शिमला में अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव शुरू

शिमला: अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ की गुरुवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर के मुख्य सभागार में शुरुआत हो गई। इसका उद्घाटन केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कंबार और हिमाचल के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर भी विशेष रूप से मौजूद रहे। उद्घाटन अवसर पर जाने-माने विद्वान और जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम भद्राचार्य ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि साहित्य के बिना भारत ही नहीं, विश्व का हाहाकार मिटाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि साहित्य वह विधा है, जो जीवन से पशुता को दूर करता है। पशु उतना घातक नहीं होता, जितनी पशुता होती है।

केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ के लिए आए हुए सभी साहित्यकारों का वह अभिवादन करते हैं। बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि ‘उन्मेष’ क्या है। इसका अर्थ प्रकट करना, सुबह-सुबह आंखें खोलना, खिलना, अभिव्यक्ति आदि को ‘उन्मेष’ को कहते हैं। भारत कैसा हो, इसका मनन करेंगे। करीब 425 लेखक, कवि, कलाकार आए हैं। 15 देशों के लोग आए हैं। यहां 60 भाषाओं के लोग हैं। ये आजादी का अमृत महोत्सव है। शिमला जैसे ऐतिहासिक शहर में यह साहित्यिक चिंतन बड़ा आयोजन है। शिमला में इस मंथन से अमृत निकालेंगे। ऐसा साहित्योत्सव प्रतिवर्ष करने का प्रयास करेंगे। यह अपनी तरह का पहला आयोजन है। यह प्रथम साहित्य सम्मेलन शिमला में हो रहा है।

केंद्रीय राज्य संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान शिमला जैसे एतिहासिक शहर मे ये आगाज किया गया जो ऐतिहासिक है और इस दौरान आजादी के 75 वर्षो मे साहित्यिक रूप मे हम कहां  पहुचे और आगे 25 वर्षों में कहां पहुंचना हैख, इसका रोडमैप बनेगा।  इसलिए इस उत्सव का उद्देश्य यह मंथन है। उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजन अब संस्कृति मंत्रालय द्वारा हर वर्ष देश के अलग-अलग स्थानों पर किए जाएंगे। शिमला की बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां अनेकों ऐतिहासिक स्थल हैं और इस जगह का अपना अलग महत्व है, ऐसे मे संस्कृति मंत्रालय द्वारा पर्यटन विभाग के सहयोग से जल्द ही एक बड़े संगीत महोत्सव के आयोजन की योजना है, जिसके लिए जल्द शिमला व आसपास के क्षेत्रों में स्थान व समय का चयन किया जाएगा। 

बता दें ‘उन्मेष : अभिव्यक्ति का उत्सव’ शीर्षक से आयोजित किए जा रहे इस उत्सव में 32 एलजीबीटीक्यू लेखक, 40 आदिवासी भाषाओं, 25 उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों, नौ प्रवासी भारतीय, नौ विदेशी लेखकों सहित 24 अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं के 300 लेखक उपस्थित रहेंगे। यानी 64 आदिवासी-भारतीय भाषाओं में संवाद से युक्त यह उत्सव होगा।

 साहित्य उत्सव के लिए बॉलीवुड के जाने-माने गीतकार गुलजार समेत कई गण्यमान्य प्रतिभागी शिमला पहुंचे हैं। गुलजार ने गुरुवार को मालरोड व रिज की सैर की। इसके बाद गेयटी थियेटर पहुंचे।

 

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