राज्य के स्कूलों में संस्कृत को दूसरी भाषा के तौर पर अपनाया जाना चाहिए: राज्यपाल

  • संस्कृत सभी प्रकार से एक समृद्ध भाषा
  • राज्यपाल का संस्कृत के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने पर बल
राज्यपाल आचार्य देवव्रत

राज्यपाल आचार्य देवव्रत

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने संस्कृत भाषा के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि संस्कृत को राज्य के स्कूलों में दूसरी भाषा के तौर पर अपनाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि इस सम्बन्ध में उन्होंने मामला राज्य सरकार से उठाया है। वह आज कांगड़ा जिले के बलाहड़ स्थित राष्ट्रीय संस्थान के चार दिवसीय इन्टर कैम्पस यूथ फैस्टिवल के समापन समारोह के अवसर पर बोल रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत सभी प्रकार से एक समृद्ध भाषा है तथा वेद व अन्य सभी धार्मिक कृतियां संस्कृत भाषा में लिखी गई हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को इन कृतियों, जो न केवल देश में, बल्कि विश्वभर में जानी जाती है, का ज्ञान हासिल करने के लिए संस्कृत भाषा को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत के विद्धानों को वेदों में निहीत वैज्ञानिक जानकारी के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए, क्योंकि मनीषियों की अनेकों शिक्षाओं एवं कथनों को आधुनिक विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि हमें अपने पारम्परिक एवं प्राचीन साहित्य पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग स्वस्थ जीवन के लिए सहायक हैं और इनके बारे जागरूकता उत्पन्न करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी विशिष्ट पहचान को बनाए रखने के लिए अपनी समृद्ध संस्कृति एवं परम्पराओं के संरक्षण की आवश्यकता है। राज्यपाल ने उत्सव के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. पी.एन. शास्त्री ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। उत्सव में 11 राज्यों के विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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