सभी राज्‍य सरकारें कम से कम हाई स्‍कूल के स्‍तर तक मातृभाषा को ए‍क अनिवार्य विषय बनाएं: उपराष्‍ट्रपति

  • निजी क्षेत्र को स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र के विकास में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए एमबीबीएस ग्रेजुएट कम से कम दो वर्ष तक ग्रामीण इलाकों में सेवा अवश्‍य करें सविता इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्‍नीकल साइंसेज में 11वां दीक्षांत भाषण दिया

नई दिल्ली: उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सभी राज्‍य सरकारों से अपील की है कि वे कम से कम हाई स्‍कूल के स्‍तर तक मातृभाषा को एक अनिवार्य विषय बनाएं। उपराष्‍ट्रपति आज चेन्‍नई में सविता इंस्टीइट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्नीकल साइंसेज में 11वां दीक्षांत भाषण दे रहे थे। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि कोई भी बच्‍चा किसी अन्‍य भाषा की तुलना में अपनी मातृभाषा में ज्‍यादा अच्‍छी तरह समझ सकता है। उन्‍होंने कहा कि अपने पैदाइशी भाषा में वह अपने विचारों को प्रभावशाली तरीके से अभिव्‍यक्‍त कर सकता है। हम आमतौर पर अपनी मातृभाषा में अपने विचारों को बेहतर तरीके से अभिव्‍यक्‍त करते हैं।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हम बहु सांस्‍कृतिक और बहुभाषी विश्‍व में रहते हैं। उन्‍होंने कहा चूंकि भाषा और संस्‍कृति एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, हमें देश के अनेक जनजातीय समूहों द्वारा बोली जाने वाली अनेक भाषाओं सहित अपनी स्‍वदेशी भाषाओं को मजबूत बनाने की जरूरत है। भाषा किसी संस्‍कृति की जीवन रेखा है और एक तरीके से यह एक वृहद सामाजिक परिवेश को परिभाषित करती है, जिसमें एक समाज रहता है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि महान व्‍यक्तियों का जीवन मेडिकल सहित सभी छात्रों के इतिहास के पाठ्यक्रम का हिस्‍सा होना चाहिए। कोई भी देश जो अपने इतिहास और संस्‍कृति को भूल जाता है, वह कभी समृद्ध नहीं हो सकता। उन्‍होंने कहा कि किसी को भी अपना अतीत याद रखना चाहिए और भविष्‍य के लिए योजना बनानी चाहिए तथा उसके अनुसार आगे बढ़ना चाहिए। हमें अपनी जड़ों तक पहुंचना चाहिए, अपनी संस्‍कृति को जानना चाहिए।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि निजी क्षेत्र को स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र के वि‍कास में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि समाज ने मेडिकल के छात्रों को बहुत कुछ दिया और उन्‍हें कम से कम दो वर्ष ग्रामीण इलाकों में गांव वालों की सेवा करके समाज को कुछ न कुछ अवश्‍य देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में डॉक्‍टरों और स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख सुविधाओं की भारी कमी है और सभी तक स्‍वास्‍थ्‍य देखरेख की पहुंच कायम करने के लिए जबरदस्‍त बदलाव की आवश्‍यकता है।

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