वो दिन अब दूर नहीं जब शाने चैल की सफलता की कहानियां घर-घर में कही और सुनी जाएंगी…

शिमला: स्वयं सहायता कमेटी शाने चैल की गतिविधियों से प्रदेश के ज़िला शिमला की जुन्गा तहसील की जनेडघाट पंचायत का पूरा क्षेत्र इन दिनों सुर्खियों में है। चूल्हा -चौका ,खेत- खलिहान, पशुओं को चारा- पानी आदि सभी कार्य जल्दी-जल्दी निपटाकर यहां की महिलाएं शाने चैल स्वयं सहायता कमेटी के कार्यों में व्यस्त हो जाती हैं। पंचायत घर जीतनगर में इन महिलाओं को स्थानीय उत्पाद अदरक, लहसुन, अमला,बुरांश आदि के अचार चटनी मुरब्बा वगैरा बनाने और उत्पादनों को बेचने का व्यवसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल जनेडघाट तहसील जुनगा ज़िला शिमला के छठी से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के चेहरों पर अलग ही खुशी और सुकून भरी आभा देखी जा सकती है। इसकी पृष्ठभूमि में भी वही चाहत छपी है,वक्त के साथ स्वयं को तैयार कर लेना,ज्ञान से स्वयं को सशक्त बनाना और फिर जब विद्यालय में मुफ़्त कंप्यूटर प्रशिक्षण का मौक़ा मिले तो कौन छोडना चाहता है।यह बच्चे ही नहीं इनके माता-पिता भी बहुत खुश है क्योंकि बच्चे सुनहरे सपने बुन रहे हैं ,कंप्यूटर साक्षर बनकर जीवन में वैश्विक स्तर पर स्पर्धा के लिए तैयार भी हो रहे हैं। रचना, सुनीता, चंपा, ज्योति, रीना, श्रुति, अदिति आदि के लिए भी शाने चैल के माध्यम से आत्मनिर्भरता के रास्ते खुल रहे हैं। लोकगीत, संगीत, वादन ,गायन, नृत्य इत्यादि में रुचिकर विद्यालय महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं और अन्य महिलाएं समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन में प्रयासरत हैं। सभी प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेकर स्वयं को गौरवशाली अनुभव कर रहे हैं।
वास्तव में जीतनगर में आईटीसी होटलज़ का यह प्रोजेक्ट रिस्पांसिबल लग्जरी सोशल इनीशिएटिव के तहत साउथ एशिया वूमेनज़ नेटवर्क ( स्वाॅन) के माध्यम से चलाया जा रहा है। इसका मूल उद्देश्य ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना, महिलाओं को हुनरमंद बनाकर आत्मनिर्भर बनाना, अध्यापकों को एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में प्रशिक्षित करना ,विद्यार्थियों को एमएस वर्ल्ड और एक्सेल में कंप्यूटर साक्षर बनाकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाना है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए क्षेत्र की महिलाओं और निवासियों के सहयोग से जन्म हुआ स्वयं सहायता कमेटी शाने चैल का।
अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 तक स्थानीय निवासियों को हुनरमंद बनाने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया।
तवलीन चैल होटल के प्रांगण में 25 अप्रैल को कल्चरल अपलिफ्टमेंट प्रोग्राम के तहत प्रशिक्षित कलाकारों ने नाटी, पहाड़ी गिददा,संस्कार गीत आदि भव्य प्रस्तुतियों से होटल में पधारे देसी विदेशी पर्यटकों का मन मोह लिया।
26 अप्रैल को स्थानीय विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रमाण पत्र वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
विभिन्न कार्यशालाओं में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सहभागियों को प्रमाण पत्र वितरण किए गए। शाने चैल के उत्पाद एफएसएसएआई द्वारा अनुमोदित हैं, गुणवत्तापूर्ण एवं स्वादिष्ट हैं, जो हाथों-हाथ बिक रहे हैं। स्थानीय प्रशिक्षित कलाकार स्थानीय गीत, संगीत व लोक संस्कृति के प्रचार प्रसार के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं।
स्थानीय युवती ममता के नेत्रों में केवल 20% ज्योति है। ममता अपने गले के सुर से ना वाकिफ थी , ममता को पहले घर की चार दिवारी से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया गया,फिर सुना गया, सुर ताल की बारिकियां समझा कर मंच दिया गया। ममता ने जब समा बांधा तब तारीफ में शब्द भी कम पड गए।
कंप्यूटर शिक्षा हासिल कर रहे बच्चे आईटीसी और स्वाॅन का आभार व्यक्त करना नहीं भूलते ,जिनके सौजन्य से यह सब संभव हो पाया है।
आईटीसी की परिकल्पना को साउथ एशिया वुमेनज़ नेटवर्क (स्वाॅन )नई दिल्ली का साथ मिला ।
एग्रोनॉमिक एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम में मिनचीज़ फूड प्रोडक्ट्स शिमला ने महिलाओं को उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया। विद्यालय में विद्यार्थियों व अध्यापकों के लिए डिजिटल लिटरेसी प्रोगाम के तहत एसेट टेक्नोलॉजी ,चंडीगढ़ ने प्रशिक्षित किया तथा
कल्चरल अपलिफ्टमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत पूजा कला मंच ,शिमला ने प्रशिक्षण प्रदान किया। इस मौके पर आई टी सी की ओर से सुश्री आयुषी मांगो, स्वाॅन की अध्यक्षा  वीना सिकरी (सेवानिवृत अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा) पंचायत प्रधान, विद्यालय के प्रिंसिपल और बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति और विद्यार्थी उपस्थित थे।
घर से निकल कर बच्चे ,युवा ,विद्यार्थी सभी शाने चैल के बैनर तले आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रहे हैं।
वह दिन अब दूर नहीं जब शाने चैल की सफलता की कहानियां घर-घर में कही और सुनी जाएंगी।

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