जंगलों को आग से बचाने के लिए क्विक रिंस्पांस टीम का होगा गठन

  • जंगलों में आग बुझाने में मदद करने वालों को किया जाएगा जिला स्तर पर सम्मानित

शिमला: मुख्य सचिव बी.के.अग्रवाल ने आज यहां प्रदेश में वनों को आग से बचाने के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा बारे आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) अनिल खाची, विशेष सचिव राजस्व व आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा, संयुक्त सचिव वन सत्तपाल धीमान वन संरक्षण एवं अग्नि नियंत्रण अशोक चौहान तथा पुलिस, गृह रक्षक, नागरिक सुरक्षा के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में वनों को आग से निपटने के लिए ‘त्वरित रिसपांस टीम’ (क्विक रिंस्पांस टीम) का गठन किया जाएगा जो गृह रक्षकों की मदद से वनों की आग को बुझाएगी।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के 80 संवेदनशील वन डिवीजनों में चौबीस घंटे फॉरेस्ट स्टॉफ के अतिरिक्त विभाग के कर्मचारी वनों की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि त्वरित रिसपांस टीम बिना किसी विलम्ब के आपातकाल में वनों की आग से सुरक्षा के लिए जिम्मेवार होगी।

मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में 196 फॉरेस्ट रेंज हैं जिनमें से 80 वन परिक्षेत्र आग की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि सड़कों के साथ लगने वाले वन क्षेत्रों में फायर ब्रिगेड को हमेशा तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। होमगार्ड को अग्निशमन किट तथा अग्नि प्रतिरोधक वर्दी को हमेशा तैयार रखने को कहा गया है।

बी.के.अग्रवाल ने वन अधिकारियों को नई तकनीक तथा तरीकों के साथ जंगल की आग बुझाने के लिए स्थानीय लोगों के पारम्परिक तरीकों का भी पता लगाने को कहा। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा आग बुझाने में मदद करने पर उन्हें जिला स्तर पर सम्मानित किया जाएगा।

उन्होंने वन नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नम्बर क्रमशः 1077 तथा 1070 को प्रदेश तथा जिला आपदा प्रबन्धन के नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नम्बर के साथ जोड़ने के निर्देश दिए। यह दूरभाष नम्बर वनों में लगने वाली आग की सूचना सम्बन्धित अधिकारियों को शीघ्र जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए प्रयोग में लाए जाएंगे।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) राम सुभग सिंह ने इस अवसर पर कहा कि वन इस प्रदेश की अमूल्य धरोहर हैं, जिसकी सुरक्षा तथा संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। त्वरित रिसपांस टीम (क्विक रिंस्पांस टीम) का गठन तथा अन्तर विभागीय सहयोग प्रदेश के जंगलों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिए अह्म भूमिका निभाएगा।

 उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 30 अपै्रल, 2018 तक 122 वनों की आग के मामले सामने आए थे जबकि इस वर्ष 8 मई तक वनों की आग के केवल 27 मामले दर्ज किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि 28 अग्नि संवेदनशील वन मण्डलों में इस मौसम में एक वाहन पानी की टंकियो, लिफ्टिंग मोटर तथा पाइप के साथ उपलब्ध करवाया गया है तथा दूसरा वाहन अतिशीघ्र उपलब्ध करवाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वनों की आग से सुरक्षा बारे लोगों को जागरूक करने के लिए चार वाहन प्रयोग में लाए जा रहे हैं। प्रदेश आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के सहयोग से प्रदेश के 11 जिलों के 68 क्षेत्रों में वनों की आग से सुरक्षा बारे इस वर्ष 22 मार्च से 30 मार्च, 2019 तक जनजागरण अभियान चलाया गया।

पीसीसीएफ अजय शर्मा ने बताया कि फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के साथ रैपिड फोरेस्ट फायर फोर्स को पंजीकृत किया गया है, जिसके माध्यम से 11000 से अधिक स्वयंसेवक, गैर सरकारी संगठन तथा पीआरआई के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में जंगल की आग बारे अलर्ट का एसएमएस प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक है तथा निकट भविष्य में इसकी संख्या 20 हजार से अधिक होने की सम्भावना है

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