भारत और श्रीलंका के विशेषज्ञों ने किया स्वयं सहायता समूहों की प्रदर्शनियों का अवलोकन

सुंदरनगर: हिमाचल फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना के प्रथम चरण में हिमाचल के अलग अलग हिस्सों में विकसित किये गये स्वयं सहायता समूहों की कार्यप्रणाली को अब श्रीलंका भी अपनाएगा।

सुंदरनगर के तकवाड़ गांव में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में जाइका इंडिया की प्रोजेक्ट डेवलपमेंट स्पेशलिस्ट निष्ठा वेंगुरलकर और जायका श्रीलंका की जेंडर स्पेशलिस्ट नकाजिमा ने मुख्य अतिथि और विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की।

विशेषज्ञों ने परियोजना के प्रथम और द्वितीय चरणों के तहत कामकाज का धरातल पर निरीक्षण किया। कार्यक्रम में समूहों द्वारा प्राकृतिक खेती के उत्पाद, स्थानीय वस्त्र, लाइव कुकिंग और सब्जियों की प्रदर्शनी के माध्यम से बताया गया कि किसानों की पैदावार जायका के माध्यम से कैसे बढ़ी और स्वयं सहायता समूह कैसे आत्मनिर्भर हो रहे हैं। विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाकर अपने जीवन की आर्थिकी को सुदृढ कर चुकी इन स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से निष्ठा वेंगुरलकर और यशिको नकाजिमा ने बातचीत करके उनसे जानकारी हासिल की। दोनों ने स्वयं सहायता समूहों के कामकाज के तौर तरीकों को बारीकी से जाना और इस अध्ययन के आधार पर आने वाले समय में इसे श्रीलंका में महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिये लागू किया जाएगा।

इस अवसर पर अच्छा काम कर रहे महिला स्वयं सहायता समूहों को पुरस्कार भी प्रदान किये गए। जाइका के विशेषज्ञों ने स्थानीय इलाके में जाइका के पहले चरण में विकसित किये गये विविध खेती के फार्म में जाकर भी उपलब्धियों का जमीनी जायजा लिया। इस मौके पर विविध खेती में टमाटर उगाकर सालाना 12 लाख रुपये की आमदनी लेने वाले युवक को भी जाइका विशेषज्ञों ने शाबाशी दी।

सुंदरनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए परियोजना निदेशक डॉ सुनील चौहान और राज्य सरकार के परियोजना में मीडिया सलाहकार राजेश्वर ठाकुर ने बताया कि प्रथम चरण में हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों में काफी संख्या में सिंचाई योजनाएं स्थापित की गईं थी। परियोजना के दूसरे चरण में हिमाचल के सभी जिलों में कुल 306 सिंचाई स्कीमों बनाई जाएंगी। इनके माध्यम से किसानों को विविध खेती के लिए तैयार करके इन्हें आर्थिक स्वालंबन की ओर ले जाया जाएगा। इस दौरान महिला सशक्तिकरण के क्रम में कई स्वयं सहायता समूहों की भी स्थापना की गई थी। इन्होंने अपनी आजीविका को बेहतर करने के लिए परियोजना की ओर से उस दौरान दी गयी आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण पर अमल करते हुए विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद और दैनिक जरूरत की चीजों को बनाना शुरू किया। अब इन्हें अच्छा खासा बाजार मिल गया है जिससे ये महिलाएं अपना काम जीवन स्तर ऊंचा करने में कामयाब हुई हैं। अब इसी मॉडल को जाइका श्रीलंका में अमल कराने की योजना पर आगे बढ़ेगा।

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