धर्मशाला में होने जा रही इन्वेस्टर मीट के विरोध उतरी एसएफआई

शिमला: प्रदेश के तमाम जिला मुख्यालयों पर धर्मशाला में होने जा रही इन्वेस्टर मीट के विरोध में आज एसएफआई राज्य कमेटी के आवाहन पर धरना प्रदर्शन किया गया। एसएफआई राज्य कमेटी के आवाहन पर प्रदेश भर में विभिन्न इकाइयों ने भी जगह जगह धरने प्रदर्शन किए। शिमला में डीसी ऑफिस के बाहर एसएफआई ने जोरदार प्रदर्शन कर इन्वेस्टर मीट में शिक्षा को वस्तु की तरह पेश करने का विरोध किया।

गौरतलब है कि प्रदेश में आगामी दिनों में इन्वेस्टर मीट होने  रही है। इस इन्वेस्टर मीट को लेकर एसएफआई का का कहना है निवेशकों को प्रदेश के संसाधनों पर डाका डालने के लिए खुला अवसर प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश में शिक्षा, पर्यटन, प्राकृतिक संसाधनों, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में निवेशकों को निवेश करने के लिए बुलाया जा रहा है। प्रदेश की मूलभूत संरचना तथा कल्याणकारी राज्य के घटक को दरकिनार करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को सरेआम निजीकरण की मुहिम में शामिल किया जा रहा है। राज्य अध्यक्ष रमन थार्टा ने बताया कि केंद्र और प्रदेश की सरकार हमेशा से ही अपने चहेते पूंजीपतियों को मुनाफा देने के लिए तत्पर है। वही दूसरी ओर छात्रों तथा नौजवानों को लगातार रोजगार से दूर किया जा रहा है। प्रदेश की जय राम सरकार अब तक के अपने कार्यकाल में सभी वर्गो को संतुष्ट करने में नाकाम रही है। प्रदेश में छात्रों, मजदूरों, महिलाओं, बेरोजगारों के लिए कोई ठोस रणनीति तैयार करने में विफल सरकार प्रदेश की जनता को गर्त में धकेलने के लिए निवेशकों को बुलाकर प्रदेश के बचे संसाधन लुटाना चाहती है। शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान की सरकार का दृष्टिकोण बहुत संकीर्ण है। सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों के बजट में कटौती कर रही है।

शिक्षा को महज एक वस्तु बनाकर खुलेआम बेचने की योजना को पंख देने की पूरी कोशिश इस इन्वेस्टर मीट में  जा रही है।एस एफ आई का स्पष्ट मानना है कि एक जिम्मेवार छात्र संगठन होने के नाते शिक्षा क्षेत्र में इस तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।यदि प्रदेश की सरकार समय रहते  सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र की मजबूती के लिए ठोस रणनीति तैयार नहीं करती तो आने वाले दिनों में सरकार के खिलाफ प्रदेश व्यापी आंदोलन की शुरुआत की जाएगी और चाहे जो भी परिस्थिति बने उसके लिए सरकार खुद जवाबदेह होगी।

आज तक भी सकल घरेलू उत्पाद तथा राज्य सरकार के बजट का अपर्याप्त प्रतिशत ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च होता है। इससे पता चलता है कि हमारी सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र की शिक्षा के लिए कितनी संवेदनशील है। पर्यटन हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ है,लेकिन अकेले पर्यटन क्षेत्र  में ही 15 हजार करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव इस इन्वेस्टर मीट का हिस्सा है। लगभग 200 करोड़ों का निवेश इस क्षेत्र में तय माना जा रहा है। छोटे – मझौले पर्यटन क्षेत्र के उद्यमी का पूरा करोबार चौपट करने की फिराक में सरकार केवल चंद पूंजीपरस्त लोगों को फायदा पहुंचाने की फिराक में है। धारा – 118  को लचीला बनाकर प्रदेश  के जल, जंगल, जमीन पर निवेशकों की चील सी नजर हुई है। प्रदेश की जनता को संसाधन विकसित करने के लिए प्रदान की जाने वाली मूलभूत सुविधाएं सरकार द्वारा आम जनता को मुहैया नहीं हो रही है।लेकिन दूसरी ओर निवेशकों के सामने सारे संसाधनों को परोस कर रखा गया है। इससे पता चलता है कि हमारी सरकार जनता विरोधी नीतियों को बनाने  में व्यस्त है। छात्रों की समस्याओं से सरकार  कोई सरोकार नहीं है।

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