- फ़ीचर
- मनीषा वर्मा
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 दिसम्बर, 2014 को राष्ट्रव्यापी विशेष पहल के तहत सभी को टीका से वंचित और आंशिक रूप से टीका लगे बच्चों के लिए सार्वभौम टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम को शुरू किया। 2020 तक इसे संचालित कर स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस मिशन के तहत 2014 में 65 प्रतिशत क्षेत्र को पूर्ण टीकाकरण के तहत विस्तारित करने पर ध्यान दिया गया। इस तरह अगले पांच वर्षों के दौरान कम से कम 90 प्रतिशत बच्चों को इस दायरे में शामिल किया गया। इस तरह तेजी से टीकाकरण संबंधी विशेष अभियान चलाकर 5 प्रतिशत बच्चों को इस दायरे में लाया जाएगा और सालाना और ज्यादा बच्चों को टीकाकरण का लाभ होगा।
7 जानलेवा बीमारियों जैसे डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी को दूर करने के लिए समूचे देश में टीकाकरण का यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इंफ्लोएंजा टाइप बी और जापानी बुखार के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम चुनिन्दा जिलों/राज्यों में शुरू किया गया।
ध्यान देने योग्य क्षेत्र
मिशन इन्द्रधनुष का पहला चरण 7 अप्रैल, 2015 को विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर शुरू किया गया। एक हफ्ते या ज्यादा समय तक जहां इसकी जरूरत महसूस की गई, चार महीनों तक विभिन्न जिलों की पहचान करके जुलाई, 2015 तक संचालित किया गया। इसे प्रत्येक महीने की 7 तारीख से शुरू किया जाता रहा है।
पहले चरण में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 201 उन जिलों की पहचान की जहां आंशिक टीकाकरण और टीका न लगे बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या थी। ध्यान देने वाले संवेदनशील जिलों को इसके तहत चिन्हित किया गया। इन 201 जिलों में करीब 50 प्रतिशत बच्चों को या तो टीका लगा ही नहीं या आंशिक रूप से लगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 82 जिलों को इसके दायरे में लाया गया और इन जिलों के करीब 25 प्रतिशत बच्चों को या तो टीका नहीं लगा या आंशिक रूप से लगता रहा। देश में इन जिलों में सुधार संबंधी सघन प्रयासों के तहत दैनिक टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का लक्ष्य रखा गया। भारत में टीकाकरण के जरिए बीमारियों को रोकने के खिलाफ गर्भवती महिलाओं और सभी बच्चों की सुरक्षा करना अंततः इसका लक्ष्य है।
मिशन इंद्रधनुष के दूसरे चरण में 352 जिलों को चुना गया है, जिनमें 279 मध्यम प्राथमिकता वाले जिले हैं, पूर्वोत्तर के 33 जिले हैं जहां पहले चरण से ही यह कार्यक्रम स्थगित किया गया और पहले चरण से 40 जिले ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में टीकाकरण योग्य बच्चों को चिन्हित किया गया है। 07 अक्टूबर, 2015 को इसका दूसरा चरण शुरू हुआ, जो लगातार 3 सप्ताहों तक चलेगा। इस चरण में 07 नवम्बर, 07 दिसम्बर, 2015 और 07 जनवरी, 2016 से सक्रिय होगा।
जिलों में चलने वाले मिशन के तहत पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम द्वारा 4 लाख उच्च खतरे वाली बस्तियों की पहचान की जाएगी। इनमें वे बस्तियां होंगी जो भौगोलिक, आबादी के लिहाज से, जातीय और दूसरे अभियान संबंधी चुनौतियों के दायरे में काफी नीचे हैं। साक्ष्यों से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में ज्यादातर गैर टीकाकृत और आंशिक रूप से टीका लगे बच्चों पर ध्यान दिया गया।
विशेष टीकाकरण अभियान के द्वारा निम्नलिखित क्षेत्रों को लक्षित किया गया हैः
- पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के द्वारा उच्च खतरनाक क्षेत्रों की पहचान की गई। इसके तहत निम्नलिखित क्षेत्रों में रहने वाली आबादी समाहित हैः
- प्रवासी शहरी झुग्गियां
- खानाबदोस
- ईंट भट्ठे में काम करने वाले
- निर्माण स्थलों पर काम करने वाले
- दूसरे प्रवासी (गांव के मछुआरे, नदियों के किनारे रहने वाली अस्थायी आबादी आदि) और
- वह आबादी जहां पहुंच बेहद कठिन है (जंगली और आदिवासी आबादी आदि)
- जहां दैनिक टीकाकऱण की दर बेहद निम्न है और यहां खसरा और दूसरी महामारी को रोकने वाले टीकाकरण योग्य क्षेत्र।
- वे क्षेत्र जहां तीन महीने से ज्यादा समय तक टीकाकरण नहीं चला।
- दैनिक टीकाकरण से छूटे हुए क्षेत्र और दूसरी वजहों से वंचित इलाके।
- छोटे गांवों, झुग्गी बस्तियों, धानी या पूर्वा ने दैनिक टीकाकरण से छूटी आबादी और जहां दैनिक टीकाकरण हुआ ही नहीं।
मिशन इंद्रधनुष चरण-1 की उपलब्धियां
विशेष अभियान के तहत रणनीति बनाने, योजना बनाने, क्रियान्वयन और समुचित प्रक्रिया की निगरानी से सुनिश्चित किया गया कि मिशन इंद्रधनुष दुनिया का सबसे टीकाकरण कार्यक्रम है जिसके तहत 75.5 लाख से ज्यादा बच्चों और टीटी टीका के जरिए 20 लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया है। 7 निरोधक बीमारियों के टीके लगाकर 20 लाख से ज्यादा बच्चों को पूर्ण टीकाकरण के दायरे में लाया गया है। चौथे चरण में करीब 9.4 लाख सत्र आयोजित किए गए। इस दौरान करीब 2 करोड़ लोगों को टीके लगाए गए।
टीकों के अलावा मिशन इंद्रधनुष में ओआरएस पैकेट और जिंक टैब्लेट मुहैया करके बास्केट सेवाओं का विस्तार किया गया। 16 लाख से ज्यादा ओआरएस पैकेट और करीब 57 लाख जिंग टैब्लेट वितरित किए गए।
मिशन इंद्रधनुष की रणनीति
मिशन इंद्रधनुष राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान है इसके तहत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में टीकाकरण कार्यक्रम चलाकर निम्न टीकाकरण वाले जिलों में विशेष ध्यान दिया जाता है।
साक्ष्यों और सर्वोत्तम कार्यक्रमों पर आधारित व्यापक रणनीति के बुनियादी ये चार तत्व हैं –
- सभी स्तरों पर सावधानीपूर्ण योजना के तहत अभियानः दैनिक टीकाकरण सत्र के दौरान प्रत्येक जिले में सभी टीकों और पर्याप्त टीकाकरण कर्मियों की उपलब्धता सभी विकास खण्डों और शहरी क्षेत्रों में सुनिश्चित करना। शहरी झुग्गियों, निर्माण स्थलों, ईंट भट्ठों, खानाबदोस स्थलों और मुश्किल से पहुंच वाले क्षेत्रों में 4 लाख से ज्यादा बेहद खतरनाक बस्तियों के गैर पहुंच वाले बच्चों तक पहुंचने का विशेष अभियान चलाना।
- प्रभावशाली संचार और सामाजिक गतिशीलता के प्रयासः सामान्य जागरूकता और टीकाकरण सेवाओं की मांग को संचार रणनीतियों के आधार पर पूरा करना और सामाजिक गतिशीलता संबंधी गतिविधियों से समुदाय की भागीदारी बढ़ाने में मास मीडिया, मझोले स्तर पर सूचना फैलाने वाले मीडिया, आपसी संपर्क वाले संचार माध्यम, स्कूलों, युवा नेटवर्क और कार्पोरेट की भूमिका अहम है।
- स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम कार्यकर्ताओं का सघन प्रशिक्षणः गुणवत्तापूर्ण टीकाकरण सेवाओं के लिए दैनिक टीकाकरण गतिविधियों में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों और कार्यकर्ताओं की क्षमता का निर्माण।
- कार्यबल के द्वारा जिम्मेदारी के ढांचे का निर्माणः भारत के सभी जिलों में टीकाकरण के लिए जिला कार्यबल मजबूत करके जिला प्रशासन और स्वास्थ्य मशीनरी के कर्ताधर्ताओं के साथ संलग्नता और जिम्मेदारी बढ़ाना। इस तरह समय के आधार पर जारी कार्यक्रमों की निगरानी आंकड़े का इस्तेमाल सुनिश्चित करना।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय दूसरे मंत्रालयों, जारी कार्यक्रमों और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ संबंधित और एकीकृत पहल के द्वारा देश में टीकाकरण कार्यक्रम में सुधार करने में संलग्न है।
अभियान संबंधी गतिविधियों की निगरानियां
विशेष अभियान के असर की निगरानी के लिए पुख्ता ढांचे का निर्माण मिशन इंद्रधनुष की महत्वपूर्ण विशेषता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय विश्व के सबसे टीकाकरण कार्यक्रम की सघन निगरानी के व्यापक ढांचे के तहत क्रियाशील है। बहुस्तरीय संरचना को सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है जिसके तहत स्वास्थ्य विशेषज्ञों, अधिकारियों और विभिन्न भागीदारों की दमदार फौज के जरिए राज्य जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी और निरीक्षण सुगम हो गया है।
पहले चरण के दौरान भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य कार्यालय ने तैयारियों को लेकर खास सूचनाएं समन्वित की जाती हैं। इसमें टीकाकरण में लगे कार्यबलों की गुणवत्ता राज्य, जिले और ब्लॉक स्तर पर निगरानी के लिए प्राथमिक क्षेत्रों में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति करने के लिए निगरानी मेडिकल ऑफिसर और इलाके में निगरानी कर्मियों की तैनाती से पहले प्रशिक्षण दिया गया है।
सामुदायिक और छोटे स्तर पर मिशन इंद्रधनुष के तहत 225 से ज्यादा फील्ड मेडिकल ऑफिसरों को तैनात किया गया है जिनमें 900 फील्ड निगरानी कर्मी और 1000 से ज्यादा बाहर के निगरानी कर्मियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत संचालन मंडल में सक्रिय किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत स्थित कार्यालय में राष्ट्रीय निगरानी दलों के अलावा प्रादेशिक स्तर पर छोटे-छोटे इलाकों और प्रादेशिक टीम नेतृत्व की ओर से भी कार्यान्वयन पर नजर रखी जाती है। निगरानी दल खास स्थलों पर एक मानक फार्मेट के तहत सत्र आयोजित करते हैं और ये क्षेत्र में मौजूद घरों को भी अपनी निगरानी के दायरे में लाते रहते हैं। इस काम में यूनिसेफ और कोर जैसी भागीदार एजेंसियां भी निगरानी में मदद करती हैं। ये एजेंसियां इससे पहले दैनिक टीकाकरण के विभिन्न अंगों की निगरानी में शामिल रह चुकी हैं।
फील्ड निगरानी, बाहरी निगरानी में लगे सभी कर्मी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तैनात होते हैं जो 7 से 14 अप्रैल के बीच कम से कम 8 दिनों तक निगरानी कार्य करते हैं। भागीदार एजेंसियों की ओर से उपलब्ध सभी निगरानी जिला स्तर पर एकत्रित की जाती है और इसकी निगरानी मेडिकल अधिकारी करते हैं। एक दिन में चार से छः जगहों पर प्रत्येक निगरानी कर्मी जाता है और अगले दिन दो से चार सत्रों में यही काम करता है। इसके अलावा प्रत्येक निगरानी कर्मी मिशन इंद्रधनुष अभियान के दूसरे दिन घर-घर जाकर निगरानी का संचालन करता है। एक निगरानी कर्मी को 2 से 4 क्षेत्रों निगरानी योग्य होना चाहिए, जिससे बीते दिनों घर-घर निगरानी के काम को वह बेहतर ढंग से कर सके। जिन क्षेत्रों में टीकाकरण कार्यक्रम हो चुके हैं मिशन के अभियान के आखिरी एक-दो दिनों में वहां निगरानी पूरी की जाती है।
जारी निगरानी से प्राप्त सूचना का इस्तेमाल विकासखण्ड और जिला स्तर पर होता है जिससे मध्यावधि में उपचारात्मक कार्य सुनिश्चित किये जा सकें। निगरानी संबंधी प्रारूप से प्राप्त आंकड़े का सरकार के सभी स्तरों पर कार्य कर रहे मुख्य कर्मियों से साझा करते मिलान कराया जाता है।
संचार निगरानी
मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सामुदायिक स्तर पर आंकड़ों को रखना बेहतर रणनीतिक संचार योजना है। इसमें वंचित आबादी और स्वास्थ्य देखभाल सेवा का भरोसेमंद निर्माण भी शामिल है। मिशन की कामयाबी के लिए बहुस्तरीय संचार की पहुंच बेहद जरूरी है इसलिए जरूरी हो गया है कि संचार से जुड़े प्रयासों की काफी निकटता से निगरानी हो।
निगरानी की यह प्रणाली सुधार के लिए तुरंत अच्छा कार्य है और यह मिशन इंद्रधनुष की संचार योजना को लागू करने पर निर्भर होने का सबूत है। विभिन्न कार्यक्रमों की प्रगति को टटोलने के लिए संचार निगरानी को खास समय और एक खास क्रियान्वयन स्तर पर जांचा जाता है।
निगरानी की यह प्रणाली सुधार के तुरंत जरूरी काम सुलभ बनाती है और मिशन इंद्रधनुष के लिए संचार योजना को लागू करने साक्ष्य आधारित कार्य करती है। संचार निगरानी का उद्देश्य खास समय में और खास निगरानी स्तर पर विभिन्न आईईसी/बीसीसी गतिविधियों की प्रगति की पड़ताल करना है।
सभी 201 जिलों को कवर करने वाले अद्यतन भागीदार निगरानी मैपिंग, जच्चा-बच्चा और नवजात सहित बाल स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच) भागीदारों और यूनिसेफ को इसमें शामिल किया गया है। जहां यूनिसेफ 187 जिलों पर ध्यान देता है वहीं यह 21 राज्यों के 812 विकास खण्डों पर भी गौर रखता है। बाकी जिले और विकास खण्ड को दूसरे प्रमुख भागीदार देखते हैं।
निगरानी के तीन प्रारूपः
- जिले में की गई तैयारी और क्रियान्वयन के स्तर की पड़ताल का उद्देश्य
- मिशन इंद्रधनुष अभियान में एक बार निगरानी का संचालन (खास तौर पर मिशन के अभियान के पहले दिन)
- जिला स्तरीय निगरानी प्रारूप
- पीएचसी/योजना इकाई स्तर पर तैयारी और क्रियान्वयन स्तर संबंधी कदमों पर नजर
- मिशन इंद्रधनुष अभियान के पहले दिन खास तौर पर एक बार अभियान की निगरानी
- पीएचसी/योजना इकाई स्तर पर निगरानी प्रारूप
- सत्र स्थल पर निगरानी प्रारूप
- प्रत्येक मिशन इंद्रधनुष दिवस के 2 से 4 सत्र
- संचार गतिविधियां उत्पन्न करने और उनके नतीजों को जांचना
आंकड़े के विश्लेषण और साझा करने के लिए प्रत्येक प्रारूप हेतु सामान्य एक्सेल आधारित डाटा एंट्री टूल्स भी विकसित करना है। इस विश्लेषित आंकड़े और निगरानी फील्डबैक को कार्यान्वयन के लिए सभी संबंध अधिकारियों के साथ साझा करना है।
संबंधित आंकड़े
: पूर्वोत्तर छह राज्य मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और नगालैण्ड
: शेष सात राज्य पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखण्ड, पुदुचेरी, केरल