शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने उच्च न्यायालय द्वारा पंचायतों के पुर्नसीमांकन पर लगाई गई रोक के बावजूद प्रदेश सरकार के दबाव में राज्य चुनाव आयोग द्वारा पुर्नसीमांकन के लिए 120 दिनो के नियम में संशोधन के फैंसले की कड़ी निंदा की है और कहा कि पंचायतीराज चुनावी प्रक्रिया आरंभ होने के पश्चात कांग्रेस पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव आयुक्त द्वारा नियमो में बदलाव के इस फैंसले ने समूचे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर ही प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए हैं। भाजपा इस फैंसले के खिलाफ केन्द्रीय चुनाव आयोग सहित सभी उपयुक्त मंचो पर विरोध दर्ज करवाएगी।
भाजपा नेताओं ने कहा कि अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षाओं की पूर्ति के लिए कांग्रेस सरकार ने चुनाव आयोग का सहारा लिया है। भले ही चुनाव आयोग के पास पूर्व में जारी अधिसूचना में बदलाव करने का अधिकार हो, परन्तु अपनी निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाने वाले इस निर्णय से बचना चाहिए था। विशेषकर उन परिस्थितियों में जब मा0 उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर ही पंचायतों के पुर्नसीमांकन पर रोक लगाई थी। अपनी निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को चाहिए था कि वह सर्वदलीय बैठक के पश्चात ही इस तरह के निर्णयों में संशोधन करता।
नेता प्रतिपक्ष व भाजपा अध्यक्ष ने राज्य सरकार पर भी प्रहार करते हुए कहा कि सरकार, मंत्रालय और विभाग में चल रही तनातनी और उठा-पटक में पंचायत चुनावो को मजाक बनाकर रख दिया है। मंत्रालय और विभाग की लचर कार्यप्रणाली से अभी तक आरक्षण रोस्टर पर अनिश्चितता है। पर्याप्त समय होने के बावजूद पंचायतों के पुर्नसीमांकन समय पर न होने से यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि सीमांकन के नियमो की जानकारी होने के बावजूद प्रदेश सरकार ने जानबूझ कर लापरवाही बरती और कभी भी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं रही। केवल राजनैतिक लाभ लेने की दृष्टि से जानबूझकर पुर्नसीमांकन में देरी की गई। परन्तु कांग्रेस को इसका फायदा मिलने के बजाए अपनी बदनियती की वजह से नुकसान ही उठाना पड़ेगा।