भारतीय अर्थव्यवस्था पर "काले धन" का प्रभाव

2035 तक 10-ट्रिलियन अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा भारत – CEBR रिपोर्ट

ब्रिटेन की प्रतिष्ठित कंसल्टेंसी, सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) ने अपनी रिपोर्ट का नवीनतम संस्करण सोमवार को जारी किया गया है। सीईबीआर ने अपनी नवीनतम वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल-2023 में अनुमान जताया है कि भारत 2035 में 10 लाख करोड़ डॉलर की तीसरी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। थिंकटैंक ने भविष्यवाणी की है कि 2037 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। रिपोर्ट में भारत की ग्रोथ को अनस्टॉपेबल बताया गया है।

की-प्वॉइंट्स:- भारत के आर्थिक महाशक्ति बनाने की रफ्तार पर लगाम लगाना मुश्किल है

-2035 तक 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान

-2037 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का अनुमान

ब्रिटेन की Centre for Economics and Business Research (CEBR) अग्रणी आर्थिक सलाहकार संस्थाओं में से एक है और इसका वार्षिक प्रकाशन वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबलविश्व स्तर पर और देश-वार व्यापक आर्थिक विकास को ट्रैक करता है। सीईबीआर ने सोमवार को 2037 तक 191 देशों के लिए पूर्वानुमान प्रस्तुत किया है, जिसमें यह भी चेतावनी दी गई है कि दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है।

सीईबीआर ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर प्रकाश डालते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है: “2035 में, हम अनुमान लगाते हैं कि भारत तीसरी $10-ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हालांकि ऐसे राजनीतिक कारक हैं जो भारत को पीछे खींच सकते हैं, इसके पक्ष में जनसांख्यिकी है।

जीडीपी बढ़त:- जनसंख्या के मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है। इसकी अनुमानित पीपीपी समायोजित जीडीपी (GDP) प्रति व्यक्ति 8,293 डॉलर थी। जो इसे निम्न मध्यम-आय वाले देशों के समूह में रखता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्पादन वृद्धि कम होने की उम्मीद है, हालांकि, सीईबीआर पूर्वानुमान के अनुसार 5.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी, क्योंकि मूल्य स्तर में तेजी से घरेलू मांग में कमी आई है। महामारी का इस दक्षिण एशियाई देश पर विशेष रूप से विनाशकारी प्रभाव पड़ा इसके चलते वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी उत्पादन में 6.6% की गिरावट के साथ, आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट आई।

वैश्विक मंदी में भारत की विकास दर सबसे तेज:- रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के थमने के साथ आर्थिक गतिविधियों में तेज उछाल आया। इसके फलस्वरूप वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की जीडीपी में 8.7% की वृद्धि हुई, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया। वैश्विक मांग में गिरावट और महंगाई के दबाव को रोकने के लिए मौद्रिक नीति को कड़ा करने के बावजूद हम अब भी उम्मीद करते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की विकास दर 6.8% देखने को मिलेगी।

भारत की खुदरा महंगाई अन्य देशों की तुलना में कम:- रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति वर्ष के दौरान 6 प्रतिशत के ऊपरी सहिष्णुता स्तर से ऊपर रही है, लेकिन यह अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में कम रही है। आपको बता दें रुस में 12.6%, इटली में 11.8%, ब्रिटेन में 11.1%, जर्मनी में 10%, और अमेरिका में 7.7% खुदरा महंगाई दर है।

2037 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत:- रिपोर्ट कहती है अगले पांच वर्षों में भारत की जीडीपी वृद्धि दर औसतन 6.4% रहने की उम्मीद है। इसके बाद अगले नौ वर्षों में विकास दर औसतन 6.5% रहने की उम्मीद है। विकास की यह तीव्र गति भारत को विश्व आर्थिक लीग तालिका में वर्तमान पांचवें स्थान से 2037 तक तीसरे स्थान पर पहुंचा देगी। अमेरिका और चीन के बाद भारत 10 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी हासिल करने वाला दुनिया का तीसरा देश भी बन जाएगा।

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