युवाओं को बनाएं संस्कारवानः राज्यपाल

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी युवा शक्ति होती है और जब यह पीढ़ी संस्कारित हो जाती है तो वह देश महान हो जाता है। राज्यपाल आज बिलासपुर जिले के विकास खण्ड सदर की ग्राम पंचायत माकड़ी-मारकण्ड में भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित प्रांत स्तरीय समूह गान प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास में युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है और युवाओं की शक्ति को सही दिशा प्रदान करना बड़ों का कर्तव्य है, जिन्हें स्वयं अच्छे संस्कारों को अपनाकर आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्वभाविक ज्ञान के अतिरिक्त नैमेतिक ज्ञान को हम प्रशिक्षण से प्राप्त करते हैं और यह क्षमता मानव में सर्वश्रेष्ठ है। मनुष्य में सीखे हुए ज्ञान को बढ़ाने और तुरंत ग्रहण करने के विशेष गुण मौजूद हैं। इसलिए, बच्चां को शुरूआत में ही अच्छे संस्कार नहीं दिए तो वह कुछ भी नहीं सीखेगा। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत भूल रही है और यह हमारा दायित्व है कि उन्हें अपनी समृद्ध संस्कृति और उच्च मूल्यों से परिचित करवाएं तभी हम सुदृढ़ राष्ट्र की परिकल्पना कर सकते हैं।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि अंग्रेजों ने हम पर लम्बे समय तक शासन किया और लार्ड मैकाले ने सुनियोजित तरीके से हमारी शिक्षा पद्धति को नष्ट किया ताकि इस देश पर राज कर सके। लेकिन, आज हमें अपनी संस्कृति को बचाना है तो बच्चों को घर से ही संस्कार देंने चाहिए। हमारी संस्कृति में 16 संस्कारों की बात की गई है, इसलिए भौतिक सुख से ज्यादा बच्चों को संस्कार देना अधिक जरूरी है। उन्होंने बच्चों से महापुरूषों की जीवनी पढ़ने का आह्वान किया तथा कहा कि मेहनत, त्याग और तपस्या ही हमारी संस्कृति है।

संस्कृति के संरक्षण की दिशा में भारत विकास परिषद के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह परिषद राष्ट्र उत्थान का कार्य कर रही है। उन्होंने परिषद को अपनी गतिविधियों को और प्रभावी तरीके से कार्यान्वित करने के लिए 51,000 रुपये देने की घोषणा की।

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