सोलन: विशेषज्ञों का कृषि विस्तार विभागों को मजबूत करने पर बल

  • संयंत्र स्वास्थ्य प्रबंधन में वैकल्पिक दृष्टिकोण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का नौणी विवि में आगाज़
  • दो-दिवसीय कार्यक्रम में करीब 260 वैज्ञानिक और छात्र ले रहे हिस्सा
  • राज्य की कृषि विस्तार ढांचे को मजबूत करने की जरूरत : प्रो. चोपड़ा
  • प्लांट पैथोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी काम के लिए डॉ. विजय और डॉ. बृज मोहन लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित

सोलन: प्रभावी ढंग से कृषक समुदाय तक पहुंचने के लिए राज्यों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार विभागों को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है। इन विचारों को विशेषज्ञों ने डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आज शुरू हुई किसानों की आय बढ़ाने के लिए संयंत्र स्वास्थ्य प्रबंधन में वैकल्पिक दृष्टिकोण (Alternative Approaches in Plant Health Management for Enhancing Farmers, Income) विषय पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के दौरान व्यक्त किये। विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग द्वारा यह संगोष्ठी इंडियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी और हिमालयन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।

इस दो-दिवसीय कार्यक्रम में हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के 260 वैज्ञानिक और छात्र भाग ले रहे हैं। इस संगोष्ठी के दौरान, विशेषज्ञ कीटनाशकों के उपयोग को वैकल्पिक दृष्टिकोण के माध्यम से कम करने पर विचार करेगें जिससे कीट और रोगों द्वारा न्यूनतम नुकसान के साथ-साथ उच्चतम स्तर पर कृषि उत्पादन को बनाया रखा जा सकें और मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी इसके प्रतिकूल प्रभाव कम किए जा सके।

अगले दो दिनों के दौरान, वैज्ञानिक पर्यावरण के अनुकूल संयंत्र स्वास्थ्य प्रबंधन रणनीतियों, जलवायु परिवर्तन रोग महामारी विज्ञान, फंगल फसल रोगजनकों का निदान, पौध पोषण, प्रेरित प्रतिरोध इत्यादि सहित विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे। किसान-वैज्ञानिक और उद्यमी के बीच बातचीत का एक विशेष सत्र शनिवार को आयोजित किया जाएगा।

उद्घाटन सत्र में योजना आयोग के पूर्व सदस्य और आईसीएआर के भूतपूर्व महानिदेशक प्रोफेसर वीएल चोपड़ा ने कहा कि राज्य की कृषि विस्तार ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है क्योंकि वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान और शिक्षण गतिविधियों के साथ-साथ हर किसान के खेत में जाना बहुत कठिन है। फील्ड स्टाफ के मार्गदर्शन के लिए वैज्ञानिकों को सलाहकार भूमिका दी जानी चाहिए।

उन्होनें कहा कि हमें मानसिकता को बदलने और संयंत्र स्वास्थ्य प्रबंधन में वैकल्पिक दृष्टिकोण की दिशा में काम करने की जरूरत है। सुरक्षित,लागत प्रभावी और सामाजिक रूप से स्वीकार्य दृष्टिकोण तैयार करने के लिए प्रभावी बीमारी और कीट प्रबंधन कार्यक्रमों को डिजाइन करना समय की आवश्यकता है। प्रोफेसर चोपड़ा ने कहा कि इस तरह के आयोजन वैज्ञानिक समुदाय और किसानों के बीच नए विचारों और प्रौद्योगिकियों के प्रसार का एक अच्छा मंच हैं।

नौणी विवि के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि पादप रोग विज्ञान की कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके अनुसार कृषि विश्वविद्यालयों का काम किसानों की समस्याओं को हल करना है। भूख और कुपोषण की समस्याओं से निपटने के लिए और अधिक काम करने की जरूरत पर भी डॉ ठाकुर ने बल दिया।

इस अवसर पर प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एचआर गौतम ने कहा कि पारंपरिक कृषि दृष्टिकोण ने हर वर्ष एक ही फसल के बार-बार उत्पादन से ऊर्जा आधारित इनपुट की लागत में वृद्धि और कृषि आय में कमी जैसी समस्याओं को जन्म दिया है, जिससे पारिस्थितिक गड़बड़ी जैसे मिट्टी और जल प्रदूषण, मिट्टी का कटाव और जैव विविधता पर प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तनशीलता फसल की खेती को भी प्रभावित करती है और पौध स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए गंभीर चिंताएं हैं।

उन्होंने कहा कि पौधों का स्वास्थ्य फसल उत्पादन का एक महत्वपूर्ण घटक है। फसल संरक्षण रणनीतियों को रासायनिक कीटनाशकों से दूर ले जाने के आवश्यकता है। इसके लिए पौध प्रतिरोध, सांस्कृतिक प्रथाओं में बदलाव, जैविक संशोधन का उपयोग, मिट्टी के सौरकरण, वनस्पति कीटनाशक,जैव कीटनाशक और ट्रांसजेनिक विकसित करने की आधुनिक आणविक तकनीक जैसे वैकल्पिक दृष्टिकोणों के इस्तेमाल की जरूरत है।

हिमालयी फाइटोपाथोलॉजिकल सोसाइटी ने प्लांट पैथोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी काम के लिए डॉ. विजय सिंह ठाकुर और डॉ. बृज मोहन सिंह को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा। डॉ. ठाकुर वर्तमान में नौणी में विस्तार शिक्षा निदेशक के रूप में कार्यरत हैं जबकि डॉ सिंह कृषि विवि पालमपुर से डीन कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। एसोसिएशन ने सर्वश्रेष्ठ पीएचडी थीसिस का 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार भी सुश्री अधशिकता को दिया गया। इस अवसर पर दो पुस्तकें- प्लांट हेल्थ मैनेजमेंट में वैकल्पिक दृष्टिकोण और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए कृषि पर एक व्यापक बुक और एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। विभाग ने किसानों और वैज्ञानिकों के लिए एक द्विभाषी ई-पत्रिका भी लॉन्च की है, जो विश्वविद्यालय की वैबसाइट पर उपलब्ध होगी।

 

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