- : मक्की 7.42 लाख टन व धान 1.32 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य
- : तिलहन 4.25 हजार टन, आलू 1.58 लाख टन, अदरक 35.0 हजार टन व सब्जी 10.15 लाख टन का उत्पादन लक्ष्य
- : निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कृषि सामग्री के समुचित व व्यापक प्रबन्ध
- राज्य के किसानों को उच्च गुणवत्ता की कृषि सामग्री उपलब्ध करवाने के उदेश्य से चालू खरीफ में 1000 खाद के नमूने, 150 कीटनाशकों के नमूने व 350 बीज के नमूने लिए जायेंगे व उनकी जांच की जायेगी
- फसलों एवं किस्मों का चुनाव, क्षेत्र विशेष की जलवायु, मृदा की दशा, पानी की उपलब्धता आदि पर ध्यान रखते हुये किया जाना चाहिए
- अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने के लिये अच्छी गुणवत्ता का बीज अत्यन्त आवश्यक
- फसलों का प्रमाणित बीज विश्वसनीय सरकारी संस्था या अन्य से खरीदें
- बीजों को बुवाई से पूर्व उपचारित करने से अधिक उपज प्राप्त होती है तथा बीमारियों से भी बचाव होता है
- किसानों से कृषि निदेशक का आह्वान : कृषि सम्बन्धी जानकारी व सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाओं का विभाग के माध्यम से लें अधिक लाभ
शिमला: कृषि उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषि विभाग ने चालू खरीफ मौसम में 8.96 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें मक्की 7.42 लाख टन व धान 1.32 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त तिलहन 4.25 हजार टन, आलू 1.58 लाख टन, अदरक 35.0 हजार टन व सब्जी 10.15 लाख टन का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। यह जानकारी कृषि निदेशक डॉ. देस राज ने दी।
डॉ. देस राज ने बताया कि निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कृषि सामग्री के समुचित व व्यापक प्रबन्ध किए गये हैं, जिनके अन्तर्गत 25,600 क्विंटल उन्नत बीज, 21,000 टन खादें (तत्वों के रूप में), 100 क्विंटल जीवाणु खादें, 80 टन दवाईयां व 60,000 सुधरे औजार किसानों को उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। इसके साथ किसानों को खाद्यान्न, दलहन, तिलहन व सब्जी के बीज व कीटनाशक दवाईयों, पौध संरक्षण उपकरणों पर उपदान दिया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य के किसानों को उच्च गुणवत्ता की कृषि सामग्री उपलब्ध करवाने के उदेश्य से चालू खरीफ में 1000 खाद के नमूने, 150 कीटनाशकों के नमूने व 350 बीज के नमूने लिए जायेंगे व उनकी जांच की जायेगी। इसके अतिरिक्त किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने हेतु एक नवीन योजना आरम्भ की है जिसके अन्तर्गत के आधार पर किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लिए जाएंगे तथा उनका परीक्षण सभी पोषक तत्वों के लिए विभाग की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जायेगा।
डॉ. देस राज ने कहा कि प्रदेश की बढ़ती हुई जनसंख्या को भोजन उपलब्ध करवाने के लिये यह आवश्यक है कि अधिक से अधिक खाद्यान्न उत्पादन किया जाएं। प्रदेश में अधिकतर किसान लघु एवं सीमान्त है, जो कृषि से पर्याप्त उत्पादन व आय अर्जित करने में अक्षम है। यदि इन्हें कृषि क्षेत्र से पर्याप्त आय हो तभी ये अपने परिवार का सही ढंग से पालन-पोषण कर सकते है तथा अर्जित पूंजी पुनः कृषि कार्यो में जैसे खाद, अच्छे बीज व कृषि यन्त्र आदि खरीदने में लगा सकते हैं। अतः विभाग द्वारा निर्धारित उत्पादन सम्बन्धी लक्ष्यों को पूरा करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
डॉ. देस राज ने कहा कि खरीफ फसलों का उत्पादन मानसून पर निर्भर करता है, जिसके कारण वर्ष दर वर्ष उत्पादन में उतार चढ़ाव आता रहता है। खरीफ फसलों में खरपतवार, कीट एवं रोग का प्रकोप भी अधिक रहता है। उचित फसल प्रबन्धन से खरीफ फसलों का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। इसके लिए खेत की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। फसलों एवं किस्मों का चुनाव, क्षेत्र विशेष की जलवायु, मृदा की दशा, पानी की उपलब्धता आदि पर ध्यान रखते हुये किया जाना चाहिये। अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने के लिये अच्छी गुणवत्ता का बीज अत्यन्त आवश्यक है। फसलों का प्रमाणित बीज विश्वसनीय सरकारी संस्था या अन्य से खरीदना चाहिये। बीजों को बुवाई से पूर्व उपचारित करने से अधिक उपज प्राप्त होती है तथा बीमारियों से भी बचाव होता है।
उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे कृषि सम्बन्धी जानकारी व सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाओं का विभाग के माध्यम से अधिक से अधिक लाभ लें।