शिमला: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि आनन फानन में बुलाई गई कैबिनैट की बैठक में मंत्रियों पर दबाव बनाकर मुख्यमंत्री के पक्ष में खड़ा करने से कांग्रेस पूरी तरह बेनकाब हो गई है। कांग्रेस चाहती तो वह इस मौके को भुनाकर कड़ा निर्णय लेकर स्वयं को भ्रष्टाचार के पक्षकार होने के दागों से बचा सकती थी। कांग्रेस सरकार की इस सारी कवायत के बावजूद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का अपने पद से जाना तय है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अपने पापों का दोष भाजपा को देने के बजाए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपना आत्म विवेचन करना चाहिये। क्या यह सच नहीं है कि पूर्व मनमोहन सरकार के समय और उनके केन्द्रीय मंत्री रहने के दौरान पड़े छापे में मिली डायरी में बी.बी.एस के आगे करोड़ों रूपये का लेनदेन अंकित था? क्या दिल्ली उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ भाजपा नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की एन.जी.ओ. गई थी? आज भले ही वे भाजपा को दोष दे लें पर उन्हें भाजपा नेताओं ने विवश नहीं किया था कि वह और उनका परिवार बक्कामुल्लाह चन्द्रशेखर से करोड़ों का लेन देन करें और न ही भाजपा ने कहा था कि सेबों की अपनी आय को 47 लाख रू. से बढ़ाकर 6.50 करोड़ रू. से अधिक बताएं उन्हें सोचना चाहिए कि क्या यह भाजपा की साजिश थी जो उनके परिवार को करोड़ों के फलैट दिल्ली में खरीदने के लिए विवश होना पड़ा? भाजपा ने तो केवल जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इतने वर्षों तक ईमानदारी का चोगा पहनने वाले व्यक्ति को बेनकाव किया है।
भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस नेताओं से आग्रह किया है कि वह अपने जमीर को मारकर भ्रष्टाचार के पैरोकार न बनें। देश में भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुके वीरभद्र सिंह जितने दिनों तक प्रदेश की सत्ता में बने रहेंगे उतना नुकसान हिमाचल का होगा। भ्रष्टाचार को समर्थन से केवल कांग्रेस की फजीहत हो रही है और इसका नुकसान भी कांग्रेस को अगले चुनावों में उठाना पडे़गा।