- हिमाचल सरकार ने किए 93 हजार करोड़ रुपये निवेश क्षमता के 614 एमओयू हस्ताक्षरित
- विविधता के कारण हिमाचल प्रदेश निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ गंतव्यः पीयूष गोयल
- इन्वेस्टर मीट आयोजित करने का यह पहला लेकिन चुनौतिपूर्ण प्रयास: मुख्यमंत्री
धर्मशाला : धर्मशाला में आयोजित राईजिंग हिमाचलः ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की विविधता राज्य को निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ गंतव्य बनाती है। उन्होंने कहा कि यह उद्यमियों के लिए राज्य सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों से ही सम्भव हो पाया है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में उद्यमियों की सहभागिता दर्शाती है कि हिमाचल प्रदेश ने विकास की दिशा में एक ऊंची उड़ान भरी है और विकास पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक सौन्दर्य, शांत वातावरण, वनस्पति एवं जैव सम्पदा, जैव विविधता, बर्फीले पहाड़, मनोरम वादियां, अनछुए जंगल और विभिन्न परम्पराएं एवं सांस्कृतिक धरोहर पर्यटनों को हिमाचल प्रदेश को स्वर्ग बनाती हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से पर्यटन क्षेत्र में सम्भावनाओं को तलाशने का आग्रह किया। गोयल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक साक्षरता दर है और राज्य में औद्योगिक गतिविधियों के लिए की गई पहल सराहनयी है। राज्य सरकार की मानव अनुकूल नीतियां प्रदेश में निवेश को आकर्षित करेंगी। उन्होंने इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार को बधाई देते हुए कहा कि इससे न केवल भारत, बल्कि विश्वभर से निवेश के दरवाजे खुलेंगे। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने देश को पांच ट्रिलियन डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है और पिछले पांच वर्षों में हमने एक ट्रिलियन डाॅलर इसमें जोड़ दिए हैं। उन्होंने कहा कि पांच ट्रिलियन डाॅलर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी का भी दौरा किया और इसमें अपनी रूचि भी दिखाई।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने इस ऐतिहासिक सम्मेलन को सफलतापूर्वक आयोजित करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश निवेश के लिए उपयुक्त राज्य है जहां श्रमशक्ति और संसाधनों की कोई कमी नहीं है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने और सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से कई नीतियां अधिसूचित की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को उद्योग, आयुष, ऊर्जा, पर्यटन, कृषि, अधोसंरचना और संबंधित क्षेत्र में निवेश के आदर्श राज्य बनाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए औद्योगिक और निवेश नीति, पर्यटन नीति, फिल्म नीति, सूचना प्रौद्योगिकी नीति, आयुष नीति और ऊर्जा नीति अधिसूचित की गई हैं जिसके अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। ये सभी नीतियां प्रदेश के समावेशी और सतत् विकास के लिए सरकार के संकल्प को दर्शाती हैं।
उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर मीट आयोजित करने का यह पहला लेकिन चुनौतिपूर्ण प्रयास था जो निःसंदेह एतिहासिक है और निवेशकों के सहयोग से हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में आशातीत बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि सम्मेलन की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों के निरंतर सहयोग को भी जाता है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि अभी तक 614 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं जिससे लगभग 93 हजार करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। उन्होंने कहा कि जो समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं उन्हें सभी प्रकार का सहायता एवं सहयोग सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि इन पर कार्य शीघ्रता से कार्य आरम्भ हो सके। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभाग परियोजनाओं के लिए विभिन्न प्रकार के अनापत्ति प्रमाण-पत्र एवं स्वीकृतियां प्रदान करने के लिए कारगर कदम उठाएंगे ताकि उद्यमियों को आगे की कार्रवाई में कोई परेशानी न हो।
केंद्रीय वित्त और कारपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रयास राज्य की अर्थव्यवस्था और सामाजिक-आर्थिक पििरदृश्य को बदलने को बदलने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र का विकास केंद्र सरकार के लिए प्राथमिकता है क्योंकि यह हमारे उद्योगों की रीढ़ है। इस वर्ष के बजट में, इस क्षेत्र में ऋण की पहुंच में आसानी के लिए केंद्र सरकार ने एक समर्पित आनलाइन पोर्टल के माध्यम से 59 मिनट के भीतर एक करोड़ रुपये तक के ऋण प्रदान किए हैं।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र के लिए ब्याज अधीनता योजना के तहत, नये या वृद्धिशील ऋणों पर सभी जीएसटी पंजीकृत एमएसएमई के लिए दो प्रतिशत ब्याज उपबंध के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 350 करोड़ आवंटित किए गए हैं।