सोलन: उच्च घनत्व सेब बगीचों के बारे में किसानों को करवाया गया अवगत

नौणी विवि में मनाया सेब दिवस

सोलन: डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के फल विज्ञान विभाग द्वारा सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में सेब दिवस एवं किसान मेला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपी एचडीपी) के तहत राज्य के आठ जिलों में गठित विभिन्न समूहों के 200 से अधिक बागवानों और अन्य किसानों, और राज्य बागवानी विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। इस आयोजन का उद्देश्य उच्च घनत्व वाले सेब के बगीचे पर किसानों को अवगत करवाना और उनकी समस्याओं का समाधान करना था।

इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल मुख्य अतिथि रहे। उद्घाटन सत्र के दौरान विश्वविद्यालय में एचपी एचडीपी गतिविधियों के नोडल अधिकारी और विवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. रविंदर शर्मा ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्हें इस परियोजना के तहत किए गए विभिन्न कार्यों के बारे में बताया। एचपी एचडीपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. गोबिंद सिंह जोबटा ने विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजना के बारे में और उनकी उपलब्धियों और पहलों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत लगभग 5000 हेक्टेयर नए उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण और 1000 हेक्टेयर वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित बागों को लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस अवसर पर प्रोफेसर चंदेल ने विश्व स्तरीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं और बगीचों की स्थापना के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा कि वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयासों ने चार साल के उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण में 42 मीट्रिक टन से अधिक उत्पादकता सुनिश्चित की है जो वर्तमान उत्पादकता से काफी अधिक है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे किसानों द्वारा हासिल उत्पादकता और विश्वविद्यालय की उत्पादकता के बीच की अंतर को दूर करने की दिशा में कार्य करें।

उन्होंने वैज्ञानिकों से विभिन्न कृषि पद्धतियों और तकनीकों का उपयोग करके नए बगीचे लगाने, मिट्टी और पानी पर प्रभाव सहित लागत-लाभ अनुपात का अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि छोटे और मध्यम किसानों के लिए भी विभिन्न वृक्षारोपण मॉडल स्थापित किए जाने चाहिए। प्रोफेसर चंदेल ने किसानों से वैज्ञानिकों के साथ अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का अनुरोध किया ताकि इनका अध्ययन कर विश्वविद्यालय द्वारा कृषक समुदाय द्वारा उपयोग के लिए इसका प्रसार किया जा सके।

वर्ष 2016 में लगाए गए उच्च घनत्व वाले सेब के बागानों का एक क्षेत्र दौरा भी आयोजित किया गया। इस बगीचे में जेरोमाइन, रेड वेलोक्स, रेड कैप वाल्टोड, स्कारलेट स्पर-II, सुपर चीफ, गेल गाला, रेडलम गाला और एविल अर्ली फ़ूजी जैसी विभिन्न किस्मों को M9 और MM106 रूटस्टॉक्स पर अलग-अलग दूरी और प्रशिक्षण प्रणालियों में लगाया गया है।

फल विज्ञान विभाग के एचओडी डॉ. डीपी शर्मा ने बताया कि विभाग के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों के समक्ष आ रही समस्याओं का समाधान किया। विस्तार शिक्षा निदेशालय में किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा भी आयोजित की गई जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पोषक तत्व प्रबंधन, कीट और कीट, रोग और समग्र बाग प्रबंधन पर किसानों के प्रश्नों को संबोधित किया।

किसानों ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय का साहित्य हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध होना चाहिए। प्रतिभागियों ने यह भी अनुरोध किया कि उन्हें रूटस्टॉक्स उपलब्ध करवाए जाने चाहिए और विभिन्न स्थानों पर ट्रेनिंग और छंटाई के शिविर आयोजित किए जाने चाहिए। डॉ शर्मा ने बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय किसानों को सीडलिंग रूटस्टॉक्स के अतिरिक्त क्लोनल रूटस्टॉक्स पर 10,000 से अधिक ग्राफ्टेड पौधे उपलब्ध कराएगा। इस अवसर पर डीन कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर डॉ अंजू धीमान, डीन वानिकी कॉलेज डॉ एचआर शर्मा, छात्र कल्याण अधिकारी डॉ जेके दुबे, वित्त नियंत्रक सीआर शर्मा सहित सभी विभागों के विभाग अध्यक्ष और फल विज्ञान विभाग सहित अन्य विभागों के वैज्ञानिकों मौजूद रहे।

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