- प्रशिक्षण कार्यशाला में छात्रों, वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों को जैव विविधता और जैव विविधता अधिनियम, 2002 के बारे में कराया जाएगा अवगत
शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एचपीएसबीबी) राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए), चेन्नई के साथ समन्वय में एक परियोजना का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसे यू.एन.ई.पी /जी.ई.एफ एम.ओ.ई.एफ.सी.सी (भारत सरकार) द्वारा जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के कार्यान्वयन को मजबूत करने एवं अधिनियम के तहत शेयरिंग (एबीएस) प्रावधान और इससे उत्पन होने वाले लाभ पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
जैव विविधता संरक्षण एवं इससे जुड़ी समस्याओं को जैविक विविधता अधिनियम 2002 और नियम 2004 सफलतापूर्वक संबोधित करते है और इस संदर्भ में जैव विविधता की जागरूकता फैलाने की आवश्यकता बहुत बड़ी है। यह संरक्षण के लिए जैव विविधता शिक्षा से भी जुड़ा हुआ है, ताकि स्थायी रूप से उपयोग और मूल्यवान जैव संसाधनों की रक्षा की जा सके। एक तरफ, जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के बारे में जागरूकता व्यक्तियों और समुदायों में जागरूकता पैदा करती है ताकि वे पर्यावरण के संसाधनों को संरक्षित करने और सतत उपयोग करने के लिए जैविक विविधता अधिनियम 2002 प्रावधानों पर ध्यान दे। दूसरी ओर विशेष रूप से सरकार के लाइन विभागों में जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के बारे में जागरूकता की आवश्यकता है क्योंकि ऐसा करने से हमारे मूल्यवान जैव विविधता की रक्षा के लिए स्थायी उपयोग और संरक्षण प्रथाओं का दायरा भी बढ़ता है। राज्य की जैव विविधता को संरक्षित बनाए रखने के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों और रणनीतियों को लागू करने के लिए यह महसूस किया गया है कि राज्य के छात्रों, वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों का इस विषय में जागरूक होना अति आवश्यक है
स्थायी जैव विविधता अधिनियम, 2002 की भूमिका के बारे में अवगत कराने हेतु हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड ने चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों, वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों को प्रशिक्षण कार्यशाला में सम्मिलित करने का निर्णय लिया है और राज्य जैव विविधिता बोर्ड इसी उद्देश्य से इस एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन करने जा रहा है ताकि छात्रों, वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों को जैव विविधता और जैव विविधता अधिनियम, 2002 के बारे में अवगत कराया जाये।
हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव, कुणाल सत्यार्थी की अध्यक्षता में इस कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा जिसके द्वारा जैव विविधता और जैव विविधता अधिनियम, 2002 की भूमिका के बारे में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों, वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों को अवगत कराया जायेगा। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के वैज्ञानिक और अधिकारी भी कार्यशाला में भाग लेंगे और व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे।