हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र- सरकार ने सदन में लाया श्वेत पत्र

शिमला: हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र के चौथे दिन उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता संभालने के साथ 92,774 करोड की देनदारियां विरासत में मिली। 31 मार्च 2023 तक प्रदेश पर कर्जे का बोझ बढकर 76,631 करोड़ तक पहुंच गया है। उप मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर सदन में आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे थे इस दौरान विपक्ष ने खूब हंगामा किया। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक की वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश कर्ज के भारी दवाब में हैं। रिपोर्ट पेश करते हुए उप मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनावी वर्ष में 16261 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल की वित्तीय स्थिति यह है कि राज्य को वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों के विपरीत पिछले कर्ज को चुकता करने के लिए ही 9048 करोड़ देने है। इसमें से 3486 करोड़ कर्ज की अदायगी के हैं जबकि 5262 करोड़ ब्याज के रूप में चुकता करने हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के अंत में हिमाचल पर 47906 करोड़ का कर्जा था। पूर्व सरकार ने वर्ष 2023-24 तक 12 प्रतिशत औसत बढौतरी के साथ 28784 करोड़ का पांच साल में कर्जा लिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर 25 साल बाद श्वेत पत्र जारी किया गया है।

इस श्वेत पत्र के प्रमुख निष्कर्ष निम्न हैं:

राज्य की मौजूदा गंभीर वित्तीय स्थिति के लिए केंद्र सरकार और पिछली राज्य सरकार जिम्मेदार हैं।

पिछली राज्य सरकार ने “अमृत महोत्सव”, “प्रगतिशील हिमाचल: स्थापना के 75 वर्ष” और “जन मंच पर फिजूल खर्च किया, जिनका उपयोग 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पिछली सरकार के पार्टी कार्यक्रमों को प्रचारित करने के लिए एक साधन के रूप में किया गया था।

वर्तमान सरकार को पिछली सरकार से 92,774 करोड़ रुपये की कुल प्रत्यक्ष देनदारियां विरासत में मिलीं। इनमें 76,630 करोड़ रुपये का कर्ज, लोक लेखों में 5,544 करोड़ रुपये की अन्य बकाया देनदारियां और वेतन संशोधन और दिसंबर, 2022 तक डीए के कारण लगभग 10,600 करोड़ रुपये शामिल हैं।

वित्तीय वर्ष 2017-18 के अंत में ऋण देनदारी 47906 करोड़ रुपये थी जो वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान 28724 करोड़ रुपये बढ़ गई और 2022-23 के अंत में 76630 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।

31 मार्च 2017 को राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों का संचयी घाटा 3584.91 करोड़ रुपये था जो 31 मार्च 2022 को बढ़कर 4902.78 करोड़ रुपये हो गया, अर्थात 1317.87 करोड़ रुपये (36.76%) की वृद्धि ।

योजना आयोग के बंद होने से केंद्रीय योजना सहायता के लगभग 3,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का नुकसान हुआ।

हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2023-24 में वर्ष 2022-23 की तुलना में 1319 करोड़ रुपये कम राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) मिलेगा। आने वाले वर्ष अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि आरडीजी की राशि 2024-25 में घटकर 6258 करोड़ रुपये और 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये हो जाएगी।

31 अक्टूबर 2011 तक संचित 13,066 मिलियन यूनिट शेयर की धनराशि अभी भी बीबीएमबी द्वारा हिमाचल प्रदेश को जारी करने के लिए लंबित है। पिछली सरकार ने 3309.48 करोड़ रुपये की इस हिस्सेदारी को जारी करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया और मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 14वें वित्त आयोग के समक्ष प्रभावी ढंग से अपना पक्ष प्रस्तुत किया था और 13वें वित्त आयोग की तुलना में धन के कुल हस्तांतरण में 232% की वृद्धि प्राप्त की थी, जबकि पिछली राज्य सरकार 15वें वित्त आयोग से 14वें वित्त आयोग के पांच वर्षों की तुलना में केवल 8% की वृद्धि प्राप्त कर पाई।

केन्द्र सरकार ने ऋण सीमा में कमी तथा एनपीएस से ओपीएस में स्विच करने के कारण वर्ष 2023-24 प्रदेश की उधार लेने की सीमा में वर्ष 2022-23 की तुलना में 2836 करोड़ रुपये कमी कर दी है।

सरकार ने राज्य सरकार / कर्मचारियों द्वारा एनपीएस के तहत जमा की गई 9000  करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को जारी करने के लिए पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के साथ मामला उठाया है, क्योंकि राज्य सरकार के कर्मचारी एनपीएस से ओपीएस में स्विच हो गये है।

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 2023-24 से 2025-26 के बीच तीन साल की अवधि के लिए नई परियोजनाओं के लिए बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ईएपी) के तहत 2944 करोड़ रुपये की सीमा लगाई है।

जल उपकर लगाकर अपना राजस्व बढ़ाने की हिमाचल प्रदेश सरकार की कोशिश पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है।

15वें वित्त आयोग ने राज्य के लिए कुल 1420 करोड़ रुपये की विशेष अनुशंसा की थी. इस में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट मंडी के निर्माण के लिए 1000 करोड़ रुपये, कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 400 करोड़ रुपये तथा ज्वालामुखी मंदिर शहर और आसपास के क्षेत्रों के लिए 20 करोड़ रूपये शामिल हैं। परन्तु केंद्र सरकार ने इसमें से कोई भी राशि जारी नहीं की है।

जुलाई 2022 में जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बाद राज्य सरकार का राजस्व लगभग 2624 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कम हो गया है।

70 राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा तो की गई लेकिन वास्तविक व्यवहार में इन 70 घोषित राष्ट्रीय राजमार्गों के मुकाबले केंद्र सरकार द्वारा कोई भी सड़क स्वीकृत नहीं की गई है।

पिछली राज्य सरकार दो रेल लाइनों भानुपल्ली-बिलासपुर और चंडीगढ़- बद्दी के लिए पर्याप्त केंद्रीय सहायता प्राप्त करने में विफल रही।

पिछली राज्य सरकार ने एचपी ग्लोबल इन्वेस्टर मीट और दो ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी पर 27 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। ग्लोबल इन्वेस्टर मीट वांछित उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाई।

 पिछली सरकार के अंतिम 6 महीनों में बेतरतीब ढंग से 900 से अधिक नए संस्थान खोले गए, जिससे राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ा।

दिल्ली सरकार के अंतिम वित्तीय वर्ष के दौरान राजस्व घाटा तेजी से बढ़कर घाटा तेजी से बढ़कर मानदंडों का पालन किए लापरवाही से खर्च किया गया था।

एसजेवीएन की लूहरी चरण और धौला सिद्ध परियोजनाओं के कारण मुफ्त बिजली स्लैब में स्टेगेरिंग (staggering) के कारण भी राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

पिछली सरकार ने वर्ष 2018-19 में ड्रा के माध्यम से और उसके बाद के वर्षों में नवीनीकरण के आधार पर शराब की दुकानें आवंटित की दोषपूर्ण आबकारी

          

     

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