सोलन: राज्य स्तरीय हैकाथॉन में नौणी विवि के विद्यार्थियों ने जीता दूसरा पुरस्कार

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर दिया नवीन आइडिया

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के दो डॉक्टरेट छात्रों की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना ने हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित हैकाथॉन-विचार कार्यक्रम में दूसरा पुरस्कार जीता। डॉ. सतीश कुमार भारद्वाज, एचओडी, पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्षता में ओ सदिश और प्रियंका ने यह पुरस्कार जीता। पर्यावरण दिवस समारोह के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू  द्वारा छात्रों को 75,000 रुपये के नकद पुरस्कार और ट्रॉफी से नवाजा गया।

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 250 से अधिक प्रतिभागियों ने हैकथॉन के लिए आवेदन किया, जिनमें से 12 टीमों को पहले दौर के लिए चुना गया। छात्रों ने 30 मई को समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी और शीर्ष 5 टीमों में अंतिम दौर के लिए चुने गए। सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिए छात्र, शिक्षाविद, वैज्ञानिक और औद्योगिक हितधारक एकत्रित हुए, जहां टॉप 5 टीम द्वारा अंतिम प्रस्तुतियां दी गईं। प्रस्तुति का मूल्यांकन एक विशेषज्ञ पैनल द्वारा किया गया।

नौणी विवि की टीम ने ‘हिमाचल प्रदेश में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सतत जैव आर्थिक रणनीति’ पर अपना विचार प्रस्तुत किया। सदिश और प्रियंका ने एक अपनी प्रस्तुति में राज्य में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे को हाइड्रोचार और बायोचार जैसे कार्बन युक्त मूल्यवान उत्पादों का उत्पादन करने के लिए थर्मल रासायनिक रूप से संसाधित करने का आइडिया दिया। कचरे से प्राप्त इन उपयोगी उत्पादों का उपयोग वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत, अपशिष्ट जल उपचार के लिए फिल्टर और कृषि के लिए जैविक पोषक उर्वरक के रूप में किया जा सकता है। पंचायत स्तर पर प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा सकती हैं, ताकि इस नई अपशिष्ट प्रबंधन तकनीक के साथ स्थायी रूप से स्थानीय समुदायों के बीच सर्कुलर बायोइकोनॉमी हासिल की जा सके।

सदीश ने हाल ही में कॉमनवेल्थ फेलोशिप के तहत यूके में क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट में एक वर्ष तक अनुसंधान कार्य किया है वहीं प्रियंका ने बायोचार पर काम किया है और यूजीसी जेआरएफ फेलोशिप की भी प्राप्तकर्ता हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल ने छात्रों को उनके नवीन विचार और अपशिष्ट प्रबंधन पर किए प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में कदम उठाए हैं और एन॰ए॰एच॰ई॰पी॰ आईडीपी की हरित पहल के तहत 28 लाख रुपये की लागत से एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किया गया है। ठोस कचरे को कंपोस्ट में बदला जा रहा है। गुणवत्ता मानकों की जांच की गई है और सभी माइक्रोबियल गतिविधि और प्रमुख भारी धातु सीमा के भीतर पाए गए हैं।

सदिश और प्रियंका की इस उपलब्धि पर डॉ सीएल ठाकुर, डीन वानिकी महाविद्यालय; डॉ एसके भारद्वाज और विभाग के कर्मचारियों और छात्रों ने बधाई दी।

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