उत्पादकों, वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों ने हिमाचल प्रदेश में कॉफी की खेती पर की चर्चा

 हिमाचल को कॉफी के रूप में नई नकदी फसल देने का किया जा रहा प्रयास: धर्माणी

हिमाचल: प्रदेश में कॉफी की खेती पर छात्रों और किसानों के लिए कौशल उन्नयन और उद्यमिता विकास पर एक दिवसीय कार्यक्रम आज घुमारवीं में आयोजित किया गया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य हिमाचल में बड़े स्तर पर कॉफी की खेती की संभावनाओं की तलाश करना और इस क्षेत्र में पहले से किए गए कार्यों को आगे बढ़ाना था।

यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना की संस्थागत विकास योजना के सहयोग से डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के नेरी स्थित बागवानी और वानिकी महाविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने राज्य में कॉफी की खेती के दायरे पर चर्चा करने के लिए कॉफी उत्पादकों, वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और छात्रों को एक मंच पर साथ लाया गया और किसानों को फसल विविधीकरण के लिए एक और नकदी फसल कैसे दी जा सकती है जो उनकी आर्थिकी को मजबूत करने में मदद कर सकती है, पर बातचीत हुई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि, घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी ने कहा कि हिमाचल में कॉफी की खेती के लिए पहले ही कुछ प्रयास किए जा चुके हैं और इस कार्यक्रम के माध्यम से उन कार्यों को किसानों के लाभ के लिए आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को कॉफी की खेती से संबंधित सभी मुद्दों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और उद्योग विशेषज्ञों के साथ जोड़ा जा रहा है। धर्माणी ने कहा कि कॉफी आधारित किसान समूहों की संभावनाओं पर भी गौर किया जाएगा ताकि किसानों की उपज को प्रभावी ढंग से विपणन करके उन्हें अधिकतम लाभ दिलाया जा सके।

नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों को सभी वैज्ञानिक सहायता प्रदान करेगा ताकि कॉफी की खेती को बढ़ाया जा सके। कॉफी किसानों के लिए फसल विविधीकरण में मदद करेगी और एक फसल पर उनकी निर्भरता कम करेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही कॉफी पर अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने और राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लिए कॉफी की सर्वोत्तम किस्मों का पता लगाने के लिए नेरी महाविद्यालय में एक प्रदर्शन मॉडल स्थापित करेगा। प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर और पीएचडी छात्रों को कॉफी पर शोध समस्याएं दी जाएंगी ताकि इस क्षेत्र में अनुसंधान को मजबूत किया जा सके और किसानों की खेत तक उस अनुसंधान को पहुंचाया जा सके। । उन्होंने बताया कि कॉफी की खेती पर आगे की चर्चा के लिए इसी तरह का एक कार्यक्रम मंगलवार को सोलन में विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया जाएगा।

देश के विभिन्न हिस्सों से आए कॉफी विशेषज्ञों और उद्यमियों ने भी इस मौके पर अपने विचार प्रस्तुत किए और हिमाचल में कॉफी की खेती पर विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि वैश्विक कॉफी उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी केवल 3 प्रतिशत है लेकिन इस उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत निर्यात किया जाता है जिससे देश को हर साल हजारों करोड़ रुपये की आय अर्जित होती है। कॉफी के जुड़े उद्यमी स्वेन विंसेंट गोवेस, प्रियंका वास नाइक और एवेन रोड्रिग्स ने जलवायु परिस्थितियों, विभिन्न किस्मों का चयन, कॉफी हार्वेस्ट, और कॉफी के साथ उगाई जा सकने वाली दूसरी सह फसलों सहित इसकी खेती के विभिन्न पहलुओं पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। हैप्पीनेस टेक्नोलॉजी, बैंगलोर के संस्थापक डॉ. अरुण भारद्वाज ने विभिन्न ब्रांडिंग रणनीतियों को साझा किया, जिन्हें कॉफी उत्पादकों द्वारा अपनी उपज का मूल्य बढ़ाने के लिए अपनाया गया है। विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. संजीव चौहान ने एन॰ए॰एच॰ई॰पी॰ आई॰डी॰पी॰ परियोजना के तहत विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कौशल उन्नयन और उद्यमिता गतिविधियों के बारे में बताया। इस अवसर पर उपस्थित उद्योग विशेषज्ञों द्वारा प्रगतिशील किसान जीत राम और दीप राम की क्रमशः 14 और 22 किलोग्राम कॉफी बीन्स को भी प्रसंस्करण के लिए खरीदा गया। कार्यक्रम का समापन नेरी महाविद्यालय के डीन डॉ. कमल शर्मा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय कॉफी बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ. विक्रम शर्मा,  नेरी महाविद्यालय के वैज्ञानिक, कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारी, प्रगतिशील कॉफी किसान और कॉलेज के छात्र शामिल हुए।

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