शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में जादूगर सम्राट शंकर पांच साल बाद करने जा रहे हैं शो

पहले शो का सारा पैसा रेडक्रॉस सोसायटी में देंगे जादूगर सम्राट शंकर

शो का उद्घाटन करेंगे स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल 

सोमवार शाम 6:30 पर होगा पहला शॉ

मंगलवार से शनिवार हर रोज दिखाए जाएंगे दो शॉ , जबकि रविवार को होंगे तीन शॉ 

दो हफ्ते तक दोपहर 12:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक स्थानीय लोगों और सैलानियों को जादू प्रदर्शन को देखने का मिलेगा मौका 

शिमला: राजधानी शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में जादूगर सम्राट शंकर पांच साल के बाद शो करने जा रहे हैं। पहले शो से होने वाली कमाई का सारा पैसा जिला रेडक्रॉस सोसायटी को देंगे। रविवार को शिमला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में सम्राट शंकर ने कहा कि वह शिमला में 7वीं बार अपनी जादू की कला लोगो को दिखाएंगे। गौथिक हॉल में सोमवार शाम को शो का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल करेंगे। सोमवार को शाम 6:30 पर पहला शॉ होगा। मंगलवार से शनिवार हर रोज दो शॉ दिखाए जाएंगे, जबकि रविवार को तीन शॉ होंगे। इस शॉ की टिकट 100 रुपए से 200 रुपए तक रखी गई है। इसके बाद करीब दो हफ्ते तक दोपहर 12:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक स्थानीय लोगों और सैलानियों को जादू प्रदर्शन को देखने का मौका मिलेगा।

इसमें जादूगर सम्राट शंकर सीनियर और जूनियर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इसमें प्रवेश के लिए टिकट लेना अनिवार्य है। जादूगर सम्राट शंकर ने बताया कि अब तक उन्होंने दुनिया भर में 28 हज़ार से भी ज्यादा शो किए हैं। जिनमें करीब 23 हज़ार शो का पैसा स्कूलों, जरुरतमंदों और रेडक्रॉस सोसाइटी को दिया है। उन्होंने बताया कि शिमला में अखिरी शो इन्होंने 2018 में किया था। उसके बाद कोविड के चलते शिमला नहीं आ पाए। उन्होंने कहा कि कला प्रदर्शन के समय विभिन्न जन संदेश जिसमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं, जल बचाओ, एड्स से बचो,रक्त दान महादान जैसे जरूरी संदेश लोगों को दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक लुप्त कला है, जिसे जीवित रखने के लिए वो प्रयास करते आए है।

जादूगर शंकर ने हिमाचल सरकार से एकेडमी की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमें एकेडमी खोलने के लिए नि:शुल्क भूमि देती है, तो यहां पर युवाओं को जादू की कला सिखाई जाएगी। जिसमें एक साल का डिप्लोमा दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि अकेडमी खुलने से युवाओ को रोजगार मिलेगा। पूरे विश्व मे उनके सैंकड़ो शिष्य है, जो स्कूलों कॉलेजो में अपने जादू को दिखाते हैं। इस विद्या को ललित कला में शामिल किया जा सकता है, यह योग से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि यह ऐसी विद्या है, जिसे हम परिवार के साथ भी देख सकते है।

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