Himachal Pradesh Council for Science, Technology & Environment

हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा रिकांगपिओ में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

  • प्रशिक्षण कार्यशाला में करीब 65 ग्राम पंचायतों ने लिया भाग

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा जिला किन्नौर के रिकांगपिओ में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। संयुक्त सदस्य, सचिव जैव विविधता बोर्ड कुनाल सत्यार्थी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन आज जिला किन्नौर बचत भवन, रिकांगपिओ में किया गया। कार्यशाला सुबह 10:00 बजे शुरू होकर शाम 5:00 बजे तक चली। इस कार्यशाला में किन्नौर जिला के उपायुक्त गोपाल चंद  मुख्य अतिथि रहे जबकि एसडीएम केलांग अमर नेगी विशेष अथिति के रूप में शिरकत की।

जिला किन्नौर के ग्रामीण कारीगरों को वाणिज्यिक अवसर प्रदान करने और ग्रामीण कारीगरों के सामाजिक आर्थिक विकास करने के लिए हिमाचल प्रदेश काउंसिल फॉर साइंस, टेक्नोलॉजी एंड एनवायरनमेंट (हिमकोस्ट), के हिमाचल प्रदेश पेटेंट सूचना केंद्र (एच.पी.पी.आई.सी) के अधिकारीयों ने भौगोलिक संकेत अधिनियम के बारे में प्रतिभागियों को शिक्षित किया। हिमकोस्ट ने जी.आई पंजीकरण प्राप्त करने की योजना बनाई है। इस उद्देश्य के लिए, उनके मूल, विशिष्टता, और उत्पादन की विधि और कारीगरों/उत्पादकों की सूची का समर्थन करने वाले दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं।

इस कार्यशाला में सम्बंधित जिला किन्नौर के जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्य, पंचायत प्रधान और सम्बंधित विभाग के अधिकारी मुख्य रूप से वन, कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, शिक्षा, पशुपालन, आयुर्वेद आदि के प्रतिनिधि और संबंधित हितधारक भाग लिया।

उन्होंने बताया कि कार्यशाला में जैव विविधता अधिनियम, 2002 और इसके नियमों, 2004 के कार्यान्वयन संबंधी विभिन्न गतिविधियों की जानकारी प्रदान की गई तथा जैव विविधता और इसके संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। कुनाल ने बताया कि रिकांगपिओ में कराई जा रही इस प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान करीब 65 ग्राम पंचायतें भाग लिया। जिनमें जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्य, पंचायत प्रधान, जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, सचिव, बी.एम.सी सदस्य और किन्नौर जिले के सभी तीन विकास खंडों व ग्राम पंचायतों के सदस्य भाग लिया। कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यशाला में जैव विविधता और इसके संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया गया।

कार्यशाला का आयोजन हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव कुणाल सत्यार्थी की देखरेख में किया गया। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के अधिकारी ने भी कार्यशाला में भाग लिया।

प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान विभिन्न वन मंडलों के अधिकारी, सभी विकास खंडों के पंचायत प्रधान, जैव विविधता प्रबंधन समितियों के चेयरमैन एवं मेम्बर और स्थानीय हितधारकों को जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों 2004 के प्रावधानों के महत्वों को साझा कर संवेदित किया गया। स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के गठन की प्रक्रिया, जैव विविधता प्रबंधन समितियों की भूमिका, जन जैव विविधता रजिस्टर (पी.बी.आर) की तैयारी और जिला लाहौल स्पीति के जैव संसाधनों का लाभ साझाकरण (ए.बी.एस) प्रक्रिया को भी इस कार्यशाला में संबोधित किया गया।

पुलिस अधीक्षक किन्नौर श्रुति शर्मा  और डॉ. (मेजर) अवनिंदर शर्मा, एसडीएम, किन्नौर, रिकांगपिओ इस प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान  भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। बी.डी.ओ पूह विनय सिंह,  जी.एम, डी.आई.सी, सर चंदर किन्नौर, नवीन सिंह उप निदेशक पशुपालन और हेमचंद उप निदेशक  बागवानी प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान मौजूद थे।

मुख्यबिंदु:

  • आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जानवरों और पौधों की परंपरागत प्रजातियों/ नस्लों के संरक्षण/ जैव संसाधनों के संरक्षण पर जैव विविधता प्रबंधन समिति (बी.एम.सी) की भूमिका एवं क्षमता निर्माण और जैव संसाधनों और स्थायी उपयोग पर जागरूकता लाना।
  • जैविक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के लिए बी.एम.सी की विशिष्ट भूमिकाओं और कार्यों के बारे में ज्ञान होना।
  • जैविक संसाधनों के संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन के लाभों को सुरक्षित करने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विकल्पों की पहचान कर इन विकल्पों को जैव संरक्षण के कार्य में लाना।

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