- रेल मंत्रालय एवं जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय एक अच्छे ध्येय के लिए साझीदारी कर रहे हैं: उमा भारती
नई दिल्ली: रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु एवं जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती की उपस्थिति में रेल उद्येश्यों के लिए गंगा एवं यमुना नदी में स्थित सीवेज/ उत्प्रवाही उपचार संयंत्रों से उपचार के बाद पीने के अयोग्य जल के उपयोग को लेकर रेल मंत्रालय एवं जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के बीच आज 03 दिसंबर 2015 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा विशेष रूप से इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ए के मित्तल, मेंबर इंजीनियरिंग वी के गुप्ता एवं बोर्ड के अन्य सदस्य तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने इस अवसर पर कहा कि जल एक बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन है और भारतीय रेल अपनी विभिन्न गतिविधियों के लिए जल के सबसे बडे उपभोक्ताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल जल संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने अपने भाषण में कहा कि यह एक अच्छी शुरूआत है कि रेल मंत्रालय एवं जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के बीच एक अच्छे ध्येय के लिए साझीदारी कर रहे हैं।
समझौता ज्ञापन की मुख्य विशेषताएं :
- गंगा एवं यमुना नदी में स्थित सीवेज/ उत्प्रवाही उपचार संयंत्रों से उपचार के बाद पीने के अयोग्य जल के विभिन्न उपयोगों को लेकर रेल मंत्रालय एवं जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।
- जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय का इरादा गंगा एवं यमुना के दोनों तटों पर सीवेज/ उत्प्रवाही उपचार संयंत्रों (एसटीपी/ ईटीपी) के लिए नेटवर्क स्थापित करने का है जिससे कि नदियों में गिरने वाले प्रदूषणों को रोका जा सके।
- एसटीपी/ ईटीपी से उपचार हो चुके जल का उपयोग विभिन्न गैर लाभकारी उद्वेश्यों के लिए किया जाएगा।
- जहां कहीं भी रेलवे स्टेशनों समेत ऐसे प्रतिष्ठानों के लिए पीने के अयोग्य पानी की जरूरत होगी, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय इसके लिए आवश्यक पाइपलाइन, पंप आदि सुलभ कराएगा। जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय इसके लिए प्रारंभिक राशि का भुगतान करेगा।
- रेल मंत्रालय उनके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले ऐसे पानी के लिए राशि अदा करेगा जिसका फैसला दोनों मंत्रालय आपसी सहमति से करेंगे।