प्राकृतिक खेती में रिसर्च के लिए नौणी और पालमपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने दी प्रस्तुतियां

प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हिमाचल प्रदेश में अब कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने किये शोध शुरू

शिमला: प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हिमाचल प्रदेश में अब कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने शोध शुरू कर दिए हैं। पिछले 3 सालों में इन दोनों विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती में हुए विभिन्न रिसर्च में बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। प्राकृतिक खेती में और अधिक शोध कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए योजना के तहत शोधार्थियों के लिए फेलोशिप प्रोग्राम भी शुरू किया गया है। इस फेलोशिप प्रोग्राम में चयन के लिए शुक्रवार को नौणी और पालमपुर यूनिवर्सिटी के 14 एमएससी और पीएचडी के छात्रों ने फैलोशिप चयन कमेटी के सामने अपनी प्रस्तुतियां दी। प्रेजेंटेशन के दौरान छात्रों ने प्राकृतिक खेती विधि के तहत मिट्टी, खाद्य पदार्थाें और पर्यावरण के उपर पड़ने वाले अच्छे प्रभावों के बारे में शोध के प्रपोजल रखे।

इस दौरान प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने छात्रों के शोध प्रस्तावों की सराहना की और उन्हें प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती के बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। जिन पर शोध करने के लिए न सिर्फ प्रदेश बल्कि दूसरे देशों भी छात्र शोध के लिए हिमाचल पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों की ओर से किए गए शोधकार्य से हमारे पास सांइटिफिक डाटा बढ़ेगा और इससे और अधिक किसान इस खेती विधि को अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि छात्रों की ओर से दिए गए प्रस्ताव बहुत ही बेहतरीन है और इनपर गौर करके चयनित छात्रों को सुचित किया जाएगा।
चयन कमेटी के सामने रितिका गौतम, नेहा जम्वाल, श्वेता, कर्मन्या जसरोटिया, गौरव सिंह चौहान, दीपाली बक्शी, राघव सूद, प्रियांशी सूद, गायत्री हेटा, कोमल शर्मा, चिंग्लैंबी लेशराम, अशिता मांडला, ईशा भारद्वाज और रिया कंवर ने अपने-अपने शोध प्रस्तावों की प्रस्तुतियां दी।  

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