शिमला: राज्य में 100 साल पुराने ऐतिहासिक मंदिरों, पुरातन स्मारकों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई गई है। प्रदेश सरकार ने भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा बनाई इस योजना को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। देवभूमि हिमाचल में ऐसे कई मंदिर व पुराने स्मारक हैं जो जीर्णशीर्ण हालत में पड़े हैं। इन्हें चिन्हित करने के साथ सरकार इनके जीर्णोद्धार कार्य के लिए पैसा उपलब्ध करवाएगी। बुधवार को इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
जानकारी के अनुसार सरकार इनके पुरातन स्वरूप को बनाए रखने के लिए पैसा देगी। इनकी शैली में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया जाएगा,वहीं नव निर्माण के लिए सहायता नहीं मिलेगी। धार्मिक संस्थानों अथवा स्मारकों में अवैध कब्जा रोकने के लिए उसके परिसर में चारदीवारी भी करवाई जाएगी और इसे गिरने से रोकने के लिए प्रतिधारण दीवार लगाने व आंगन में स्थानीय पत्थर के चक्कों से चक्कातलाई तथा जल निकासी प्रबंधन के कार्यों को पैसा दिया जाएगा। इसे नव निर्माण नहीं माना जाएगा। यदि धार्मिक संस्थान, स्मारक किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति है,तो उसे कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा।
यह सहायता हासिल करने के लिए उपमंडलाधिकारी को आग्रह किया जा सकता है और उसके माध्यम से ही पैसा सरकार देगी। आवेदन प्राप्त होने पर विभाग की पुरात्तन शाखा दस्तावेजों के आधार पर पात्रता की जांच करेगी और यदि धार्मिक संस्थान, स्मारक की पात्रता होगी तो ही प्रकरण मंगवाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने मंदिरों, मठों, विहारों का सर्वेक्षण करने की भी इजाजत दे दी है। इनके भवन का निर्माण किसने कब करवाया था इसका पता लगाया जाएगा। मंदिर की निर्माण शैली को इस सर्वे में देखा जाएगा और किस देवता का मंदिर है इसे भी देखा जाएगा। विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव उपमा चौधरी की तरफ से इन योजनाओं को लागू करने के आदेश जारी हुए हैं।