परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने के लिए विशेषज्ञ टीम ने किया नौणी विवि का दौरा

  • छात्र अनुसंधान और परियोजनाओं के लिए जीबी पंत संस्थान के साथ सहयोग करने पर बातचीत

सोलन: डॉ. आर एस रावल, निदेशक, जीबी पंत राष्ट्रिय हिमालयन पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा की अध्यक्षता में एक समीक्षा समिति ने डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी का दौरा किया और हिमालयन स्टडीज पर राष्ट्रीय मिशन के तहत वित्त पोषित विश्वविद्यालय में चल रही दो परियोजनाएँ की समीक्षा की।

इस टीम ने परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ बैठक की। डॉ. केडी शर्मा, एचओडी खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और डॉ. निवेदिता शर्मा, एचओडी मूल विज्ञान विभाग द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं। डॉ. केडी शर्मा और डॉ. निवेदिता शर्मा, क्रमशः कार्यात्मक खाद्य पदार्थ अनुसंधान, विकास और प्रसार केंद्र, और चीड़ की पतियाँ से बायोफ्युल की स्थापना पर परियोजना के प्रमुख जांचकर्ता हैं।

डॉ. रावल ने माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला और खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में कार्यात्मक खाद्य केंद्र का भी दौरा किया, जहां उन्होंने दोनों विभागों के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की और हिमालय राज्यों में गरीब लोगों के लाभ के लिए भविष्य के दीर्घकालिक सहयोगों पर चर्चा की।

उन्होंने नौणी विवि के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल से मुलाकात की और दोनों परियोजनाओं में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों पर संतोष व्यक्त किया। संस्थानों के बीच सहयोग पर डॉ कौशल और डॉ. रावल ने सहमति व्यक्त की कि दोनों संस्थानों को अनुसंधान और शैक्षणिक क्षेत्र में आपसी सहयोग करने की दिशा में काम करना चाहिए। डॉ. कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिकों को छात्रों के पाठ्यक्रम संबंधी अनुसंधान में उनकी विशेषज्ञता का उपयोग करेगा जिससे एमएससी और पीएचडी थीसिस के दौरान विश्वविद्यालय के छात्रों को बहुत लाभ होगा।

इसके अलावा, शिमला स्थित हिल एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट प्रमोशन सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. आरएस रतन ने कुलपति डॉ. कौशल से मुलाकात की। उन्होंने इन क्षेत्रों में लोगों की आजीविका में सुधार के लिए राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण के लिए रोपण सामग्री प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने नए वृक्षारोपण के परिणामों के मूल्यांकन की निगरानी में विश्वविद्यालय की मदद मांगी और विश्वविद्यालय से अगले वर्ष 30,000 फलों के पौधों की आपूर्ति करने का अनुरोध किया। डॉ. कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय आवश्यक सहायता प्रदान करने का प्रयास करेगा और शोधकर्ताओं और छात्रों की मदद  मूल्यांकन करने के कार्य में लेगा, क्योंकि इससे छात्रों को मूल्यवान क्षेत्र अनुभव भी होगा।

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