वर्ष 2022 तक हिमाचल बनेगा जैविक कृषि राज्य : डॉ. मारकंडा

  • हिमाचल का पर्यावरण एवं जलवायुगत परिस्थितियां पूर्ण रूप से जैविक खेती के लिए अनुकूल
हिमाचल का पर्यावरण एवं जलवायुगत परिस्थितियां पूर्ण रूप से जैविक खेती के लिए अनुकूल

हिमाचल का पर्यावरण एवं जलवायुगत परिस्थितियां पूर्ण रूप से जैविक खेती के लिए अनुकूल

सोलन: कृषि, जनजातीय विकास तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि प्रदेश सरकार वर्ष 2022 तक हिमाचल को जैविक कृषि राज्य बनाएगी। डॉ. मारकंडा गत सांय कण्डाघाट में भारतीय कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के ‘ऑल्टरनेटिव फार्मिंग सिस्टमस् इनवॉल्विंग हॉर्टीकल्चर टू इनक्रीज़ द क्रॉप प्रोडक्टीवीटी एंड डबलिंग फार्मरस् इनकम’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय विचार-विमर्श सम्मेलन के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।

डॉ. मारकंडा ने कहा कि हिमाचल का पर्यावरण एवं जलवायुगत परिस्थितियां पूर्ण रूप से जैविक खेती के लिए अनुकूल हैं। राज्य को जैविक कृषि का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए जीरो बजट प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि फसलों की लागत को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए किसानों के साथ-साथ कृषि, बागवानी तथा पशुपालन विभाग के विस्तार अधिकारियों को जीरो बजट प्राकृतिक कृषि के विषय में प्रशिक्षित किया जाएगा। इस कार्य में प्रदेश के चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वद्यिालय पालमपुर एंव डॉ. यशवन्त सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैविक कीटनाशकों का उपयोग चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा।

डॉ. मारकंडा ने कहा कि सम्मेलन में हुई सार्थक चर्चा कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित कुलपतियों से आग्रह किया कि सम्मेलन की संस्तुतियों को व्यवहारिक रूप से लागू करें तथा इन्हें गांव-गांव तक पंहुचाएं। उन्होंने कहा कि छात्रों को ऐसे विषयों में अनुसंधान करने को प्रेरित किया जाए जो कृषि की आधुनिक जानकारी को अधिक व्यवहारिक बनाने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं की रूचि कृषि तथा बागवानी में जगानी जरूरी है।

भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के उपाध्यक्ष डॉ. ए.आर. पाठक ने संघ की गतिविधियोे की विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए मांग की कि हिमाचल प्रदेश में अत्याधुनिक टिशू कल्चर प्रयोगशाला स्थापित की जाए। संघ के कार्यकारी सचिव डॉ. आर.पी सिंह ने कहा कि कृषि तथा बागवानी की आधारभूत जानकारी विद्यालयों में प्राथमिक स्तर पर दी जानी चाहिए। उन्होंने जैविक उत्पाद के प्रमाणीकरण के लिए प्रक्रिया के सरलीकरण की मांग भी की।

डॉ. यशवन्त सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के कुलपति डॉ. एचसी शर्मा ने सभी का स्वागत किया तथा आशा जताई कि सममेलन की संस्तुतियां कृषि क्षेत्र के हित संवर्द्धन में सहायक सिद्ध होंगी। इस अवसर पर देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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