विभागों को सूखे जैसी स्थिति के लिए आकस्मिक योजना तैयार करने के निर्देश : ओंकार शर्मा

प्रदेश में किसानों के लिए वरदान बना सुदृढ़ “कृषि विपणन नेटवर्क”

कृषि हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी का एक प्रमुख घटक है तथा राज्य की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। यद्यपि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां के कारण प्रदेश में कृषि योग्य भूमि कम है, फिर भी प्रदेश में कृषि व बागवानी के क्षेत्र में व्यापक क्रांति आई है। इसका श्रेय जहां एक ओर प्रदेश के मेहनतकश किसानों को जाता है, वहीं इसका श्रेय राज्य सरकार द्वारा किसानों व बागवानों के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को भी जाता है। राज्य में प्राकृतिक एवं अन्य समस्याओं से प्रदेश के किसानों व बागवानों को राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने अनेक सार्थक पहल की हैं। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में एक सुदृढ़ विपणन नेटवर्क विकसित किया गया, ताकि किसानों व बागवानों को उनके उत्पाद को मण्डियों तक आसानी से पहुंचा सके और उन्हें विचौलियों के हाथों से भी बचाया जा सके। प्रदेश में किसानों को उनके उत्पाद के उचित मूल्य सुनिश्चित बनाने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 1972 में हिमाचल प्रदेश राज्य विपणन बोर्ड का गठन किया। इसके उपरान्त किसानों को, जहां उनके उत्पाद के उचित मूल्य मिलने लगे, वहीं प्रदेश को राजस्व की प्राप्ति भी हुई है। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से, जहां प्रदेश के किसानों के चेहरे पर खुशी झलकी है, वहीं वे बेहतर खेती के लिए भी प्रेरित हुए हैं।

किसानों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित बना रही है कि राज्य में कृषि उत्पादों के मूल्यों में किसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो और उन्हें अपनी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकें, इसके लिए सरकार ने प्रदेश में बेहतर कृषि विपणन ढांचा विकसित किया हुआ है। राज्य में हिमाचल प्रदेश कृषि एवं बागवानी उत्पाद विपणन (विकास एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2005 को लागू किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रदेश में 10 कृषि उत्पाद मण्डी समितियों का गठन किया गया।

प्रदेश में किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने मार्किट यार्डों का निर्माण किया है, जिसमें दुकान एवं गोदाम, बोली प्लेटफार्म, किसान विश्राम गृह, आंतरिक सड़कों, चार दीवारी, पेयजल एवं शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तथा क्लोज सर्किट कैमरे जैसी अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं। अभी तक राज्य सरकार के वर्तमान कार्यकाल में प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर 56 मार्किट यार्डों का निर्माण किया गया है। प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में, जहां सड़कों की समुचित सुविधा नहीं है, वहां सरकार द्वारा रज्जू मार्गों का निर्माण किया जा रहा है, ताकि किसानों के उत्पादों को निकटतम सड़क मार्ग तक पहुंचाया जा सके। अभी तक प्रदेश में 8 रज्जू मार्गों का निर्माण पूरा किया जा चुका है। पूर्व में बेहतर सड़क नेटवर्क के अभाव में किसानों को अपने उत्पाद को कम दामों पर स्थानीय मण्डियों में बेचना पड़ता था, परन्तु वर्तमान राज्य सरकार ने सम्पर्क मार्गों का व्यापक नेटवर्क सृजित किया, जिससे किसान अपने उत्पाद को मण्डियों तक ले जाने में सफल हो सकें। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में फल एवं सब्जी मण्डियों के निर्माण के अतिरिक्त भण्डारण केन्द्रों का भी निर्माण किया गया। अभी तक प्रदेश सरकार द्वारा 17 कोल्ड स्टोर स्थापित किए गए हैं। सरकार द्वारा निकट भविष्य में और अधिक कोल्ड स्टोर स्थापित किए जाएंगे, जबकि शिमला जिला के पराला, रोहडृ, बागी, कोटखाई तथा खड़ा पत्थर तथा कुल्लू जिला के खेगसु एवं बन्दरोल में नियंत्रित वातावरण भण्डारों का निर्माण किया जा रहा है।

बेहतर विपणन, कृषि उत्पाद प्रबन्धन तथा कृषि विपणन के लिए किसानों के लिए कृषि प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों में किसानों को विपणन बोर्ड, मार्किट समिति, कृषि तथा उद्योग एंव कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों द्वारा विपणन की बारिकीयों की जानकारी दी जा रही है। किसानों के लिए अपने उत्पाद को मण्डी में बेचने के लिए नियमित बाजार भाव की जानकारी आकाशवाणी शिमला तथा दूरदर्शन केन्द्र के माध्यम से प्रदान की जा रही है। किसानों को विभिन्न कृषि उत्पादां के बाजार भाव की जानकारी नेशनल नेटवर्क पर आधारित एक कृषि विपणन सूचना नेटवर्क, ‘एग्मार्क नेट’ के माध्यम से भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं। किसानों की सुविधा के लिए एक वैब पोर्टल का भी सृजन किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न मण्डियों तथा उप-मण्डियों में किसानों व व्यापारियों की सुविधा के लिए मूल्य पटिकाएं भी स्थापित की गई हैं।

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