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त्यौहार व मेले (Page 5)

बिशु मेला: हिमाचल की लोक गाथाओं, नृत्यों और मेलों में झलकता है सदियों पुराना इतिहास 

बिशु आयोजन के दिन सबसे पहले की जाती है कुलदेवता की पूजा पहाड़ वासियों ने लुप्त हो रही सांस्कृतिक परंपरा को जैसे-तैसे करके जीवित रखा है शिमला और सिरमौर में अप्रैल-मई में किया जाता है बिशु मेले...

पांगी घाटी की सांस्कृतिक पहचान और शान “जुकारू उत्सव”

“जुकारू उत्सव” पर पांगी घाटी की परंपरा कायम एक-दूसरे के गले मिलते हैं और पूछते हैं-‘तकड़ा थियां न’ हमारी देवभूमि हिमाचल प्रकृति जन्नत से लबालब है। तो वहीं प्राचीन संस्कृति, लोक कलाएँ,...

देवताओं को पूजने, मानने के लिए खास तरीके, खास विधियां व विधान

हिमाचल: देवी-देवताओं की खास महत्ता..पूजने, मनाने के खास विधि-विधान

यह मेरा देवता, वह तेरा देवता परिवार के देवते को कुलजा अथवा कुलज्ञ कहते हैं गांव के एक छोर पर ग्राम देवता का बना होता है स्थान या मंदिर हिमाचल के कुल्लू जनपद की बात करें तो यहां पर हर घर का अपना...

हिमाचल: गाँव में आठ दिन पहले “घरेसू” (कहारू) जलाकर होता है “दिवाली” का आगाज

बच्चे सूखी घास के पूले का एक लंबा गटठा बनाकर जिसे आम भाषा में घरेसू या कहारू कहा जाता है। शाम को खाना खाने से पहले अंधेरा होने पर घरों से दूर खलियान, खुले मैदान या जगह पर घुमाते हुए जलाया जाता...

दशहरे की एक ओर सामाजिक महत्वता तो दूसरी ओर सांस्कृतिक लोकोत्सव की धूम

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार आश्विन शुक्ल दशमी के दिन विजयदशमी यानी दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार का दशहरा 30 सितम्बर को  मनाया जाएगा। हिंदी रीति-रिवाज के अनुसार आज यानी दशहरे के दिन...

कुल्लू दशहरे का इतिहास

कुल्लू दशहरे का इतिहास…

दशहरे का प्रारम्भ कुल्लू में विजयदशमी का उत्सव तब प्रारम्भ होता है जब देश के अन्य भागों में रावण का बुत जल चुका होता है। उत्सव आश्विन शुक्ल दसवीं से आरम्भ होकर एक सप्ताह बाद पूर्णिमा को...

इतिहास: कुल्लू दशहरे का आरम्भ देवी हिडिम्बा के आगमन के बिना सम्भव नहीं

हिमाचल इतिहास: कुल्लू दशहरे का आगाज देवी हिडिम्बा के आगमन बिना सम्भव नहीं

विजयदशमी के मुख्य उत्सव का आरम्भ देवी हिडिम्बा के आगमन के बिना सम्भव नहीं होता। ढूंगरी (मनाली) से हिडिम्बा के पहुंचे बिना कोई कार्यवाही आरम्भ नहीं हो सकती। रघुनाथजी रथ-यात्रा के लिए नहीं...