शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश सरकार के प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बंद करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि ट्रिब्यूनल से कर्मचारियों को शीघ्र एवं कम खर्च पर न्याय मिलता था। सरकार चाहिए था कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को सृदृढ़ करती, रिक्त पदों को भरती, लेकिन सरकार ने इसे बंद करके अपना कर्मचारी विरोधी रवैया दर्शा दिया है। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को अपने हक को प्राप्त करने के लिए अब हाईकोर्ट जाना पड़ेगा, जहां अधिक कार्य होने की वजह से मामलों को निपटाने में काफी समय लगेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का सर्किट बैंच प्रदेश के धर्मशाला और मंडी जाकर मामलों का निपटारा करता था, जिससे अब तक लोगों के घर द्वार पर उनकी समस्याओं का निराकरण हो रहा था । अब दूर दराज के क्षेत्रों से लोगों को शिमला आकर हाईकोर्ट पहुंचने के लिए काफी धन, समय, उर्जा को खर्चना पड़ेगा और दूसरी समस्याओं से जुझना पडे़गा। प्रशासनिक ट्रिब्यूनल हर राज्य में है तथा सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मजिठा हाउस में ट्रिब्यूनल कार्यालय को स्थापित करने के लिए खर्च किए गए लाखों रुपए व्यर्थ हो जाएंगे।