विधानसभा सत्र में विपक्ष ने उठाए चर्चा के दौरान विभिन्न मुद्दे

  • प्रश्नकाल

हिमाचल विधानसभा सत्र में शुक्रवार को विपक्ष के सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान विभिन्न मुद्दे उठाए गए। मुख्यमंत्री ने विपक्ष द्वारा पूछे गये प्रश्न, “पंचायती राज चुनाव शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न नहीं हुए?” का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में नवम्बर, 2015 से जनवरी, 2016 के दौरान पंचायतों तथा नगर निकायों में छिट-पुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्ण मतदान सम्पन्न हुए।

उन्होंने कहा कि विपक्ष का प्रश्न है किजिला परिषद तथा पंचायत समिति में चौदहवें वित आयोग की सिफारिशों के अनुसार धनराशि आबंटित नहीं की जा रही है?”

मुख्यमंत्री ने इस सवाल के जवाब में बताया कि 14वें वितायोग की सिफारिषों के अनुसार भारत सरकार से प्राप्त राशि को सीधे रूप से ग्राम पंचायतों को मूलभूत सेवायें प्रदान करने हेतु स्वीकृत किया गया है तथा पंचायत समिति तथा जिला परिषद को उपरोक्त राशि का कोई भी हिस्सा ना प्रदान करने की सिफारिश की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले को पंचायती राज मन्त्रालय, भारत सरकार के साथ उठाया गया है तथा 1 जून, 2015 व 25 फरवरी, 2016 को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मन्त्री, भारत सरकार को अर्धषासकीय पत्र लिख कर आग्रह किया है कि कुछ प्रतिशत धनराशि जिला परिषद तथा पंचायत समिति को भी चिन्हित की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने कोल्ड स्टोर बनाने का मामला भी उठाया था? उन्होंने इस का जवाब देते हुए कहा कि बागवानी मिशन के अन्तर्गत 4 सी.ए. स्टोर हेतु भारत सरकार द्वारा अनुमोदन दिया गया है जिनमें से 2014-15 में 2 सी.ए. स्टोर सैंज, तहसील ठियोग, जिला शिमला (3500 मीट्रिक टन) तथा अन्य गांव कोटला,तहसील बददी, जिला सोलन (5671 मीट्रिक टन) स्थापित किए गए जिनपर क्रमशः 6.16 करोड़ व 14.23 करोड़ रूपये की राशि उपदान के रूप में दी गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “विपक्ष ने आरोप लगाया कि कॉपरेटिव बैंक में लोन देने के नाम पर कमीशन का धन्धा चल रहा है?” मुख्यमंत्री ने विपक्ष के इस सवाल के जवाब में कहा विपक्ष के नेता से अनुरोध है कि वे साक्ष्य दें तो मैं उसकी पूरी तफ्तीश करवाऊंगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का आरोप है कि “उद्योगों के माध्यम से पूंजी निवेश नहीं हो पा रहा है तथा रोजगार के अवसर सृजित करने में सरकार नाकाम रही है। प्रदेश से उद्योगों का पलायन भी हो रहा है?”

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस सवाल का जवाब देते हुए बताया कि प्रदेश में लगभग 41000 औद्योगिक इकाईयां स्थापित हैं जिनमें कुल निवेश लगभग 19000 करोड रू. है और लगभग 2,90,000 लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है । इनमें से गत पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में 1569 औद्योगिक इकाईयां स्थापित हुई जिनमें मु. 2454.96 करोड रू. का निवेश हुआ है व 16623 लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने “बड़सर के भालत में डिपो पर कम वजन के दाल तथा तेल के पैकेट पाए जाने का जिक्र किया तथा दालों और नमक की गुणवता पर भी सवाल उठाए?

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस सवाल के जवाब में कहा कि माह दिसम्बर, 2015 तथा जनवरी, 2016 की अवधि में राजमाह के 29 नमूने की गुणवत्ता का विशलेषण विभिन्न प्रयोगशालाओं में करवाया गया। 27 नमूने मानकों के अनुसार पाए गए; केवल दो नमूने मानको के अनुसार नहीं पाए गए। इस योजना के अन्तर्गत प्रतिमाह लगभग 32 लाख पैकेट खाद्य तेल व 17 लाख पेकेट राजमाह प्रदेश के उपभोक्ताओं को वितरित किए जाते हैं व इतनी बड़ी आपूर्ति में एक या दो पैकेट में कमी को नकारा नहीं जा सकता। हमारी सरकार का यह प्रयास रहेगा कि इस तरह की इक्का-दुक्का घटनाएं भी न हों ।

दालों, तेल, नमक व अन्य खाद्य पदार्थों की मात्रा व गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को समय-2 पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि वे व्यक्तिगत तौर पर, प्राप्त हो रही खाद्य वस्तुओं की जांच करते रहें। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा भी खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु टीमें गठित करने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने यह भी पूछा कि क्या सरकार ने कोई सर्वे करवाया है कि बन्दर, आवारा पशुओं व जंगली जानवरों से कितने किसानों ने कृषि करनी बंद कर दी है। उन्होंने प्रत्येक पंचायत में गौसदन बनाने की स्थिति भी जाननी चाही है?”

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग द्वारा बन्दरों की संख्या हेतू सर्वेक्षण जरूर करवाया गया है लेकिन बन्दरों, आवारा पशुओं व जंगली जानवरों से कितने किसानों ने कृषि करनी बंद कर दी है, ऐसा कोई सर्वेक्षण विभाग द्वारा नहीं करवाया गया है। जून, 2013 की गणना के अनुसार प्रदेश में बन्दरो की कुल संख्या 2,26,086 आंकी गई है। बन्दरो की जनसंख्या पर नियंत्रन पाने के लिए राज्य सरकार ने 8 बन्दर नसबन्दी केन्द्र खोले हैं। इन केन्द्रो में दिनांक 3 जनवरी 2016 तक 1,02,604 बंदरो की नसबंदी की जा चुकी है।

बंदरो के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने तथा इन्हें वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा-62 के अन्तर्गत वर्मिन (अमतउपद) घोषित करने का मामला पुनः प्रभावी तरीके से केन्द्र सरकार से उठाया है। इस विषय पर पत्राचार जारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी तथा भर्ती बारे भी उल्लेख किया है?

मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में 10017 पद उच्चतर शिक्षा विभाग तथा 14536 पद प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा भरे गए। पिछले वर्ष लगभग 6018 विभिन्न श्रेणी के पदों को भरा गया तथा अन्य हजारो पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने “बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का भी मामला उठाया?”

मुख्यमंत्री ने कहा मैं कहना चाहूंगा कि राज्य सरकार बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए वचनबद्ध है इसके लिए राज्य सरकार ने कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की स्थापना की है जिसके अर्न्तगत विभिन्न विभागों द्वारा कौशल विकास की स्कीमों को इकट्ठा करके कार्यन्वयन किया जाएगा ताकि राज्य के बेरोजगार युवाओं को परिपक्व कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाए जिससे उनकी आजिविका सुदृढ़ हो सके। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने भारत सरकार से कौशल विकास परियोजना के अन्तर्गत एशियन विकास बैंक से बाह्य सहायता प्राप्त करने के लिए मु. 640 करोड़ रूपये की परियोजना तैयार की है जिसे हाल ही में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग ने स्वीकृति प्रदान की है। जिसके अन्तर्गत आगामी 5 वर्षों में एक लाख अतिरिक्त बेरोजगार युवाओं को इस परियोजना के अन्तर्गत प्रशिक्षित किया जाएगा।

प्रश्नकाल के दौरान हिलोपा नेता महेश्वर सिंह के पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों मे मतदाताओं के नाम काटे जाने पर आपत्ति उठाई तथा राज्य चुनाव आयोग पर नाम काटने का आरोप लगाए जाने के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत चुनावों की मतदाता सूचियों के आधार पर ही बनाई जाती है। इन्हें बनाते समय पंचायतों के लोगों को समय-समय पर जानकारी दी जाती है।

बलदेब तोमर, शिलाई ने : “प्रदेश में पेंशन के लम्बित पड़े मामलों तथा आवेदकों की पिक-एण्ड-चूज बारे आरोप लगाया। उन्होंने गरीबों को मकान आबंटन पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया?”

मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश में गत तीन वषों के दौरान विभाग को सामाजिक सुरक्षा पैंशन योजना के अंतर्गत विभिन्न पैंशन श्रेणियों के 1,30,901 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें से इस अवधि के दौरान 95,933 लोगों को पैंशन स्वीकृत की गई है। वर्तमान में 34,968 मामले लम्बित है जो स्वीकृति हेतु सरकार के विचाराधीन हैं जिन्हें शीघ्र ही निपटाने का प्रयास किया जाएगा। सामाजिक सुरक्षा पैंशन की स्वीकृति योजना के संचालन हेतु बनाए गए सॉफटवेयर के माध्यम से की जाती है जिसमें पिक-एण्ड-चूज़ की सम्भवना नहीं हैं।

विभाग द्वारा संचालित ‘गृह निर्माण अनुदान योजना‘ कें अंतर्गत पात्रा लोंगों को गृह निर्माण अनुदान स्वीकृत करने हेतु लाभार्थियों का चयन जिला स्तर पर गठित ‘जिला कल्याण समिति‘ द्वारा किया जाता है। इन जिला कल्याण समितियों में सरकारी सदस्यों के अतिरिक्त सम्बधित जिला के सभी माननीय संसद सदस्य विधायक तथा अध्यक्ष, नगर परिषद/समिति/नगर पंचायत सदस्य है, जिनके द्वारा पात्रा लोंगों को गृह निर्माण अनुदान स्वीकृत करने हेतु लाभार्थियों का नियमानुसार चयन/अनुमोदन प्रदान किया जाता है।

बलदेब तोमर, शिलाई : ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा अतिक्रमण हटाने के मामले में राजनीतिक तौर पर पिक-एण्ड-चूज किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा वन भूमि पर अतिक्रमण हटाया जा रहा है। यह वन विभाग के कार्यक्रम तथा माननीय हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशानुसार किया जा रहा है न कि किसी राजनैतिक आधार पर।

रविन्द्र रवि, देहरा वनों में अवैध कटान का मुद्दा उठाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग के अवैध कटान व तस्करी रोकने के प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 2014-15 में अवैध कटान के कुल 3096 मामले पकड़े गए जिनमें 4.5करोड़ रूपये कीमत की 621 घन मीटर लकड़ी जब्त की गई। इनमें से 57 मामलों में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाकर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

जहां तक हरोली में गुण्डा तत्वों द्वारा वन कर्मियों पर हमले का मामला है इस बारे हरोली थाना में दिनांक 19.02.2016 को शिकायतें 31 दर्ज करवाई जा चुकी है तथा कानून के अनुसार कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

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