नवरात्रि 2022: जानें कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और मंत्र : आचार्य महिंद्र कृष्ण शर्मा

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त नौ दिनों तक माता की पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं।

नवरात्रि कब शुरु हो रहे हैं, शुभ मुहूर्त और महत्व

शारदीय नवरात्रि इस साल सोमवार 26 सितंबर से शुरू होने जा रहे हैं और ये पांच अक्टूबर तक चलेगी। इन नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मंदिर में कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना को केवल शुभ मुहूर्त में ही स्थापित किया जाना चाहिए।

शारदीय नवरात्रि इस साल आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को है। ये तिथि सुबह तीन बजकर 23 मिनट से शुरू हो रही है। कलश स्थापना केवल तय शुभ मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त में की जानी चाहिए। साल 2022 नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त  सुबह छह बजकर 11 मिनट से साढ़े सात बजे तक है। इसके बाद राहुकाल लग जाएगा जो नौ बजे तक चलेगा।

जो लोग सुबह छह बजे कलश स्थापित नहीं कर सकते हैं वह नौ बजकर 12 मिनट से लेकर 10 बजकर 42 मिनट तक भी कलश स्थापित कर सकते हैं। इस दौरान शुभ चौघड़िया मुहूर्त है।  26 सितंबर 2022 को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से शुरू हो रहा है। ये 12 बजकर 36 मिनट तक चलेगा। इस बीच आप कलश स्थापित कर सकते हैं। इस साल पहली नवरात्री में कई शुभ योग भी बन रहे हैं। सुर्योदय के समय स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसके अलावा अमृत सिद्धि योग भी जारी रहेगा।

 कलश व‍िध‍ि और मंत्र: सुबह पूजा के ल‍िए सबसे पहले पानी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर स्नान करें। कलश स्थापना के स्थान पर दीया जलाएं। अगर अखंड ज्‍योत जलानी है तो वो भी इसी समय जलाएं। फ‍िर दुर्गा मां को अर्घ्य दें। इसके बाद अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। लाल फूलों से मां को सजाएं। मां को फल, मिठाई का भोग लगाएं। धूप, अगरबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा पढ़े। अंत में मां की आरती करें।

कलश स्थापना के ल‍िए सामग्री: कलश स्थापना के ल‍िए इस सामग्री को तैयार रखें : मिट्टी का कटोरा, जौ, साफ मिट्टी, कलश, रक्षा सूत्र, लौंग इलाइची, रोली और कपूर। आम के पत्ते, पान के पत्ते, साबुत सुपारी, अक्षत, नारियल, फूल, फल।

कलश स्थापना के समय लें संकल्प : मान्यता है कि कलश में दैवीय शक्तियां विराजमान होती हैं और इसलिए कलश या घटस्थापना का विशेष महत्व होता है।कलश स्थापित करने से पहले मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं। ध्यान रखें जौ बोने के लिए उन्हें एक रात पहले भिगो दें। इसके बाद कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसमें दो सुपारी, मोली, सिक्के और अक्षत डालें। गंगाजल छिड़कते हुए ॐ वरुणाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद माता को लाल चुनरी उड़ा दें।इसके बाद कलश पूजन करें और ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!’ का जाप करें। फिर देवी मां की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और आरती करें।

नवरात्र‍ि के नौ द‍िनों में अलग अलग रंग पहनने का व‍िधान है। पहले द‍िन घटस्‍थापना के समय पीले रंग को शुभ माना गया है। 

हर दिन पूजा से पहले खुद पर गंगाजल छिड़कें, तिलक लगाएं और दीपक जलाएं और रोज पहले भगवान गणेश, देवी पार्वती फिर कलश और उसके बाद देवी दुर्गा की पूजा करें। कुमकुम, चावल और हल्दी, मेहंदी सहित कई चीजों से पूजा करें फिर आरती और उसके बाद नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे।

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