सोलन: नौणी में विज्ञान दिवस पर आयोजित किए कार्यक्रम

कई प्रतियोगिताओं की गईं आयोजित

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर स्कूली बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के बेसिक साइंस विभाग द्वारा हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (HIMCOSTE) और नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में शमरोड़, धारजा, गौड़ा और कोठो के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्रों ने भाग लिया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. परविंदर कौशल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की जबकि थुनाग महाविद्यालय के डीन डॉ डीडी शर्मा गेस्ट ऑफ ऑनर रहे। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, भारत में हर साल 28 फरवरी को ‘रमन इफेक्ट’ की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विज्ञान दिवस पहली बार 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया था। इस वर्ष के विज्ञान दिवस का विषय ‘सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण’ है।

बेसिक साइंसेज विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. निवेदिता शर्मा ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और विज्ञान दिवस के महत्व के बारे में बताया। कार्यक्रम की मुख्य अन्वेषक डॉ. आशु चंदेल ने इस आयोजन के पीछे के उद्देश्य के बारे में बताते हुये कहा कि विज्ञान दिवस से सभी के बीच साइन्स में रुचि बढ़ाना है।

छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. कौशल ने मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार और विकास के लिए विज्ञान को श्रेय दिया। उन्होंने छात्रों से अपने दैनिक जीवन में वैज्ञानिक सोच अपनाने का आग्रह किया क्योंकि सब कुछ विज्ञान से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए विज्ञान को अपनाना चाहिए और दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं के स्थायी समाधान खोजने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों से आह्वान किया कि वह विज्ञान को एक दिन तक सीमित न रखें बल्कि वैज्ञानिक स्वभाव अपनाकर इसे हर दिन मनाएं। मुख्य वक्ता डॉ. के कुमार, भूतपूर्व प्रोफेसर और फल विज्ञान विभाग के प्रमुख ने अनुसंधान के माध्यम से किए गए नवाचारों के बारे में छात्रों को अवगत कराने के लिए स्वास्थ्य, संचार और कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक नवाचारों के उदाहरण दिया। उन्होंने महान वैज्ञानिकों का उदाहरण दिया जिनकी खोजों ने दुनिया में बदलाव लाने में मदद की है।

इस अवसर पर कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। ‘विज्ञान : वरदान या अभिशाप’ विषय पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई। जीएसएसएस धारजा की शिवानी और शमरोड़ की रितिका ने पहला पुरस्कार हासिल किया, जबकि कोठो स्कूल की खुशी और रिया मेहता ने दूसरा पुरस्कार हासिल किया। तीसरा स्थान पर धारजा से आरुषि आयुष और गौड़ा के सुनील रहे। कोठो स्कूल की शिवानी ने ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण’ विषय पर निबंध प्रतियोगिता जीती। गवर्नमेंट स्कूल शमरोड़ की श्रेया और कोठो स्कूल की गरिमा ने क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व पर नारा लेखन प्रतियोगिता एवं पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। नारा लेखन प्रतियोगिता में गौड़ा की काजल कंवर व जाह्नवी ठाकुर ने प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जबकि कोठो स्कूल के हरीश ने तीसरा स्थान हासिल किया। पोस्टर मेकिंग में धारजा स्कूल की माधवी और महक ने पहला, गौड़ा की शिवानी और कोठो की कशिश ने क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। डॉ. नीरजा राणा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर एक टेबल कैलेण्डर का विमोचन किया गया। विभाग के सभी संकाय ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।  

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