शिमला: गेयटी में लगी कैदियों के हाथों बने हैंडलूम और खाद्य उत्पादों की प्रदर्शनी

  • प्रदर्शनी का उद्देद्श्य कैदियों को रोजगार देना, ताकि वे सजा पूरी होने पर अपने आप को समाज में फिर से कर सके पुनर्स्थापित: पुलिस अधीक्षक जेल रंजना चौहान

 शिमला: हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के लिए विभाग द्वारा शुरू की गई “हर हाथ को काम” की पहल देश की अन्य राज्यों के लिए जहाँ एक मिसाल बनी हुई है। वहीं प्रदेश के कारावासों में सजा काट रहे बंदियों को रोजगार के अवसर देने की भी इस पहले द्वारा कोशिश की जा रही है। हिमाचल प्रदेश कारागार विभाग समाज के साथ जुड़ने का भी उन्हें मौका दे रहा है।  ताकि सजा पूरी होने के बाद बंदी समाज में खुद को असहज ना महसूस करें और बेहतर जीवन जी सकें और अपने आप को समाज में फिर से कर सके पुनर्स्थापित कर सके।  “हर हाथ को काम” की पहल से जहाँ कैदियों की आर्थिक स्थिति को सुधारे जाने के प्रयास किये जा रहे हैं वहीं उनकी प्रतिभा विकसित करने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश कारागार विभाग द्वारा शिमला के गेयटी थिएटर  में कैदियों द्वारा निर्मित उत्पादों की दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जिसे शिमला के लोगों तो पसंद कर रहे हैं वहीं पर्यटकों को भी यह प्रदर्शनी पसंद आ रही है।

पुलिस अधीक्षक जेल रंजना चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि कैदियों द्वारा जेल के अंदर बनाए गए हैंडलूम और खाद्य उत्पादों की प्रदर्शनी और बिक्री दो दिन के लिए लगाई है। प्रदर्शनी का मकसद सजायाफ्ता बंदियों को रोजगार  देना है, ताकि वे सजा पूरी होने पर अपने आप को समाज में फिर से पुनर्स्थापित कर सके। वहीं, सजायाफ्ता बंदियों ने बताया कि जेल विभाग ने उन्हें रोजगार देने के साथ-साथ समाज के लोगों के साथ मिलने का भी मौका दिया है जिसके लिए वे कारागार विभाग के आभारी है। सजा पूरी होने के बाद भी इसी काम को अपना कर स्वरोजगार करेंगे।

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