वन कर्मियों को संवेदनशील क्षेत्रों में हथियार रखने की अनुमति

शिमला : प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि राज्य सरकार ने वन विभाग को पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तराखंड तथा हरियाणा के साथ लगते वन सीमाओं में अवैध रूप से हो रहे वन कटान व लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए इन क्षेत्रों में तैनात वन विभाग के कर्मियों को पिस्तौल-बंदूक/रिवाल्वर/राईफल रखने की अनुमति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि तस्करी में संलिप्त लोग आधुनिक हथियारों से सुसज्जित होते हैं तथा घटनाओं को अंजाम देते हैं, जबकि वन कर्मी बिना हथियारों के अपना कार्य करते हैं और इसी के दृष्टिगत राज्य सरकार ने यह निर्णय है।

उन्होंने कहा कि बिलासपुर, धर्मशाला और हमीरपुर वन परिक्षेत्र में हथियार रखने की अनुमति प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त, वन मंडल नालागढ़, नूरपुर तथा ऊना के अलावा वन क्षेत्र नालागढ़, बददी, इंदौरा, रे, ऊना, अंब भरर्वांइं में भी हथियारों को रखने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा क्रय किए गए अस्त्र एवं शस्त्र वन विभाग की सुरक्षित निगरानी में रखे जाएंगे और इनका ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। प्रयोग किए गए प्रत्येक कारतूस व गोली की गिनती कर इसका विवरण एवं कारणों सहित रजिस्टर में इंदराज करना होगा। उन्होंने कहा कि वन परिक्षेत्रों को अस्त्र व शस्त्र प्राधिकृत अधिकारी द्वारा दिए जाएंगे और कार्य पूर्ण होने पर ये सम्बन्धित अधिकारी को वापिस किए जाएंगे।

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