदद

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने शनिवार शाम को विश्वविद्यालय परिसर में ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: फिक्सिंग ओजोन लेयर और जलवायु परिवर्तन को कम करना’ विषय पर विश्व ओजोन दिवस-2023 मनाया। यह कार्यक्रम एन॰ए॰एच॰ई॰पी॰ संस्थागत विकास परियोजना के सहयोग से आयोजित किया गया और इसमें 450 से अधिक स्नातक छात्रों और विभाग के स्पेस क्लब के सदस्यों ने भाग लिया।

इस अवसर कार्यक्रम के संयोजक डॉ एस॰के भारद्वाज ने बताया कि ओजोन परत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ओजोन दिवस 2023 मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कैसे हमारी गतिविधियां इस प्राकृतिक ढाल को नुकसान पहुंचा रही है। डॉ भारद्वाज ने बताया कि यह दिन अंतरराष्ट्रीय मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का भी स्मरण करता है जिसने ओजोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक अनिवार्य कार्यक्रम स्थापित किया था। वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ. सीएल ठाकुर ने इस बात पर जोर दिया कि ओजोन-क्षयकारी पदार्थों का उत्पादन और खपत मानवीय गतिविधियों के कारण अधिक है क्योंकि सनस्पॉट, ज्वालामुखी विस्फोट और जंगल की आग जैसे प्राकृतिक कारण केवल 2-3% योगदान करते हैं।

मुख्य अतिथि विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंद्र देव ने बताया कि 15वीं शताब्दी में केवल 45 करोड़ से बढ़कर जनसंख्या 2023 में 800 करोड़ हो गई है और साथ साथ जीवनशैली में बदलाव ओजोन-क्षयकारी पदार्थों में वृद्धि का कारण है। उन्होंने कहा कि ओजोन ढाल के कमजोर होने से दुनिया भर में लाखों लोग त्वचा कैंसर और अन्य बीमारियों जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी जीवनशैली और दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में संशोधन करने से वातावरण में ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को कम करने में मदद मिलती है।

इस मौके पर एक भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें बीएससी हॉर्टिकल्चर की चतुर्थ वर्ष की छात्रा महक मानटा ने प्रथम पुरस्कार हासिल किया। सिया शर्मा और चेतना क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहीं। कार्यक्रम में विभाग के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों ने भी भाग लिया। ओजोन-घटाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए एक रैली भी आयोजित की गई।

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