
शिमला: शिमला के ठियोग के फागू में एक दर्दनाक सडक़ हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। हादसा उस समय हुआ जब हरियाणा रोडवेज की बस (एचआर 55जीवी-5355) ठियोग की ओर जा रही थी। इसी दौरान सरफराज (41) पुत्र बकील अहमद, निवासी दाबकी, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), जो फागु में नाई की दुकान चलाता था, बस को रोकने की कोशिश कर रहा था। लेकिन बस चालक ने वाहन नहीं रोका जिसके बाद सरफराज बस के पीछे दौडऩे लगा। इसी दौरान उसका संतुलन बिगड़ गया और वह फिसलकर बस के पिछले टायर के नीचे आ गया। हादसे में उसकी दोनों टांगें बुरी तरह कुचल गईं और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत घायल सरफराज को आईआईएमसी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस थाना ठियोग की टीम मौके पर पहुंची और घटनास्थल का जायजा लिया।
पुलिस को दी गई शिकायत में मुस्तफा निवासी बाबूपुरा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) ने बताया कि वह पेशे से वेल्डर है और मृतक सरफराज को जानता था। मुस्तफा के बयान पर पुलिस ने 119/25 धारा 281, 106(1) बीएनएसएस के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बस चालक के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने का मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस दवारा मामले की जांच की जा रही है।

चौपाल, नेरवा, रोहड़ू एवं कोट काइना में विभिन्न कार्यक्रमों में करेंगे शिरकत
शिमला: शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर 16 से 19 अक्टूबर, 2025 तक चौपाल, नेरवा, रोहड़ू और कोट काइना के प्रवास पर रहेंगे। यह जानकारी एक सरकारी प्रवक्ता ने दी।
उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री 16 अक्टूबर को सायं 6 चौपाल में जी.यू.एस.एस.एस., चौपाल के शताब्दी समारोह एवं सांस्कृतिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे।
शिक्षा मंत्री 17 अक्टूबर को प्रातः 10 बजे नेरवा में जी.यू.एस.एस.एस., नेरवा के बहुउद्देशीय भवन का शिलान्यास करेंगे। इसके उपरांत वह पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे तथा जनता की शिकायतें सुनेंगे। इसके पश्चात् दोपहर 12 बजे चौपाल में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खद्दर के नए भवन का शिलान्यास करेंगे। इसके बाद वह पीएम श्री जी.यू.एस.एस.एस., चौपाल में आयोजित अंडर-19 गर्ल्स राज्य स्तरीय माइनर गेम्स के समापन समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। इसके उपरांत वे पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे तथा जनता की शिकायतें सुनेंगे।
शिक्षा मंत्री 18 अक्टूबर को प्रातः 10.30 बजे राजा वीरभद्र सिंह राजकीय महाविद्यालय, सीमा (रोहड़ू) में दिव्य हिमाचल द्वारा आयोजित मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि होंगे।
रोहित ठाकुर 19 अक्टूबर को प्रातः 11 बजे ग्राम पंचायत कोट काइना में पंचायत भवन एवं सामुदायिक केंद्र का उद्घाटन करेंगे तथा पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और जनता की शिकायतें सुनेंगे।

शिमला : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा अनावरण में उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त किया है।उन्होंने कहा है कि इस जन सैलाब ने साबित कर दिया है कि प्रदेश के लोग आज भी वीरभद्र सिंह व उनकी विचारधारा के साथ वैसे ही खड़े है जैसे पहले, उनके जीवन काल मे साथ खड़े रहते थे। उनके प्रति इस प्यार व स्नेह के लिये होली लॉज हमेशा ही प्रदेशवासियों का आभारी व ऋणी रहेगा।
प्रतिभा सिंह ने कहा है कि शिमला के ऐतहासिक रिज मैदान पर स्थापित वीरभद्र सिंह की प्रतिमा सदैव हम सबको साथ लेकर प्रेमभाव से आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा है कि भले ही अब वीरभद्र सिंह जी हमारे बीच नही है पर उनके आदर्श,उनके कार्य उनका आशीर्वाद हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा।
प्रतिभा सिंह ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू,उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सहित इस समारोह में उपस्थित सभी केंद्रीय नेताओं रजनी पाटिल,राजीव शुक्ला, सचिन पायलट,दीपेंद्र हुड्डा,चेतन चौहान, विदित चौधरी व प्रदेश के सभी नेताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि यह ऐतहासिक समारोह प्रदेश की जनता की भावना का सम्मान और कांग्रेस विचारधारा को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

शिमला: प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्वास्थ्य विभाग में डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा देते हुए प्रदेश के अस्पतालों में होने वाले मेडिकल टेस्टों की ऑनलाइन पेमेंट के लिए ऐप विकसित करने निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग, डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस विभाग से समन्वय स्थापित कर एक महीने के भीतर ऐप विकसित करेगा ताकि लोगों को सुलभ एवं कैशलैस सेवाएं प्राप्त हों। उन्होंने कहा कि अब लोगों को अस्पतालों में टेस्टों की फीस जमा करवाने के लिए कतारों में नहीं लगना पड़ेगा तथा उन्हें गुणात्मक एवं निर्बाध स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इच्छुक व्यक्ति विभिन्न अस्पतालों में नियुक्त चिकित्सकों के साथ ऑनलाइन अपॉइंटमेंट भी निर्धारित कर सकेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार, स्वास्थ्य विभाग में अनेक सुधार कर रही है तथा प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों तथा अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीनरी उपलब्ध करवाई जा रही है ताकि लोगों को स्वास्थ्य जांच एवं इलाज के लिए प्रदेश से बाहर न जाना पड़े। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आगामी वर्षों में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता तथा स्वास्थ्य अधोसंरचना के विकास और विस्तार पर 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि व्यय करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र वर्तमान प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में है तथा लोगों को गुणात्मक स्वास्थ्य एवं शिक्षा प्रदान करने के लिए अनेक महत्त्वाकांक्षी योजनाएं शुरू की गई हैं।

शिमला: तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने आज यहां तकनीकी शिक्षा संबंधी समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश के युवा नवोन्मेषी विचारों और ऊर्जा से परिपूर्ण हैं। युवाओं को उद्यमशीलता की ओर आकर्षित करने के लिए उद्योग विभाग के साथ विभिन्न तकनीकी संस्थानों में एंटरप्रेन्योरशिप कार्यक्रम आयोजित करवाए जाएंगे। कार्यक्रम के तहत युवाओं में नेतृत्व के गुणों के विकास के साथ-साथ उनके नवाचारों को साकार करने के अवसर दिए जाएंगे। इसके लिए उद्योग जगत से जुड़े विशेषज्ञों की सहायता ली जाएगी। इसके अतिरिक्त हिमुडा के साथ भी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जाएगा।
धर्माणी ने कहा कि राज्य में सूक्ष्म, लघु उद्यमों और स्टार्ट-अप इको सिस्टम का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से युवाओं के स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत से संबंधित विभिन्न संघों के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है ताकि युवा उद्यम स्थापित कर सकें।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में ब्यूटी और वेलनेस तथा फैशन उद्योग के विस्तार के दृष्टिगत युवाओं को इस इंडस्ट्री की तरफ आकर्षित करने के लिए देश के प्रतिष्ठित ब्रांड्स के साथ समन्वय स्थापित किया गया है और युवाओं को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है। आधुनिक समय की मांग को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रमों को तैयार किया जा रहा है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि हिमाचल जैसे प्राकृतिक आपदा संवेदनशील राज्य में आपदा प्रबंधन विषय का अपना महत्त्व है। इसके दृष्टिगत प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, बहु तकनीकी एवं इंजीनियरिंग संस्थानों में बच्चों को आपदा प्रबन्धन विषय की व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी। इसके तहत उन्हें आपदा से निपटने का व्यवहारिक ज्ञान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में प्रदेश के युवाओं के लिए राज्य में स्किल अकेडमी और डिजिटल यूनिवर्सिटी को भी स्थापित किया जाएगा।
बैठक में सचिव तकनीकी शिक्षा संदीप कदम और निदेशक तकनीकी शिक्षा अक्षय सूद सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

भविष्य में भारतीय मानक बनेंगे वैश्विक मानक: अनुराग सिंह ठाकुर
अनुराग सिंह ठाकुर ने विश्व मानक दिवस पर बद्दी में मानक उत्कृष्टता के लिए पाँच सूत्रीय एजेंडा प्रस्तुत किया
हिमाचल : पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज देवभूमि हिमाचल के ज़िला सोलन में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) परवाणू, बद्दी में विश्व मानक दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भारत के मानक पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिए एक व्यापक पाँच सूत्रीय व्यावहारिक एजेंडा प्रस्तुत किया, जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के “शून्य दोष, शून्य प्रभाव” विनिर्माण उत्कृष्टता प्राप्त करने के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
अनुराग सिंह ठाकुर ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के कार्यक्रम में बोलते हुए पिछले एक दशक में गुणवत्ता मानकों के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “ आज जब हमारा ध्यान हम वर्ष 2014 में यूपीए सरकार की ओर जाता है तो उस समय केवल 14 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जारी किए गए थे, जिनमें 106 उत्पाद शामिल थे। पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार के नीति व नियत की बदौलत आज हमारे पास 187 क्यूसीओ हैं, जिनमें 770 उत्पाद शामिल हैं, जो अनिवार्य बीआईएस प्रमाणन के अधीन हैं। श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह परिवर्तन घटिया गुणवत्ता को मानक मानने से हटकर उत्कृष्टता की माँग को अधिकार मानने की ओर एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बेचने वाले व्यापारी को हमें वह देने के बजाय, जिसके हम हक़दार हैं, हमें उपकार करने के रूप में देखा जाता था, लेकिन हमने इसे बदल दिया है”
अनुराग सिंह ठाकुर ने मानक उत्कृष्टता के लिए पाँच प्रमुख व्यावहारिक एजेंडा वाला एक दूरदर्शी रोडमैप प्रस्तुत किया।
1. एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स तक मानकों की पहुँच को गहरा करें
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि व्यावहारिक मार्गदर्शन, स्थानीय प्रशिक्षण और तेज़ अनुरूपता मूल्यांकन छोटी इकाइयों को वैश्विक बाज़ारों में आगे बढ़ने में मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि बीआईएस परवाणू उद्योग-बीआईएस साझेदारी के लिए एक आदर्श केंद्र बन सकता है, क्योंकि भारत के 6.63 करोड़ पंजीकृत एमएसएमई, जो सकल घरेलू उत्पाद में 30% और निर्यात में 45% से अधिक का योगदान करते हैं, की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी जा रही है।
2. मानकों को स्थिरता मानकों से जोड़ें
पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने ऐसे मानकों का आह्वान किया जो जीवनचक्र मूल्यांकन, पुनर्चक्रण क्षमता और ऊर्जा दक्षता को शामिल करें, यह सुनिश्चित करते हुए कि “हरित” मापनीय हो और ख़रीद प्रक्रियाओं में अनिवार्य हो।
3. इंजीनियरिंग और प्रबंधन पाठ्यक्रमों में मानक साक्षरता को बढ़ावा देना
उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों और पॉलिटेक्निकों के शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि युवाओं को मानकों का ज्ञान दिया जाए, ताकि युवा पेशेवर कार्यस्थल पर मानकों को स्वाभाविक रूप से अपना सकें।
4. तेज़, डिजिटल और पारदर्शी प्रमाणन मार्गों को बढ़ावा देना
अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को अपनाने, डिजिटल उपकरणों को अपनाने और गुणवत्ता से समझौता किए बिना बाज़ार में आने के समय को कम करने के लिए प्रयोगशालाओं का स्थानीयकरण करने से भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन मिल रहा है, जो 350 से बढ़कर 1.59 लाख से अधिक संस्थाओं तक पहुँच गया है।
5. स्थानीय आवश्यकताओं की रक्षा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समन्वय को प्रोत्साहित करें*
आईएसओ और आईईसी मानकों के साथ भारत की 94% सामंजस्यता की वर्तमान उपलब्धि पर विचार करते हुए, श्री ठाकुर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्यता को बड़े पैमाने पर अपनाया जाना चाहिए, ताकि हमारे निर्यातकों को कम बाधाओं का सामना करना पड़े।
अनुराग सिंह ठाकुर ने गुणवत्ता उत्कृष्टता के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की अटूट प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि जब सरकार ने मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया था, तो मोदी जी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि हमारा विज़न ‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट’ होना चाहिए, यानी हमारे गुणवत्तापूर्ण उत्पादों में कोई दोष नहीं होना चाहिए, वे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होने चाहिए, और पर्यावरण पर उनका कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए।
अनुराग सिंह ठाकुर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसी दर्शन ने भारत को हर क्षेत्र में 23,500 से ज़्यादा मानकों को लागू करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे भारतीय उत्पाद वैश्विक मानकों को पूरा करने और उनसे आगे निकलने की स्थिति में हैं।
अनुराग सिंह ठाकुर ने उद्योग जगत से, मानकों में निवेश को विश्वास में निवेश के रूप में करने का आग्रह किया। गुणवत्ता, निरंतरता और सुरक्षा तीन ऐसे मानदंड हैं जो हमें विश्व स्तर पर सबसे विश्वसनीय और अपराजेय बनाते हैं। उन्होंने नवप्रवर्तकों से कहा, “मानकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन करें, इससे अपनाने में तेज़ी आती है और यह सुनिश्चित होता है कि आपके नवाचार वैश्विक बाज़ारों तक तेज़ी से पहुँचें।” नागरिकों से, उन्होंने कहा, “प्रमाणित, चिह्नित और सुरक्षित उत्पादों की माँग करें।” जब उपभोक्ता गुणवत्ता पर ज़ोर देते हैं, तो बाज़ार उत्कृष्टता के साथ प्रतिक्रिया देते हैं।”
मानकों की उत्कृष्टता को 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के दृष्टिकोण से जोड़ते हुए, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के हमारे उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए बीआईएस, एमएसएमई और स्टार्ट-अप एक बेहतरीन संयोजन की भूमिका निभाएंगे। भारत के दूसरे सबसे बड़े रोज़गार क्षेत्र, एमएसएमई क्षेत्र में 26.77 करोड़ लोग कार्यरत हैं, इसलिए उद्यमशीलता की भावना के नए अवतार के रूप में भारत की स्थिति बनाए रखने के लिए मानकों की उत्कृष्टता महत्वपूर्ण हो जाती है।
उपभोक्ता जागरूकता में बदलाव पर प्रकाश डालते हुए, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि कैसे उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा एआई-जनित ‘जागृति’ पॉडकास्ट कार्यक्रम जैसी पहलों ने नागरिकों को गुणवत्ता और उचित मूल्य की मांग करने के लिए सशक्त बनाया है, जो पिछले एक दशक में मानसिकता में आए महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। अब मौजूद मज़बूत ढाँचे के साथ, भारत न केवल वैश्विक विकास के साथ तालमेल बिठा रहा है, बल्कि गुणवत्ता और सुरक्षा के नए मानक भी स्थापित कर रहा है। आने वाले समय में, भारतीय मानक वैश्विक मानक होंगे

सोलन: एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, पूरी तरह से प्राकृतिक खेती पद्धति से उगाए गए सेब की नीलामी देश में पहली बार अलग से की गई। डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (यूएचएफ), नौणी के अंतर्गत आने वाले कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), लाहौल एवं स्पीति–II, ताबो की इस पहल का नतीजा यह रहा कि इस 1100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले इस सेब बगीचे की नीलामी ₹9 लाख में हुई।
इस बगीचे में 120 सेब के विभिन्न किस्मों के पौधे हैं, जिन्हें रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों के बिना उगाया जाता है। रासायनिक आदानों के स्थान पर गोबर और गोमूत्र आधारित जैविक घोलों तथा स्थानीय पौधों से तैयार किए गए मिश्रणों का प्रयोग पोषण, मृदा उर्वरता एवं कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु किया जा रहा है।
स्पीति घाटी में प्राकृतिक खेती के अंतर्गत उगाए गए सेबों ने उत्कृष्ट गुणवत्ता के मानक प्रदर्शित किए हैं। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बिना उगाए गए इन फलों में परंपरागत खेती की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक फर्मनेस पाई गई, जिससे उनका बनावट और शेल्फ लाइफ बेहतर है। साथ ही, फलों में कुल घुलनशील ठोस पदार्थ (TSS) का स्तर भी 11 प्रतिशत अधिक पाया गया, जो प्राकृतिक मिठास और उपभोक्ता की पसंद का एक प्रमुख संकेतक है। प्राकृतिक खेती वाले इस बगीचे की मिट्टी में 2.79% ऑर्गेनिक कार्बन था, जो पारंपरिक विधि से प्रबंधित सेब के बगीचों (2.00%) की तुलना में अधिक था, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार का संकेत मिलता है। प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों ने बताया कि उनके सेबों की स्वाद, शेल्फ लाइफ और बाजार में कीमत पारंपरिक सेबों की तुलना में बेहतर रही है।
डॉ. आर. एस. स्फेहिया, केवीके ताबो के प्रमुख ने बताया कि यह केंद्र आईसीएआर-एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन रिसर्च इंस्टीट्यूट (अटारी), जोन-I, लुधियाना द्वारा वित्तपोषित है तथा विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रशासित किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बगीचे को वर्ष 2020 में प्राकृतिक खेती पद्धति में परिवर्तित किया गया था और इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय प्रशासन से निरंतर मार्गदर्शन एवं सहयोग मिला है।
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. इंदर देव ने बताया कि केवीके ताबो का प्राकृतिक खेती ब्लॉक वर्तमान में राज्य सरकार की सीतारा (CETARA) प्रमाणन प्रणाली के अंतर्गत 2-स्टार रेटिंग प्राप्त कर चुका है तथा 3-स्टार रेटिंग प्राप्त करने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह उपलब्धि किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करेगी और भारत सरकार के राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन को गति प्रदान करेगी।
कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने केवीके की टीम और विश्वविद्यालय के विस्तार विंग को बधाई देते हुए कहा कि नौणी विश्वविद्यालय अपनी सभी अनुसंधान केंद्रों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में अग्रणी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल स्पीति क्षेत्र के किसानों में टिकाऊ खेती को अपनाने की दिशा में और मजबूती देंगी।
प्रो. चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग की एनएबीएल-मान्यता प्राप्त अवशेष विश्लेषण प्रयोगशाला में इन सेब का प्रतिवर्ष रासायनिक अवशेष परीक्षण किया जाता है और परिणाम निरंतर यह प्रमाणित करते हैं कि फल पूरी तरह रसायन मुक्त हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि स्पीति घाटी में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि यहां के किसान पहले से ही न्यूनतम रासायनिक उर्वरक प्रयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि इस ठंडे मरुस्थलीय क्षेत्र की नाजुक मृदा और पारिस्थितिकी को सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। प्रो. चंदेल ने बताया कि स्पीति घाटी की ग्यू पंचायत पहले ही फसलों के उत्पादन में प्राकृतिक खेती अपना चुकी है। केवीके ताबो इस पंचायत के किसानों के साथ मिलकर इसे पूरी तरह प्राकृतिक खेती पंचायत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। इसके अनुमोदन के बाद यह पहल किसानों को अपने उत्पादों के लिए प्रीमियम मूल्य दिलाने के साथ-साथ उच्च हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण अनुकूल खेती को भी बढ़ावा देगी।

मण्डी: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज श्री लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज नेरचौक, जिला मण्डी के कार्यक्रम आईआरआईएस.2025 की अध्यक्षता की। उन्होंने नेरचौक मेडिकल कॉलेज में इसी वर्ष रोबोटिक सर्जरी शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा कि यहां एमआरआई मशीन लगाने के लिए 28 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसे दो माह में स्थापित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेरचौक में कैथ लैब के लिए राज्य सरकार ने 12 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिसमें से 9 करोड़ रुपये दे दिए गए हैं। जल्द ही सभी मेडिकल कॉलेजों में एम्स, दिल्ली की तर्ज पर एक ही ब्लड सैंपल से 100 टेस्ट किए जाएंगे। स्मार्ट डायग्नोस्टिक लैब के लिए 75 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार ने प्रदेश का खजाना लुटाया। अगर यह पैसा पिछली सरकार सही इस्तेमाल करती, तो आज स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होतीं। उन्होंने कहा कि जब देश विदेश में हिमाचल के डॉक्टर मिलते हैं तो सुखद एहसास होता है। हमारे डॉक्टर प्रतिभाशाली हैं लेकिन पुरानी तकनीक के कारण उन्हें मरीजों के इलाज में परेशानी आती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में टेक्नीशियन की कमी दूर करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाई गई हैं। इसके अतिरिक्त डिपार्टमेंट ऑफ एमरजैंसी मेडिसिन में 38 पद स्वीकृत किए गए हैं। वर्तमान सरकार को प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की खराब हालत विरासत में मिली लेकिन आज एम्स स्तर की तकनीक मेडिकल कॉलेजों में लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि शिमला चमियाणा अस्पताल और टांडा मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक सर्जरी शुरू कर दी गई है जहां 45 ऑपरेशन रोबोट के माध्यम से हुए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने सत्ता संभालने के पहले दिन से ही नीतिगत बदलाव किया ताकि लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलें। शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए व्यापक प्रयास किए गए हैं, जिससे आज शिक्षा के क्षेत्र में 60 प्रतिशत तक सुधार आया है। हम 21वें स्थान से बढ़कर 5वें स्थान पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए स्कूल तो खोल दिए लेकिन सुविधाएं नहीं थी, इसलिए हमें उन्हें बंद करने का फैसला लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि वह स्वयं सरकारी स्कूल में पढ़े हैं लेकिन बच्चों से बातचीत के दौरान उनमें आत्मविश्वास की कमी पाई। लेकिन सुधारों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं, जिसके लिए सभी अध्यापक बधाई के पात्र हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोल जा रहे हैं। पहली कक्षा से इंग्लिश मीडियम की शुरुआत की गई है और 100 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई आधारित बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने राजनीति छात्र जीवन से शुरू की और 26 वर्ष की आयु में शिमला नगर निगम का पार्षद बने। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की सेवा करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि सफलता हर बार नहीं मिलती है, लेकिन हमें असफलता से कभी निराशा नहीं होना चाहिए तथा सफलता पाने के लिए सभी को मेहनत से कार्य करना चाहिए।
सुक्खू ने छात्रों को 5 लाख रुपये सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए देने की घोषणा की।
शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज मंडी ज़िला के नेरचौक स्थित श्री लाल बहादुर शास्त्री राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में 8.37 करोड़ रुपये की पांच परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास किए।
उन्होंने 5.98 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले छात्र छात्रावास की आधारशिला रखी। उन्होंने चिकित्सा महाविद्यालय में 80 लाख रुपये की लागत से निर्मित राज्य प्रसूति प्रशिक्षण संस्थान एवं कौशल प्रयोगशाला, 6 लाख रुपये की लागत से निर्मित पोषण पुनर्वास केंद्र, 76 लाख रुपये की लागत से निर्मित व्यापक स्तनपान प्रबंधन केंद्र और 23 लाख रुपये की लागत से निर्मित एंडोस्कोपी इकाई का भी उद्घाटन किया।