नौणी विवि में कृषि-ऊष्मायन केंद्र, वर्चुअल और स्मार्ट क्लासरूम सुविधाओं का आईडीपी के तहत उद्घाटन

डीडीजी ने विश्व स्तरीय कृषि संस्थानों के निर्माण पर दिया बलयूजी शिक्षा में सुधार के लिए विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना

सोलन:  डॉ. यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आईसीएआर की विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित संस्थागत विकास योजना के तहत लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित कई शिक्षण सुविधाओं का उद्घाटन किया गया। डॉ. आरसी अग्रवाल, डीडीजी (कृषि शिक्षा) आईसीएआर और राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के राष्ट्रीय निदेशक ने नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल और विश्वविद्यालय की मुख्य आईडीपी टीम की उपस्थिति में इन परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

जिन सुविधाओं का उद्घाटन किया गया उनमें 60 लाख रुपये की लागत से स्थापित औषधीय और सुगंधित पौधों के प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन पर एक कृषि-ऊष्मायन केंद्र शामिल है। यह केंद्र छात्रों को कौशल और उद्यमिता विकास पर प्रशिक्षण प्रदान करेगा और औषधीय और सुगंधित पौधों पर आधारित मूल्य वर्धित हर्बल उत्पादों को विकसित करने में मदद करेगा। नए स्टार्टअप इस केंद्र में उपलब्ध संसाधनों और बुनियादी ढांचे का उपयोग करने में सक्षम होंगे। 50 लाख रुपये की लागत से निर्मित फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं के लिए एक लैड्ग्वेज लैब भी स्थापित की गई है। इसके अलावा चार स्मार्ट क्लासरूम और दो वर्चुअल क्लासरूम हैं, जिनकी कीमत क्रमशः 48 लाख  और 38 लाख रुपये है भी छात्रों को समर्पित किए गए। डॉ. अग्रवाल ने आईडीपी सचिवालय का भी उद्घाटन किया जिसमें सोशल इक्विटी सेल, वर्चुअल काउंसलिंग सेल, योजना और निगरानी सेल और आईडीपी टीम के बैठने की जगह है। कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री के एक हिस्से का नवीनीकरण कर करीब एक करोड़ रुपये की लागत से इस सचिवालय की स्थापना की गई है। इस अवसर पर सेरा की रिमोट लॉग सॉफ्टवेर और जीआईएस सर्टिफिकेट कोर्स की सॉफ्टवेर का भी लॉंच किया गया।

डॉ. अग्रवाल ने आईडीपी परियोजना के तहत विश्वविद्यालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों और अन्य परियोजनाओं के तहत विश्वविद्यालय द्वारा की जा रही अनुसंधान गतिविधियों का भी निरीक्षण किया। उन्होंने इस परियोजना के तहत विभिन्न गतिविधियों को तेजी और गुणवत्तापूर्ण कार्यान्वयन के लिए विश्वविद्यालय और आईडीपी की सराहना की।

इस अवसर पर डॉ. परविंदर कौशल ने विश्वविद्यालय को परियोजना प्रदान करने के लिए आईसीएआर और डॉ अग्रवाल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए हैं कि इस परियोजना का लाभ छात्रों तक पहुंचे और इसके परिणाम जमीन पर दिखाई दें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने इस परियोजना के तहत कई नवीन विचारों को लागू किया है और हर किसी द्वारा इनकी सराहना की जा रही है।

इससे पूर्व निदेशक अनुसंधान डॉ. रविंदर शर्मा ने विश्वविद्यालय की शिक्षा, शोध एवं विस्तार में विभिन्न उपलब्धियों पर प्रस्तुति दी। विश्वविद्यालय में आईडीपी के प्रधान अन्वेषक डॉ. केके रैना ने स्नातक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए की गई विभिन्न गतिविधियों और पहलों के बारे में जानकारी दी। डॉ. अग्रवाल ने परियोजना के छात्र हितग्राहियों से भी बातचीत की। उन्होंने नौणी और कंडाघाट में परियोजना के तहत स्थापित उच्च घनत्व वाले सेब और जंगली अनार के बागानों के टिकाऊ मॉडल की भी सराहना की। विश्वविद्यालय की अनुसंधान गतिविधियों को दिखाने के लिए क्षेत्र का दौरा भी किया गया। इस अवसर पर सभी वैधानिक अधिकारी और आईडीपी की कोर टीम मौजूद रही।

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