समाज में बदलाव के लिये सोच में परिवर्तन आवश्यकताःकौल सिंह ठाकुर

  • कन्या भू्रण हत्या महापाप तथा कानूनन जुर्म भी
  • बच्चों को संस्कारित करना अभिभावकों की नैतिक जिम्मेवारी
  • महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सरकार की अनेक योजनाएं

 

शिमला: महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक उत्थान में अह्म योगदान है। इसके लिये महिलाओं का स्वंय सशक्त होना आवश्यक है। समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच एवं सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है तभी उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, राजस्व तथा विधि मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आज यहां प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईष्वरीय विश्वविद्यालय के शिमला स्थित महिला प्रभाग द्वारा ‘बेटी बचाओ, सशक्त बनाओ’ अभियान के शुभारम्भ पर कही। जन जागृति के इस अभियान का समापन आगामी 6 जून को समापन धर्मशाला में होगा।

कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उत्थान तथा उन्हें स्वाबलम्बी बनाने के उद्देश्य से अनेकों योजनाएं कार्यान्वित की हैं जिनमें ‘बेटी है अनमोल योजना’, ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’, मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना, माता शबरी महिला सशक्तिकरण योजना इत्यादि। इसके अतिरिक्त, लड़कियों को प्रथम कक्षा से स्नात्कोतर तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। सरकार ने महिलाओं को राजनीतिक तौर पर सक्षम बनाने के लिये पंचायती राज संस्थानों तथा शहरी निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है जिसके चलते आज प्रदेश में लगभग 58 प्रतिशत महिलाएं निर्वाचित होकर राजनीति में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि महिलाओं को उनके घर-द्वार के समीप अपनी उच्च शिक्षा को जारी रखने के उद्देश्य से राज्य के दूर-दराज तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गत तीन वर्षों के दौरान 30 महाविद्यालय खोले गए हैं तथा अनेकों पाठशालाओं को जमा दो में स्तरोन्नत किया गया है। परिणामस्वरूप इन शिक्षण संस्थानों में वर्तमान में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आई क्रान्ति से यहां की महिलाएं आज प्रत्येक क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है तथा पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज के विकास में पूर्ण सहयोग कर रही हैं।

प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा करते हुए ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में देशभर में अब्बल है। राज्य सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 26000 रुपये प्रति वर्ष खर्च कर रही है। राज्य में 12391 व्यक्तियों पर एक चिकित्सक मौजूद है तथा स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या भी अनुपात दृष्टि से देशभर में श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रसव पूर्व लिंग जांच रोकथाम अधिनियम (पीएनडीटी) का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या महापाप ही नहीं, बल्कि कानूनन जघन्य अपराध है और अधिनियम में इसके लिये कड़ी सजा का प्रावधान है। हालांकि, इस दिशा में अभी और प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने राज्य के कुछ भागों में लिंग अनुपात में कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कन्याओं के प्रति सोच को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल-स्पिति में लिंग दर 1000/1033 है जो देश व प्रदेश के लिये एक बेहतर उदाहरण है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बच्चों को संस्कारित करना अभिभावकों की नैतिक जिम्मेवारी है। बचपन से ही उनके अच्छे संस्कारों का प्रवाह करने की आवश्यकता है ताकि वे एक अच्छे नागरिक बन सके। उन्होंने कहा कि बेटा-बेटी में भेदभाव संकीर्ण मानसिकता है और इससे बचना चाहिए। बेटियां बिना किसी स्वार्थ के माता-पिता की जीवन पर्यन्त सेवा करती हैं और यहाँ तक कि सभी प्रकार के कर्मकाण्ड करवाने में भी पीछे नहीं हैं। इसके पश्चात, स्वास्थ्य मंत्री ने ‘बेटी बचाओ, सशक्त बनाओ’ अभियान रैली को हरी झण्डी दिखाकर इसके प्रस्थान की रस्म को पूरा किया।

माउन्ट आबू से आई अभियान की मुख्य संचारिका ब्रह्माकुमारी डा. सरिता ने कहा कि हमारे देश में सदियों से नारी की पूजा की जाती रही है, लेकिन यह बिडम्बना ही है कि इसके बावजूद भी महिलाओं पर जुर्म की दास्तां में विशेष कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि समाज में दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाएं एवं सामाजिक मान्यतांए बेटी को पनपने से रोकती हैं। बेटे से वंश चलता है, इस अवधारणा से बाहर निकलने की आवश्यकता है। उन्होंने बेटी की शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि बेटी शिक्षित होने से समाज की चुनौतियों का सामना करने में समर्थ बनती है।

ब्रह्माकुमारी सुषमा ने कहा कि नारी में आत्म सुरक्षा, आत्म सम्मान तथा आत्म विश्वास की भावना उत्पन्न करने की आवश्यकता है और इसके लिये लड़कियों की शिक्षा का समुचित प्रबन्ध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाएं राजनीतिक, समाजिक, सुरक्षा, कानून व व्यवस्था सभी क्षेत्रों में ईमानदारी के साथ बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

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