मुख्यमंत्री का आपातकालीन सेवाओं व ट्रॉमा केयर के सुदृढ़ीकरण पर बल

  • वित्तीय वर्षों 2015-17 प्रत्येक के लिये 50 करोड़ आवंटित
  • मुख्यमंत्री का यातायात तथा सड़क प्रबन्धन में सूचना प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग पर बल
  • सड़क दुर्घटना डाटा प्रबन्धन प्रणाली के कार्यान्वयन पर बल

 

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सड़क दुर्घटनाओं में खोने वाली बहुमूल्य मानव जिन्दगियों को बचाने के लिए आपात सेवाओं तथा ट्रॉमा केयर को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कुशल परिवहन प्रणाली समय की आवश्यकता है, और इसके लिए संरचनात्मक निवेश को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री आज कांगड़ा जिले के डा. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टाण्डा में सड़क सुरक्षा एवं सुविधाजनक परिवहन पर आयोजित मंत्रियों के समूहों की तीसरी बैठक में बोल रहे थे। वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने सड़क क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है, हालांकि पर्वतीय राज्यों में इस क्षेत्र में निर्माण एवं रख-रखाव की उच्च लागत जैसे अनेक मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा अधोसंरचना में राज्य निरंतर सड़क सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा दुर्घटनाओं को कम करने के लिए तंत्र एवं व्यवस्था को विकसित कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के समय राज्य में कुल 288 किलोमीटर वाहन योग्य सड़के थीं, जबकि आज 34,359 किलोमीटर सड़कों व 1913 पुलों का एक मजबूत नेटवर्क है। उन्होंने कहा कि राज्य में 17000 गणना गांवों में से 10000 गांवों को सम्पर्क मार्गों से जोड़ा जा चुका है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा का मुद्दा सभी को, विशेषकर गरीब लोगों को प्रभावित करता है और दुर्घटनाओं की स्थिति में घायल व्यक्तियों व उनके परिजनों पर भारी वित्तीय बोझ में धकेलता है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान के लिए सड़कों के डिजाईन, इंजीनियरिंग, चालकों का व्यवहार, प्रशिक्षण, कौशल, यातायात प्रबन्धन, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं, घायलों को समय पर सुरक्षित निकालना तथा 108 जैसी समर्पित सेवाओं को ध्यान में रखकर इन्हें विशेष तवज्जों दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय दुर्घटना राहत नीति को स्पष्ट करने व इसमें सुधार करने तथा सड़क सुरक्षा के लिए निधि के सृजन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक दुर्घटनाओं को आधा करने के दृष्टिगत अगले दशक के लिए एक सड़क मानचित्र तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने सड़क सुरक्षा ऑडिट सहित यातायात एवं सड़क प्रबन्धन में सूचना प्रौद्योगिकी के और अधिक उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में वर्ष 2014 के दौरान 1099 तथा वर्ष 2015 में 1096 लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जानें गवाईं, जबकि इस अवधि के दौरान क्रमशः 5576 व 5108 लोग घायल हुए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में लोग दुर्घटनाओं में पूरी जिन्दगी के लिए घायल हो जाते हैं तथा बहुत से घायल मृत्यु का शिकार हो जाते हैं, जिन्हें बाद में दुर्घटनाओं में हुई मौतों की श्रेणी में माना जाता है। उन्होंने कहा कि हालांकि हिमाचल प्रदेश देश की कुल आबादी का 0.54 प्रतिशत भाग है, लेकिन यह दुर्घटनाओं में मृत्यु दर में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार ने चिन्हित ब्लैक स्पॉट को हटाने के लिए वित्तीय वर्षों 2015-17 प्रत्येक के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। उन्होंने कहा कि राज्य ने सड़क दुर्घटना डाटा प्रबन्धन प्रणाली के क्रियान्वयन के लिए राज्य सड़क परियोजना के अन्तर्गत विश्व बैंक की सहायता से एक परियोजना तैयार करने का प्रस्ताव है। यह परियोजना सड़क दुर्घटना डॉटा को एकत्र करने के उपरान्त इसका विश्लेषण करने में मदद करेगी। उन्होंने सड़क इंजीनियरिंग पर और अधिक निवेश की आवश्यकता पर बल दिया। वीरभद्र सिंह ने केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों, जिनके पास सीमित संसाधन हैं, में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित बनाने तथा सड़क निर्माण में तेजी लाने के लिये पर्याप्त धन राशि प्रदान करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने अधोसंरचना विकसित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने तथा सड़क सुरक्षा मामलों का समाधान करने के उद्देश्य से राज्य के लिए नए राष्ट्रीय उच्च मार्गों की घोषणा के लिए केन्द्रीय परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी का धन्यवाद किया। उन्होंने 10000 यात्री कार इकाई से अधिक यातायात वाली सड़कों को फोर-लेन करने तथा 7000 किलोमीटर सड़कों को विकसित करने की भारत परिमाला योजना, भारत सेतु परियोजना तथा ओवर बृज रेल नीति के क्रेन्द्र सरकार के कदम का स्वागत किया। वीरभद्र सिंह ने केन्द्र सरकार से रेल ओवर बृज नीति को केवल राष्ट्रीय उच्च मार्गों तक सीमित न रखकर, राज्यों को रेल ओवर बृज और ग्रामीण व अन्य श्रेणी की सड़कों के लिए भी इसकी मंजूरी प्रदान करने का आग्रह किया,क्योंकि रेलवे के पास जमा धन राशि से कार्य को शुरू करने में ही वर्षों लग जाते हैं।

इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता कर रहे परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने पर्वतीय राज्यों की कठिन भौगोलिक स्थितियों तथा अन्य चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सड़क सुरक्षा कार्य योजना बनाते समय इन राज्यों के लिये विशेष प्राथमिकता प्रदान करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा योजनाएं केवल राज्य तथा राष्ट्रीय उच्च मार्गों के लिए ही नहीं, बल्कि आपातकाल चिकित्सा प्रणाली सहित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा ग्रामीण सम्पर्क सड़कों के लिए भी बनाई जानी चाहिए। बाली ने और अधिक पार्किंग क्षेत्रों को विकसित करने तथा फलाई ओवर पर वाहनों की पार्किंग को अपराध घोषित करने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में इस प्रकार की पार्किंग भी शामिल है। उन्होंने सड़क सुरक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का सुझाव दिया ताकि युवा नागरिकों में सड़क सुरक्षा एवं अनुशासन की भावना आरम्भ से ही उत्पन्न की जा सके।

राजस्थान के लोक निर्माण व परिवहन मंत्री यूनिस खान, जो सड़क सुरक्षा पर मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष भी हैं, ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। उन्होंने जी.एस. बाली की अध्यक्षता में एक उप-समिति गठित करने की घोषणा की। यह समिति सड़क सुरक्षा पर अपने सुझाव देगी तथा इसकी विस्तृत रिपोर्ट भारत सरकार को प्रस्तुत की जाएगी।

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