हिमाचल प्रदेश के हाटी समुदाय को मिला ST का दर्जा: राष्ट्रपति की मंजूरी

हिमाचल: प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरीपार में रहने वाला हाटी समुदाय अब अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल हो गया है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने संशोधित अनुसूचित जनजाति विधेयक को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। अब यह विधायक कानून बनेगा। हाटी समुदाय ने इसे ऐतिहासिक जीत करार दिया है। इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन सिंह मुंडा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ,केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ,हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल, शिमला के सांसद एवं पूर्व अध्यक्ष भाजपा सुरेश कश्यप ,पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप , सांसद डॉ. सिकंदर कुमार, शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव सिंह तोमर, भाजपा के प्रदेश नेतृत्व और राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार जताया है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला का भी विशेष आभार जताया है। इस संबंध में हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा, मुख्य प्रवक्ता डॉक्टर रमेश सिंगटा ने कहा कि केंद्र सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते असंभव सा काम संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि अप्रैल महीने में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मंच के पदाधिकारियों ने मुलाकात की थी इस मुलाकात के गहरे मायने निकाले जा रहे हैं। पिछले महीने 26 जुलाई को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था और अब इस पर राष्ट्रपति ने अपनी सहमति दे दी है। इसे अब राजपत्र में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अथक प्रयास रंग लाए हैं। उनके सम्मान में रविवार को सिरमौर के हाटी शिमला में जुड़ेंगे और उनका स्वागत करेंगे,आभार जताएंगे। अध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि हाटी आंदोलन देशभर का ऐसा अनूठा आंदोलन रहा है, जहां हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई। 56 वर्षों के संघर्ष का नतीजा सबके सामने आया है। आंदोलन की शुरुआत पिछले वर्ष महाखुमली के जरिए 1 जनवरी को रोनहाट से हुई थी। इसमें हजारों लोगों ने एसटी बनने का दृढ़ संकल्प लिया था। इसके बाद शिलाई, पझौता, संगड़ाह जैसे क्षेत्र में महाखुंबलिया हुई। इसके बाद पिछले वर्ष अप्रैल महीने में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया में हाटी समुदाय की 14 जातियां और उपजातियां पंजीकृत हुई। आंदोलन की जीत का यह पहला पड़ाव था दूसरा पड़ाव तब आया जब सितंबर महीने में केंद्रीय कैबिनेट ने बड़ा फैसला लेते हुए हाथी को एसटी का दर्जा दे दिया इसके बाद दिसंबर महीने में लोकसभा में संशोधित एसटी विधेयक पारित हुआ। बेशक तब तयो ने किंतु परंतु लगाएं लेकिन मौजूदा सत्र में पिछले ही महीने 26 जुलाई को राज्यसभा ने भी बिल पर अपनी मुहर लगाई।
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पुरोधाओं के तौर पर दर्ज हो गया नाम..
आंदोलन को लीड करने वालों का नाम पुरोधाओं के तौर पर सिरमौर के इतिहास में अंकित हो गया है। इन्होंने रणनीतिकार और आंदोलनकारी दोनों की सशक्त भूमिका निभाई.. जब विरोधी प्रहार कर रहे थे तब हाटी समाज के लिए सुरक्षा कवच भी बने। इन्हें हाटी निर्माता के तौर पर भी याद रखा जाएगा….इनमें डॉक्टर रमेश सिंगटा, प्रदीप सिंगटा सबसे चर्चित रहे। निस्वार्थ भावना से अपने समाज के प्रति समर्पित रहे ऐसे चेहरे बिरले ही मिलते हैं।धरातल पर आंदोलन की न केवल पूरी स्क्रिप्ट लिखी बल्कि लोगों को हकों की लड़ाई के लिए शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र भी किया। जब जब संकट आता दिखा तब तक इन्होंने अग्रिम पंक्ति में आंदोलन की अगुवाई की। एक पेशेवर पत्रकार और दूसरे रिसर्च स्कॉलर हैं। इनके साथ-साथ डॉक्टर अमि चंद कमल ,महासचिव कुंदन शास्त्री और उनकी टीम का योगदान भी अविस्मरणीय रहेगा। एकेडमिक इनपुट देने में अमित चंद कमल की बड़ी भूमिका रही। जबकि कुंदन सिंह शास्त्री कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं।
क्या बोले पदाधिकारी..
हाटी विकास मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंह सिंगटा,मुख्य प्रवक्ता डॉ रमेश सिंगटा, महासचिव अतर सिंह तोमर प्रवक्ता जी एस तोमर , ठाकुर खजान सिंह ,मदन तोमर, कपिल चौहान, दलीप सिंगटा, काकू राम ठाकुर, मुकेश ठाकुर , नीतू चौहान, शूरवीर ठाकुर,अनुज शर्मा ,दिनेश कुमार, भीम सूर्यवंशी, अमित चौहान, पिंकू बिरसांटा, विक्की ठाकुर , कपिल कपूर, विपिन पुंडीर, भीम सिंह, बलबीर राणा, दिनेश ठाकुर, दीपक नेगी, प्रताप मोहन चौहान खदराई कपिल शर्मा,,लाल सिंह, श्याम सिंह , खजान सिंह ठाकुर,सुशील, आशु चौहान, सुरजीत ठाकुर, अमन ठाकुर, राकेश शर्मा, सुरेश सिंह, जय ठाकुर ,ओमप्रकाश शर्मा, ओमप्रकाश ठाकुर, चंद्रमणि शर्मा, आत्माराम शर्मा, गोपाल ठाकुर, सचिन तोमर ,खजान ठाकुर, भरत पुंडीर ,दलीप सिंह तोमर, भीम सिंह तिलकान, कपिल शर्मा, सहित पवन शर्मा, रण सिंह ठाकुर, सतीश चौहान, दिनेश चौहान ने बड़ी जीत के लिए केंद्र का आभार जताया।

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