सतत् उत्सर्जन और प्रवाह निगरानी प्रणाली, पर्यावरण अधिनियमों के तहत वायु और जल की गुणवत्ता का आंकलन करने में भी कारगर : अपूर्व देवगन

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आयोजित किया दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, 100 प्रतिभागियों एवं अधिकारियों ने लिया हिस्सा

शिमला : हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 20 और 21 दिसंबर को ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) एवं USAID के सहयोग से सतत् उत्सर्जन निगरानी प्रणाली और सतत् प्रवाह गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (CEMS) से सम्बन्धित विषय पर राज्य बोर्ड के बद्दी स्थित पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जल शक्ति विभाग, शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड और संबन्धित औद्योगिक इकाईयों के लगभग 100 प्रतिभागियों एवं राज्य बोर्ड के तकनीकी अधिकारियों ने भाग लिया।
राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन ने अपने सम्बोधन में इस बात पर बल दिया कि अधिक वायु और जल प्रदूषण क्षमता वाले उद्योगों में सतत् उत्सर्जन और प्रवाह निगरानी प्रणाली, पर्यावरण अधिनियमों के तहत निर्धारित मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ वास्तविक समय के आधार पर वायु और जल की गुणवत्ता का आंकलन करने में भी कारगर होती है। यह एक उन्नत तकनीक आधारित प्रणाली है और उद्योगों या अन्य हितधारकों को प्रक्रिया अनुकूलन के साथ समय-समय पर सुधारात्मक उपाय करने में मदद करती है। उन्होंने इस प्रणाली की प्रौद्योगिकी प्रमाणन, निरन्तर जाँच एवं गुणवत्ता विश्वसनीयता की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि इस प्रणाली से केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सटीक, विश्वसनीय और पुनः सत्यापन योग्य डेटा उत्पन्न किया जा सके।
केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा इस प्रणाली का स्थापन अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों की 17 श्रेणियों में अनिवार्य किया गया है। इस श्रेणी के अन्तर्गत, राज्य में ऐसी 21 इकाईयां हैं और इन उद्योगों ने 37 सतत् उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (CEMS) और 8 सतत प्रवाह गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (CEMQS) स्थापित की गईं हैं, जिन्हें पर्यावरण नियमों की अनुपालना एवं निगरानी के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और राज्य बोर्ड के सर्वर से भी जोड़ा गया है।
इसके अलावा राज्य बोर्ड प्रदेश में 25 विभिन्न स्थानों पर परिवेशी वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी कर रहा है और परिवेशी वायु गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। इस दिशा में राज्य बोर्ड द्वारा औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में वायु गुणवत्ता पर निरंतर नजर रखने के लिए एक सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन भी स्थापित किया गया है।
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में CEEW, USAID और SICK के विशेषज्ञों ने इन प्रणालियों पर प्रतिभागियों को अपने बहुमूल्य अनुभव के साथ-साथ स्टैक मॉनिटरिंग के विभिन्न पहलुओं पर तकनीकी ज्ञान एवं व्यवहारिक अनुभव को सांझा किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण उन्मूलन से सम्बन्धित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में हमेशा देश का अग्रणी राज्य रहा है। इस कड़ी में, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्तर पर राज्य के सुंदरनगर और नालागढ़ शहरों को क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान के लिए ‘‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2022’’ से पुरस्कृत किया गया है, जो कि प्रदेश के लिए एक गर्व का विषय है।
इस उपलक्ष्य पर उन्होंने अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों से उत्सर्जन और अपशिष्ट निर्वहन सुरक्षित सीमा के भीतर सुनिश्चित करने के लिए स्व-विनियमन प्रणाली के उपयोग और आवश्यकता पर बल दिया और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के साथ-साथ अन्य हितधारकों को प्रदूषण उन्मूलन की दिशा में निरन्तर सार्थक प्रयास करने के निर्देश दिए, ताकि राज्य का सतत् विकास सुनिश्चित किया जा सके।

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