आईजीएमसी ने मनाया स्वर्ण जयंती दीक्षांत समारोह, 97 एमबीबीएस, 87 स्नातकोत्तर, 6 स्नातकोत्तर डिप्लोमा व 6 सुपर स्पेशियलिटी विद्यार्थियों ने प्राप्त की डिग्रियां

  • भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता
  • राज्यपाल आर्चाय देवव्रत, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर भी रहे  इस अवसर पर उपस्थित
  • राष्ट्रपति ने मेधावी चिकित्सकों को स्नातकोतर तथा चिकित्सा स्नातक में श्रेष्ठ स्थान हासिल करने वालों को स्वर्ण पदकों से किया सम्मानित
  • राष्ट्रपति से स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में डा. रीतु रानी तथा एमबीबीएस पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न चिकित्सा अध्ययन विषयों में पांच स्वर्ण पदक प्राप्त डा. मीनाक्षी के अलावा डा. नेहा सिंह, डा. शिप्री शर्मा, डा. तनवी कटोच शामिल
  • राष्ट्रपति ने पदक व चिकित्सा स्नातक की डिग्रियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों, विशेषकर पांच स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली डा. मीनाक्षी को दी बधाई
  • राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने स्नातक, स्नात्कोत्तर, पोस्ट डॉक्ट्रिएल डिग्री तथा मैडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को दी बधाई

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला ने आज यहां होटल पीटरहॉफ में अपना स्वर्ण जयंती वर्ष दीक्षांत समारोह मनाया। भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। राज्यपाल आर्चाय देवव्रत, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर भी इस अवसर पर उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने मेधावी चिकित्सकों को स्नातकोतर तथा चिकित्सा स्नातक में श्रेष्ठ स्थान हासिल करने वालों को स्वर्ण पदकों से सम्मानित किया। राष्ट्रपति से स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में डा. रीतु रानी तथा एमबीबीएस पाठ्यक्रम के दौरान विभिन्न चिकित्सा अध्ययन विषयों में पांच स्वर्ण पदक प्राप्त डा. मीनाक्षी के अलावा डा. नेहा सिंह, डा. शिप्री शर्मा, डा. तनवी कटोच शामिल हैं।

राष्ट्रपति ने पदक व चिकित्सा स्नातक की डिग्रियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों, विशेषकर पांच स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली डा. मीनाक्षी को बधाई दी। राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने स्नातक, स्नात्कोत्तर, पोस्ट डॉक्ट्रिएल डिग्री तथा मैडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने दीक्षांत समारोह के दौरान अपने सम्बोधन में कहा कि आधुानिक चिकित्सा प्रणाली को योग की उपचार शक्ति में समायोजन करना चाहिए, जो रोगों के भौतिक लक्षणों से आगे बढ़कर उपचार करती है। उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा प्रणाली व योग का दृष्टिकोण वैज्ञानिक एवं सार्वभौमिक है तथा प्राकृतिक सम्बद्धता के कारण इनमें बेहतर समन्वय होना अनिवार्य है। इनके मिलाप में समग्र स्वास्थ्य चिकित्सा उपलब्ध करवाने की क्षमता है, जो समाज के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि भारत योग की महत्ता तथा आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को एक साथ लाकर समग्र स्वास्थ्य देखभाल में विश्व का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उन्होंने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में पहले से ही हृदय रोगियों के लिए इस दिशा में अनुसंधान करने पर संतोष जाहिर किया।

राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह इस प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज के समूचे मेडिकल समुदाय के लिए संस्मरणों को पुनः अपनी पुरानी यादों को ताजा करने का अवसर प्रदान करता है तथा यह संस्थान चिकित्सा शिक्षा, मानवीय स्वास्थ्य, औषधि एवं मानवीय प्रतिष्ठा का अनूठा संगम है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी मानव समाज की

पीड़ा दूर करने के उद्देश्य से चिकित्सा में स्नातक की शिक्षा प्राप्त करते हुए अपने योगदान तथा शिक्षकों द्वारा प्रदान शिक्षा को सदैव याद रखेंगे। आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज उपाधियों से नवाजे विद्यार्थियों के लिए यह अंतिम शिक्षा नहीं है, बल्कि यहीं से और अधिक बुद्धिमत्ता, सृजनात्मकता, ज्ञान तथा जीवन पर्यंत अध्ययन की निरंतर ईच्छा की एक नई शुरूआत होती है।

राज्यपाल ने कहा कि हमारा अतीत बहुत समृद्ध रहा है और अब हमें एक समृद्ध भविष्य का निर्माण करना है तथा स्वास्थ्य सेवा के समस्त पहलुओं में निरन्तर आगे बढ़ते रहना है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एक आदर्श व्यवसाय है, जहां व्यक्ति को पीड़ित मानवता की सेवा का अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य व्यवसाय से जुड़े लोगों को मानवता की इस पुनीत सेवा पर गर्व होना चाहिए।

दीक्षांत समारोह की पुरानी पम्पराओं का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उपनिषद में पहले ही दीक्षांत, शिक्षा का एक अह्म हिस्सा होने का उल्लेख है जहां शिक्षा पूरी होने के उपरांत अध्यापक उन्हें समाज की बेहतरी के लिए कुछ निर्देश देते थे। उस वक्त दीक्षांत समारोह के दौरान विद्यार्थियों को दिए गए निर्देशों में उन्हें ईमानदारीपूर्वक व्यवहार करने तथा जीवन पर्यंत ज्ञान में वृद्धि करते रहना और अंततः इसे समाज में अन्यों को प्रदान करना शामिल है, ताकि प्रत्येक व्यक्ति व वर्ग को इसका लाभ मिले। उन्होंने कहा कि इन उपदेशों तथा समृद्ध परम्पराओं का अनुसरण करने तथा इन पर विचार करने का यह एक उपयुक्त समय है।

इसके पश्चात, राज्यपाल ने कुलपति ए.डी.एन. वाजपेयी को मेधावी विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान करने के लिए अधिकृत किया। इनमें एमबीबीएस में 97 उम्मीदवारों ने स्नातक की डिग्री तथा 87 को स्नातकोत्तर, 6 को स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा 6 विद्यार्थियों को सुपर स्पैशियलिटी की डिग्रियां प्रदान की गई।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सभी उत्तीर्ण स्नातकों तथा स्नातकोत्तर विद्यार्थियों से पीड़ित मानवता के प्रति उदारता तथा समर्पण भाव से सेवा करने का आह्वान किया तथा आम लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए यह गौरव का विषय होता है कि उसने अपनी स्थापना के पच्चास वर्ष सफलतापूर्वक पूरे किये हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1966 में अस्तित्व में आए आईजीएमसी ने प्रदेश के लोगों को विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाकर तथा स्वास्थ्य अधोसंरचना संवर्द्धन के मील पत्थर स्थापित किए हैं। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी, उत्तरी भारत में कार्डिक केथेरेटेईजेशन और एंजियोग्राफी सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले गिने-चुने मेडिकल कॉलेजों में शामिल है, जो हृदय रोगियों को ओपन हार्ट सर्जरी सुविधाएं भी प्रदान कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आईजीएमसी चिकित्सा शिक्षा में एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान में 20 विशेषज्ञ स्नातकोत्तर प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं और यह देश के उन कुछ चुनिंदा चिकित्सा महाविद्यालयों में शामिल है जहां कार्डियिोलॉजी व कार्डियो सर्जरी में स्नातकोत्तर चिकित्सीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने लगभग 2899 स्नातक तथा 1337 स्नातकोत्तर चिकित्सक तैयार किए हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में अंडर ग्रेज्युऐट और पोस्ट ग्रेज्युऐट विद्यार्थियों को लर्निंग एवं टीचिंग में आर्ट लाईब्रेरी तथा वर्चुअल लेक्चर थियेटर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान होने के नाते हृदयघात के रोगियों की टेªकिंग के लिए एक मजबूत राज्य स्तरीय निगरानी प्रणाली को विकसित तथा कार्यान्वित करने वाला यह केरल के बाद एक मात्र संस्थान है। संस्थान में हृदयघात के पश्चात ‘सरवाईबल रेट’ में बढ़ोतरी के लिए विशेष गुणात्मक सुधार आरम्भ किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अपनी तरह की पहली हि.प्र. टेली-स्टोक परियोजना अप्रैल, 2014 में आरम्भ की गई थी, जो भारतवर्ष में स्मार्ट फोन आधारित टेलीमेडिसिन परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत राज्य के जनजातीय तथा दूर-दराज क्षेत्रों में लोगों को उनके घर द्वार के समीप समय पर निःशुल्क स्टोक उपचार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को फरवरी, 2016 में आयोजित ई. पंजाब सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ ई. स्वास्थ्य पुरस्कार प्रदान किया गया था। वीरभद्र सिंह ने कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए आईजीएमसी में 11 मंजिला बाह्य रोगी विभाग परिसर का कार्य 10 अगस्त, 2016 को पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुणात्मक चिकित्सा सेवाओं के प्रोत्साहन के लिये भविष्य में सुपर स्पैशियलिटी खण्ड तथा अन्य सुपर स्पैशियलिटी विभागों में पोस्ट डॉक्ट्रेट प्रशिक्षण आरंभ करने का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि राज्य में वरिष्ठ नागरिकों, एकल नारी, विधवाओं, मिड-डे-मील कर्मियों, विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों, अनुबन्ध कर्मचारियों, अंशकालीन कर्मियों तथा दिहाड़ीदारों के लिये एक महत्वकांक्षी ‘मुख्यमंत्री राज्य स्वास्थ्य चिकित्सा योजना’ कार्यान्वित की है।

इससे पूर्व, राज्यपाल आचार्य देवव्रत तथा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राष्ट्रपति का स्वागत किया तथा उन्हें सम्मानित किया। हि.प्र. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.डी.एन. बाजपेयी ने भी गणमान्य अतिथियों को सम्मानित किया तथा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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