छोटी-छोटी पहाडिय़ों पर बसा हुआ रमणीक एवं प्रकृति से लबालब सोलन का खुबसूरत पर्यटन स्थल “चायल”। हर तरफ चीड़,देवदार के ऊँचे-ऊँचे पेड़, खूबसूरत पहाड़ियां और एक अद्भुत शांति का अहसास कराता। बर्फ के दिनों में चायल की खुबसूरती देखते ही बनती है। बहुत ही मनमोहक नजारा।
महाराजा पटियाला के राज्य में चायल को गर्मी के मौसम में राजधानी होने का गौरव
चायल गांव सबसे खूबसूरत, जहां से शिमला पूरी तरह आता है नज़र

सोलन का रमणीक पर्यटन स्थल “चायल”
जी हाँ अब बात करते हैं यहाँ के ” चायल पैलेस” के इतिहास की। महाराजा पटियाला के राज्य में चायल को गर्मी के मौसम में राजधानी होने का गौरव भी प्राप्त था। यह 19वीं सदी के प्रारंभ में अस्तित्व में आया। जानकारी अनुसार बताया जाता है कि जब राजा भूपिंदर सिंह को अंग्रेज कमांडी की बेटी के प्रेम के चलते शिमला से निकाल दिया गया तो राजा ने इस कृत्य को बहुत बुरा माना और उसने प्रण कर लिया कि वह शिमला की पहाडिय़ों में ही अपना निवास स्थान बनवाएगा। राजा ने शिमला शहर के बिल्कुल सामने अपनी राजधानी बनाने के लिए जगह खोजनी आरंभ की। उसे चायल गांव सबसे खूबसूरत लगा, जहां से शिमला पूरी तरह नज़र आता था। इस स्थान का एक और महत्व यह था कि शिमला से भी यह स्थान लगभग 100 मीटर अधिक ऊंचाई पर स्थित था। यह स्थान पहले ही अंग्रेजों ने, गोरखों के साथ युद्ध करके हासिल किया था। बाद में अच्छी कारगुजारी के कारण पटियाला राज्य को तोहफे के रूप में भेंट कर दिया था।
जहां से शिमला साफ नज़र आता है….
महाराजा पटियाला ने 32 एकड़ जमीन में फैला यह महल सन् 1972 में पर्यटन विभाग हिमाचल प्रदेश को सौंप दिया था
महाराजा पटियाला द्वारा खूबसूरत इमारत का निर्माण शुरू करवा दिया गया। परन्तु दिन में जो इमारत मजदूर बनाते वह रात को धूमिल हो जाती। अनेकों सांप इस स्थान से निकलते और मिस्त्री-मजदूरों पर हमला कर देते। आखिर महाराजा भूपिंदर सिंह को सपना आया और एक सिद्ध योगी ने उन्हें दर्शन दिए तथा उनसे कहा, जहां आप इमारत का निर्माण करवा रहे हो वहां मैंने बहुत समय तक तपस्या की है, यह मेरा स्थान है आप अपना स्थान बदल लो। मेरी शांति भंग नहीं करो। महाराज को किसी अन्य स्थान पर इमारत बनवाने की सलाह और आशीर्वाद दिया। महाराज ने इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण करवा जो सिद्धबाबा के मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह स्थान मौजूदा महल से एक मील की दूरी पर स्थित है। महाराज ने नए स्थान पर बहुत सुंदर महल बनवाया जहां से शिमला साफ नज़र आता है। महल के कुछ कमरों की हवादार खिड़कियों से कंडाघाट तक देखा जा सकता है। महाराजा ने महल में तस्वीरें, फर्नीचर और कला के कई सुंदर नमूने लाकर रखे। यह सारा इलाका चीड़, देवदार और अन्य वृक्षों से घिरा हुआ है, जो प्राकृतिक सुंदरता की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करता है। इस स्थान पर विदेशों से व बाहरी राज्यों से काफी तदाद में पर्यटक आते हैं। महाराजा पटियाला ने 32 एकड़ जमीन में फैला यह महल सन् 1972 में पर्यटन विभाग हिमाचल प्रदेश को सौंप दिया था।
चायल में महाराजा पटियाला ने क्रिकेट के लिए एक मैदान भी बनवाया
चायल का यह क्रिकेट मैदान विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है, इसके अलावा गोल्फ और टेनिस खेलने का भी प्रबंध है

” चायल पैलेस”
हिमाचल पर्यटन इस महल को एक बहुत बड़े होटल में तब्दील कर दिया गया है। अब हिमाचल पर्यटन इस महल को एक बहुत बड़े होटल के रूप में ” चायल पैलेस” के नाम से प्रयोग कर रहा है। चायल में महाराजा पटियाला ने क्रिकेट के लिए एक मैदान भी बनवाया। चायल का यह क्रिकेट मैदान विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है। इसके अलावा गोल्फ और टेनिस खेलने का भी प्रबंध है।
चायल के पास एक बहुत सुंदर चिडिय़ाघर है, जिसमें घोरल, कक्कड़, सांभर, लाल हिरन के अलावा अनेकों प्रकार के अन्य जानवर विहार करते हैं, जो सैलानियों का मन मोह लेते हैं। चायल शिमला से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 2226 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।