कीटनाशकों व रसायनों के अत्याधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता में आई कमी : मुख्य सचिव

  • 50 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण

अंबिका/शिमला: प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत जैविक/शून्य लागत प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य स्तरीय कार्य बल की बैठक का मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल की अध्यक्षता में आज यहां आयोजन किया गया। बैठक में ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ और कृषि, पशुपालन एवं प्राकृतिक खेती से सम्बन्धित विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। प्राकृतिक खेती को अपनाने में विभिन्न स्तरों पर होने वाली प्रक्रियाओं को समझने व अपनाने में सहायता मिली है।

इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव (पशुपालन) संजय गुप्ता, प्रधान सचिव (कृषि) ओंकार चंद शर्मा, प्राकृतिक खेती के प्रदेश परियोजना निदेशक राकेश कंवर, निदेशक कृषि, निदेशक बागवानी तथा निदेशक पशुपालन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के लोग वर्षों से कृषि तथा बागवानी के क्षेत्र से आजीविका प्राप्त कर रहे है। हरित क्रांति के दौरान शुरू हुए कीटनाशकों व रसायनों के अत्याधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की उर्वरता में कमी आई तथा उपभोक्ताओं को गुणात्मक उत्पाद उपलब्ध कराना एक चुनौती बन गया था। लेकिन अब प्राकृतिक खेती को अपनाने से पर्यावरण संरक्षण तथा कृषि उत्पादन की लागत में कमी आएगी तथा प्रदेश के किसानों को लाभ मिलेगा।

उन्होंने जानकारी दी कि योजना के अंतर्गत वित्त वर्ष 2019-20 में 50 हजार कृषकों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए 12 जिलों में स्थित 80 खण्डों में 1600 खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पिछले वर्ष इस योजना के तहत 12 जिलों 2669 किसानों ने प्राकृतिक कृषि को अपनाया है।

इस बैठक में कार्यकारी निदेशक डॉ. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि इस योजना के तहत पिछले वर्ष 12,345 कृषकों को एक दिन तथा 2803 कृषकों को दो से छः दिवसीय प्रशिक्षण के माध्यम से प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए जागरूक किया गया। योजना के तहत प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों को कुरूक्षेत्र स्थित गुरूकुल के भ्रमण के लिए भेजा गया था जिससे प्रदेश में प्राकृतिक खेती को अपनाने में विभिन्न स्तरों पर होने वाली प्रक्रियाओं को समझने व अपनाने में सहायता मिली है।

 

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *