शिमला: अतिरिक्त मुख्य सचिव (लोक निर्माण व राजस्व) मनीषा नन्दा ने कहा कि गत वर्ष लम्बे समय तक जारी रहे मानसून तथा शीत ऋतु में भारी बर्फबारी एवं वर्षा के कारण राष्ट्रीय उच्च मार्ग-154ए (बनीखेत-चम्बा-भरमौर सड़क) के सम्पूर्ण 133 किलोमीटर को भारी क्षति पहुंची। भारी वर्षा एवं बर्फबारी से बड़े भू-स्खलन हुए तथा संभावित भू-स्खलन क्षेत्रों में भी अधिक नमी के कारण भू-स्खलन हुए। उन्होंने इस मामले को भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं उच्च मार्ग के सचिव के समक्ष उठाया ताकि विशेषज्ञों का एक दल राष्ट्रीय उच्च मार्ग की एलाईनमेंट पर उभरते खतरे को कम करने के लिए लघु एवं दीर्घ कालिक कदम सुझा सकें। इसके उपरान्त मंत्रालय ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ दल गठित किया तथा नौ सप्ताह के भीतर आपदा जोखिम के दोबारा सामने आने को रोकने के लिए सुझाव सहित रिपोर्ट दर्ज करवाने को कहा।
मनीषा नन्दा ने कहा कि इस दल में आई.आई.टी. रूड़की के नामी विजटिंग प्रोफेसर एवं एनडीएमए(आपदा राहत विशेषज्ञ) में एनएसी के सदस्य डॉ. आर.के. भण्डारी, हिमाचल प्रदेश रिमोट सैंसिंग सेंटर शिमला (जियोलॉजिकल विशेषज्ञ) के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. राजेन्द्र थापा, केन्द्रिय सड़क अनुसंधान संस्थान दिल्ली (इंजीनियरिंग जियोलॉजिस्ट) के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. किशोर कुमार तथा पंजाब के रोपड़ स्थित आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नवीन जेम्स शामिल हैं।
उन्होंने ने कहा कि यह विशेषज्ञ दल 9 तथा 10 जून, 2019 को राष्ट्रीय उच्च मार्ग का दौरा करेगा। प्रदेश सरकार इस दल के सुझावों के आधार पर भारत सरकार को निधि के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगी। हालांकि प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने पहले ही वर्ष 2019-20 की मंत्रालय की वार्षिक योजना में शामिल करने के लिए 200 करोड़ रुपये का संभावित बजट प्रस्तावित किया है जिससे राष्ट्रीय उच्च मार्ग-154ए की विशेष मुरम्मत की जाएगी।