Himachal Budget 2022: कृषि क्षेत्र के लिए 2022-23 में 583 करोड़ रुपये का प्रावधान

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में चुनावी साल में अपने कार्यकाल का पांचवां बजट पेश किया। सीएम जयराम ठाकुर ने 2022-23 के लिए 51365 करोड़ का बजट पेश किया।

प्रदेश में वर्तमान में अनाज़ की बिक्री के लिए कोई भी विशष्ट मण्डी उपलब्ध नहीं है। प्रदेश में आगामी रबी सीज़न में 11 स्थानों पर अनाज़ की खरीद शुरु कर दी जाएगी जिसमें खरीद सम्बन्धी सभी सुविधायें जैसे – ग्रेडिंग व सफाई के लिए मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक तोल मशीनें, खुला नीलामी मंच, क्रेटस, टैंट, पार्किंग, किसानों को बैठने के लिए उचित स्थान आदि उपलब्ध करवाए जायेंगे। 15 करोड़ रुपये की लागत से 4 नई अनाज़ मण्डियां रामपुर (ऊना), मजारी (बिलासपुर), रियाली एवम् मिलवा (काँगड़ा) में स्थापित की जाएंगी।

कृषि क्षेत्र के लिए 2022-23 में 583 करोड़ रुपये का प्रावधान

2022-23 के केन्द्रीय बजट में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए लगभग 15 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। हिमाचल प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जिसमें सरकारी क्षेत्र के माध्यम से प्राकृतिक खेती को

प्रोत्साहित किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश chemical मुक्त प्रदेश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और अगले वर्ष के लिए निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं:-

2022-23 के अन्त तक कुल 50 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक कृषि के अधीन लाया जाएगा। प्रदेश की सभी 3 हजार 615 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक कृषि का एक-एक मॉडल विकसित किया जाएगा, जिस से आस-पास के किसानों को कृषि प्रशिक्षित करने व प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी। प्रदेश में कम से कम 100 गांवों को राष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्राकृतिक कृषि गाँव के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्राकृतिक कृषि कर रहे सभी किसानों को पँजीकृत किया जाएगा तथा उनमें से श्रेष्ठ 50 हजार किसानों को प्राकृतिक कृषक के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। प्रदेश की 10 मण्डियों में प्राकृतिक कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष स्थान उपलब्ध करवाये जाएंगे तथा 2 स्थानों पर प्राकृतिक कृषि के उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष मण्डी स्थापित की जाएगी।

प्राकृतिक कृषि के उत्पादों की बिक्री के लिए देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश में चुने हुए स्थानों पर बिक्री केन्द्र स्थापित किये जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने किसानों का आह्वान करते हुये कहा प्रदेश के कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक कृषि पर स्नातक एवम् स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम में संशोधन किया जाएगा तथा शोध को प्रोत्साहित किया जाएगा।

पराला मण्डी को आदर्श मण्डी के रूप में विकसित किया जा रहा है। फलों और सब्जियों के भण्डारण की सुविधाओं में और अधिक बेहतरी के लिए इस मण्डी में 60 करोड़ 93 लाख रुपये की लागत से 5 हजार मीट्रिक टन क्षमता का एक नया कोल्ड स्टोर स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही 1 हजार 500 मीट्रिक टन क्षमता का freezing chamber, 10 मीट्रिक टन प्रति घण्टा क्षमता की Grading packing line और एक मीट्रिक टन प्रति घण्टा क्षमता की IQF लाईन स्थापित की जाएगी।

किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बेहतर सुविधाएं मिले इस के लिए अगले वित्तीय वर्ष में JICA चरण-2 परियोजना के तहत प्रदेश के 13 मार्केट यार्डों को और सुदृढ़ किया जाएगा जिस पर 31 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

पिछले वर्ष बजट अनुमान प्रस्तुत करते हुए मैंने प्रदेश में एक फूल मण्डी की स्थापना करने की घोषणा की थी

जिसे परवाणू में स्थापित कर दिया गया है। आगामी वित्तीय वर्ष में एक और फूल मण्डी स्थापित करने की घोषणा

करता हूँ जिस पर 3 करोड़ रुपये व्यय किये जाएंगे। हमारी सरकार ने हींग और केसर की खेती प्रायोगिक तौर पर शुरू की है जिसके प्रारम्भिक परिणाम उत्साहवर्धक हैं। अब प्रदेश में दालचीनी एवम् मौंक फ्रूट की खेती को Institute of Himalayan Bioresource Technology (IHBT), पालमपुर के सहयोग से पायलट आधार पर आरम्भ किया जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती की सम्भावनाओं को भी तलाशा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने देश में मक्की और गेहूँ की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए तथा प्रदेश की अपनी पहाड़ी किस्मों के संवर्धन के लिए बीज उपदान के वर्तमान आबंटन को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त अन्य फसलों के उत्तम बीज उपलब्ध करवाने के लिए 3 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान की घोषणा की।

प्रदेश में पहाड़ी मक्की की किस्मों को उपभोक्ताओं तक value addition एवम उचित ब्रान्डिंग करके पहुँचाने की

व्यवस्था करने के लिए दो करोड़ रुपये का प्रावधान करने की घोषणा की। कृषि क्षेत्र में किसानों को बाजार से सीधा जोड़ने के लिए किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया जा रहा है। ये छोटे और सीमान्त किसानों को अपनी उपज बेहतर दाम पर बेचने के लिए एक सशक्त माध्यम है।

अगले वर्ष 20 और FPOs गठित किये जाएंगे जिनमें से 10 FPOs केवल प्राकृतिक कृषि पर आधारित होंगे। इसके अतिरिक्त सहकारिता विभाग भी प्रत्येक विकास खण्ड में एक FPOs स्थापित करेगा। सहकारिता विभाग इनको वित्तीय तथा तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। कृषि क्षेत्र के लिए 2022-23 में 583 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

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