पंचायत सचिवों को पंचायती राज विभाग में विलय करने को लेकर पंचायत सचिव महासंघ मुखर

  • पंचायतों के विकास की प्रक्रिया होगी प्रभावित : चंद्रमणी ठाकुर
  • ग्रामीण विकास विभाग में पूर्व में स्थापित पदों को समाप्त करके उन्हीं पदों को पंचायती राज विभाग में सृजित करना न्यायसंगत नहीं

शिमला : हिमाचल प्रदेश राज्य ग्राम पंचायत एवं विकास अधिकारी महासंघ इस बात को लेकर सरकार एवं विभाग से नाराज है कि ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत पंचायत सचिवों को पंचायती राज विभाग में विलय करने की तैयारियां चल रही हैं। इस बारे महासंघ पूर्व में अनेकों बार विभागीय मंत्री तथा सचिव व निदेशक से बैठकें भी कर चुका है और सभी के आश्वासन के उपरांत ऐसा करना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि पंचायत सचिवों के साथ धोखा एवं पंचायत स्तर पर गांवों के विकास की सोच को मूर्तरूप देने में अडंगा भी है। महासंघ के राज्याध्यक्ष चन्द्रमणी ठाकुर ने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण विकास विभाग में पूर्व में स्थापित पदों को समाप्त करके उन्हीं पदों को पंचायती राज विभाग में सृजित करना न्यायसंगत नहीं है। इसके स्थान पर ग्रामीण विकास विभाग में मौजूदा पदों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए।

ठाकुर ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग में लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित नियमित व 22 वर्षों से कार्यरत पंचायत सचिवों को पंचायती राज विभाग में अनुबंध पंचायत सहायकों के साथ मिलाने का निर्णय योग्य कर्मचारियों के मनोबल और उनकी क्षमता को विपरीत प्रभाव डालेगा। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2002 से नियुक्त नियमित पंचायत सचिवों की वरिष्ठता सूची भी पंचायती राज में विलय से प्रभावित होगी क्योंकि पंचायती राज में 1999 से इसी पद पर अनुबंध पर कर्मचारी नियुक्त हैं। उन्होंने कहा कि दूसरे विभाग में पदों का विलय या तो विभाग का महत्व कम होने से अथवा विभाग में कामकाज कम होने के कारण किया जाता है, लेकिन ग्रामीण विकास विभाग में दिनोंदिन कार्य बढ़ रहा है, फिर इस प्रकार की व्यवस्था बनाने का क्या तात्पर्य। महासंघ ने इस बावत ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा है और साथ ही विभागीय अधिकारियों से आज यहां बैठक भी की।

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