भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के भाषण के एक छोटे से हिस्से को कांट-छांट कर जनता को गुमराह करने का कर कांग्रेस रही प्रयास : रणधीर शर्मा

पंचायतीराज संस्थाओं व शहरी निकाय चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार अपने निर्णय पर करे पुर्नविचार : रणधीर शर्मा

शिमला : हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनाव के सम्बन्ध में लिए निर्णय की कड़ी आलोचना करती है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री व विधायक रणधीर शर्मा ने आज जारी एक प्रैस बयान में कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा इस सम्बन्ध में लिए गए निर्णय सरकार की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकाय चुनाव के सम्बन्ध में वीरभद्र सरकार द्वारा अभी तक लिए गए निर्णय जहां धांधली होने की शंका पैदा करते हैं वही दल-बदल को बढ़ावा देने का शक जाहिर करते हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों में आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया कम्पयूटर सॉफ्टवेयर की बजाए मैनुअल ही रखना सरकार की सोच को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि आज के तकनीकि युग में कम्पयूटर सॉफ्टवेयर को नकार कर मैनुअल प्रणाली से आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया पुरी करने के निर्णय से लगता है कि सरकार इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतने के बजाए धांधली करना चाहती है।

शर्मा ने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने शहरी निकायों में नगर निगम के मेयर, डिप्टी मेयर तथा नगर परिषदों व नगर पंचायतों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से तथा पार्टी सिम्बल पर करवाए थे परन्तु वर्तमान सरकार ने उस एक्ट में संशोधन कर इन पदों के चुनाव अप्रत्यक्ष करवाने का निर्णय लिया जिससे साबित होता है कि सरकार दल बदल को बढ़ावा देना चाहती है। यही नहीं अब शहरी निकाय के चुनाव पार्टी सिम्बल पर न करके दल-बदल को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

भाजपा महामंत्री ने कहा कि शहरी निकायों में महिला आरक्षण तय करने की पद्धति भी सही नहीं है। महिला आरक्षण जनसंख्या के आधार पर तय होना चाहिए परन्तु इस सरकार ने महिला आरक्षण तय करने की प्रक्रिया पर्ची सिस्टम से कर दी। जिसकी भारतीय जनता पार्टी कड़ी निंदा करती है क्योंकि इससे हेराफेरी की गुंजाईश बढ़ जाती है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि पंचायतीराज संस्थाओं व शहरी निकाय चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार अपने निर्णय पर पुर्नविचार करे।

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