2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य को सफल बनाने हेतु, समेकित कृषि प्रणाली को प्रोत्साहनः राधामोहन सिंह

पूरा विश्व जूझ रहा जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से: राधा मोहन

  • कॉरर्पोरेट जगत ग्रामीण एंव कृषि विकास में अधिक योगदान दे
  • किसानों के सशक्तीकरण हेतु नवीन प्रसार पद्धति विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से जूझ रहा है और इसका असर कृषि पर भी पड रहा है। विश्व खाद्य एंव कृषि संगठन का अनुमान है कि जनसंख्या में हो रहे बदलाव के दृष्टिगत खादय उत्पादन 60 प्रतिशत की दर से बढना चाहिए जबकि जलवायु परिवर्तन पर गठित अंतराष्ट्रीय पैनल का अनुमान है कि 2050 तक फसल उत्पादकता में दस से बीस प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। बढता तापक्रम मछली उत्पादन में 40 प्रतिशत की कमी ला सकता है। कृषि क्षेत्र का प्रदूषण भी चिन्ता का विषय है जिसे दूर करने के लिए किसानों को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। कृषि प्रदूषण में जानवरों द्वारा दो तिहाई ग्रीन हाउस गैसों का और 70 प्रतिशत मिथेन गैसों के उत्सर्जन का अधिक योगदान है। जिससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है इससे बचने की जरूरत है। मेरा मानना है कि कॉरर्पोरेट जगत को ग्रामीण क्षेत्र एंव कृषि विकास में अधिक योगदान देने की जरूरत है जिससे सीमांत, गरीब एंव भूमिहीन किसानों की सामयिक दद हो सके।

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह आज यहां किसानों के सशक्तीकरण और कल्याण हेतु नवीन प्रसार पद्धति विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे। तीन दिनों तक चलने वाली इस गोष्ठी में गैर सरकारी क्षेत्र के अनेक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और कृषि क्षेत्र से जुडे विभिन्न मुदृों पर विचार विर्मश करेंगे। राधा मोहन ने कहा कि विभिन्न कारणों से मिटटी अपनी गुणवत्ता खो रही है जिससे मुख्यता असंतुलित उर्वरक प्रयोग, अधिक पोषक तत्वों का उपयोग करने वाली फसलों का उत्पादन, दलहनी पफसलों का फसल चक्र में प्रयोग न किसा जाना एंव मिटटी में घटता हुआ आरगैनिक कार्बन जिम्मेदार है। चूंकि जोत घट रही है इसलिए किसानों के लिए ऐसे माडल की जरूरत है जिससे उनके परिवारों की खादय सुरक्षा, वोषण तत्वों की कमी के साथ साथ नियमित रूप से आमदनी का स्रोत भी सुनिश्चित किया जा सके। खादय सुरक्षा के अतिरिक्त पोषण सुरक्षा एक चिन्ता का विषय है जिस पर प्रसार को ध्यान देने की जरूरत है। कुपोषण की अज्ञानता भी बहुतायत क्षेत्रों में देने को मिलती है। जबकि वर्तमान में जब विश्व का एक तिहाई उत्पादन प्रतिवर्ष नष्ट होता है जो कि 200 करोड लोगों को एक वर्ष खाना खिलाने के लिए पर्याप्त है। खादय उत्पादों का अधिकतक नुकसान उत्पादन के बाद कटाई,ढोने एंव भंडारण के समय देखने को मिलती है। यह नुकसान आर्थिक, पर्यावरण व सामाजिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व में 80 करोड लोग भुखमरी से ग्रसित हैं जबकि 200 करोड लोग कुपोषण से ग्रसित हैं जिनमें आयरन, जिंक एंव विटामिन ए की कमी बहुतायत है।

राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि प्रसार को 14 करोड कृषक परिवारों तक पहुंचाने के लिए संसाधन समिति हैं और इसलिए जो बहुत दिनों से लंबित मांग थी उसको पूरा करने के लिए किसान चैनल का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। कृषि प्रसार से यह उम्मीद की जाती है कि ये उत्पादन, सुरक्षा, पफसल कटाई के बाद बाजार, बीमा, ऋण एंव अन्य सूचनाएं जैसे कृषि निवेश, मौसम आदि के बारे में किसानों को नियमित रूप से सूचनाएं एंव सलाह प्रदान करेगा। साथ ही किसान स्थल पर जो सूचनाएं जाएं वे संयुक्त रूप से विचार विर्मश कर उपलब्ध कराई जाए। कारण भारत में बहुआयामी प्रसाद प्रद्धति है जो अभी भी सरकारी प्रसार पद्धति पर ही निर्भर है। हाल के वर्षो में कृषि विज्ञान केंद्रों ने नवीन तकनीकी को कृषकों तक पहुंचाने में सरहानीय कार्य किया है जिसमें स्वायल हैल्थ कार्ड योजना के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाने में सफलता प्राप्त हुई है। राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है एंव राज्य सरकारें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर रही है और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं में अनेक प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है। भारत सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, स्वायल हैल्थ कार्ड योजना, राष्ट्रीय खादय सुरक्षा मिशन, परपंरागत कृषि विकास योजना, पूर्वी भारत में हरित क्रांति आदि कृषि को आने वाले दिनों सशक्त करने में विशेष योगदान देंगी। किसानों के लिए प्रभावी बीमा योजना भी केंद्र सरकार जल्द लाने जा रही है। यह बिन्दु प्रसार के कार्यक्षेत्र के अभिन्न अंग होने चाहिए।

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